टीकाकरण की धीमी रफ़्तार से भारत कोविड-19 की अन्य लहरों की चपेट में रह सकता है: फिच रेटिंग्स

अमेरिका की केंडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा था कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर आर्थिक सुधारों में देरी कर सकती है, लेकिन पटरी से उतार नहीं सकती है. हालांकि अब इसने लंबी रुकावट के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है.

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(फोटो: पीटीआई)

अमेरिका की केंडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा था कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर आर्थिक सुधारों में देरी कर सकती है, लेकिन पटरी से उतार नहीं सकती है. हालांकि अब इसने लंबी रुकावट के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है.

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नई दिल्ली: अमेरिका की केंडिट रेटिंग एजेंसी ‘फिच रेटिंग्स’ ने चेतावनी दी है कि भारत के टीकाकरण की धीमी गति का मतलब है कि देश दूसरी लहर के थमने पर भी कोविड-19 की आगे की लहरों की चपेट में रह सकता है. उसने संकेत दिया कि केवल 9.4 फीसदी लोगों ने 5 मई तक कम से कम एक वैक्सीन की खुराक प्राप्त की थी. द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सोमवार के आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक कोविड-19 टीके की 17.26 करोड़ खुराक लगाई जा चुकी है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने फिच ने कहा था कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर आर्थिक सुधारों में देरी कर सकती है, लेकिन पटरी से उतार नहीं सकती है. हालांकि, अब इसने लंबी रुकावट के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है.

फिच रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी की ताजा लहर से अप्रैल-मई में आर्थिक गतिविधियां घटी हैं, लेकिन ये झटका 2020 के मुकाबले कम गंभीर होगा. साथ ही फिच ने कहा कि इसके चलते सुधार में देरी होने की आशंका है.

फिच ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि भारत में महामारी की ताजा लहर से 2020 के मुकाबले आर्थिक गतिविधियों को कम नुकसान होगा, भले ही संक्रमण का प्रकोप पहले से अधिक है. फिर भी संकेतक अप्रैल-मई में गतिविधियों में कमी दर्शाते हैं, जिससे सुधार में देरी हो सकती है.’

फिच ने कहा कि अधिकारी लॉकडाउन को अधिक संकीर्ण रूप से लागू कर रहे हैं और कंपनियों और व्यक्तियों ने उन तरीकों को समायोजित किया है, जो प्रभाव को कम करते हैं.

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत की हालिया कोविड-19 संक्रमण लहर वित्तीय सुधार की दिशा में वित्तीय संस्थानों के लिए जोखिम बढ़ा देगी.

फिच ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 5 मई को घोषित उपायों से अगले 12-24 महीनों में वित्तीय संस्थाओं को कुछ राहत मिलेगी लेकिन मोटे तौर पर ऐसा लेकिन मोटे तौर पर परिसंपत्ति-गुणवत्ता संबंधी समस्याओं स्थगित करने की कीमत पर होगा.’

फिच ने 2021-22 में 12.8 फीसदी जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो 2020-21 में 7.5 फीसदी के अनुमानित संकुचन से 2022-23 में 5.8 फीसदी तक होगा.

हालांकि, अप्रैल में इसने चेतावनी दी थी कि कोविड-19 मामलों में हालिया उछाल इस साल के दृष्टिकोण के लिए नकारात्मक जोखिम बढ़ा रहा है.

कोविड-19 टीके की खुराकों की कुल संख्या बढ़कर 17,26,33,761 हुई: स्वास्थ्य मंत्रालय

इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार देश में अब तक दी गई कोविड-19 टीके की खुराकों की कुल संख्या बढ़कर 17,26,33,761 हो गई है.

मंत्रालय ने बताया कि 18 से 44 आयु वर्ग के 518,479 लाभार्थियों को सोमवार को पहली खुराक मिली, जिससे टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण के शुरू होने के बाद से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में टीका लगवाने वाले इस श्रेणी के लोगों की संख्या बढ़कर 2,552,843 हो गई.

इस आयु वर्ग में अब तक महाराष्ट्र के 510,347, राजस्थान के 411,002, दिल्ली के 366,309, गुजरात के 323,601 और हरियाणा के 293,716, बिहार के 177,885, उत्तर प्रदेश के 166,814 और असम के 106,538 लोगों ने टीका लगवाया है.

मंत्रालय ने कहा कि अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार देश में अब तक दी गई कोविड-19 टीके की खुराकों की कुल संख्या बढ़कर 172,633,761 हो गई है.

इसके अलावा 45 से 60 वर्ष के बीच के 55,497,658 और 7,173,939 लाभार्थियों को क्रमशः पहली और दूसरी खुराक दी गई है, जबकि 60 साल से अधिक के 53,800,706 और 15,639,381 लाभार्थियों ने पहली और दूसरी खुराक ली है.

मंत्रालय ने कहा कि टीकाकरण अभियान के 115वें दिन (10 मई, 2021) को कुल 2,430,017 टीके लगाए गए, जिनमें 1,047,092 पहली खुराक और 1,382,925 दूसरी खुराक शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)