दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- अगर डॉक्टर ही नहीं हैं तो ज़्यादा बिस्तरों से क्या लाभ होगा

कोरोना की दूसरी लहर के बीच दिल्ली के कोविड केंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मियों की कमी की ओर इशारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब चुनाव आते हैं तो हर अख़बार में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिखाई देता है लेकिन अब चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों की ज़रूरत को लेकर प्रमुख अख़बारों में कोई विज्ञापन नहीं है.

/
दिल्ली के एक कोविड केयर केंद्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. (फोटो साभार: ट्विटर/@ArvindKejriwal)

कोरोना की दूसरी लहर के बीच दिल्ली के कोविड केंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मियों की कमी की ओर इशारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब चुनाव आते हैं तो हर अख़बार में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिखाई देता है लेकिन अब चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों की ज़रूरत को लेकर प्रमुख अख़बारों में कोई विज्ञापन नहीं है.

दिल्ली के एक कोविड केयर केंद्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. (फोटो साभार: ट्विटर/@ArvindKejriwal)
दिल्ली के एक कोविड केयर केंद्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. (फोटो साभार: ट्विटर/@ArvindKejriwal)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि जब पर्याप्त संख्या में चिकित्सक ही नहीं हैं तब बिस्तरों और वार्ड का क्या फायदा है?

अदालत ने उन दावों के संदर्भ में यह बात कही जिनके मुताबिक द्वारका में समर्पित कोविड केंद्र- इंदिरा गांधी अस्पताल में पर्याप्त चिकित्साकर्मी नहीं हैं.

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा, ‘यह समय है जब आपको और चिकित्सक चाहिए. ज्यादा बिस्तर होने का क्या मायने जब पर्याप्त संख्या में चिकित्सक ही न हों.’

दिल्ली सरकार ने जब कहा कि चिकित्सकों की कमी का मुद्दा कभी अदालत के समक्ष उठाया ही नहीं गया, तो पीठ ने कहा कि चिकित्सकों की कमी के संदर्भ में समस्या है और ‘इससे भागिए मत.’

अदालत ने कहा कि जब चुनाव आते हैं तो हर अखबार में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिखाई देता है लेकिन अब चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों की जरूरत को लेकर प्रमुख अंग्रेजी अखबारों में कोई विज्ञापन नहीं है.

जब दिल्ली सरकार ने कहा कि इस विषय में एक विज्ञापन दैनिक भास्कर अखबार में था तब अदालत ने पूछा, ‘प्रमुख अंग्रेजी अखबारों में क्यों नहीं?’

दिल्ली सरकार ने आश्वस्त किया कि विज्ञापन जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द ही सभी प्रमुख अखबारों में दिखाई देगा लेकिन कुछ समय चाहिए.

इस पर अदालत ने कहा कि वह बीते दो हफ़्तों से सरकार को समय ही दे रही है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, दिल्ली सरकार ने कहा कि उसने वॉक-इन-इंटरव्यू रखे हैं और आने वाले समय में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी.

इस पर अदालत ने सरकार से उसे 250 बेड वाले एक नए अस्पताल की विस्तृत जानकारी- बिस्तरों की संख्या (ऑक्सीजन के साथ और बिना, और आईसीयू और गैर आईसीयू), पेश करने को कहा है. सरकार का कहना है कि अस्पताल में 900 बेड की क्षमता है.

इससे पहले अदालत ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे हर दो घंटे में खाली और भरे हुए बिस्तरों की संख्या की ताजा जानकारी दें. अदालत ने कहा कि ऐसा करना मुश्किल काम नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि अस्पताल वास्तविक समय में खाली बिस्तरों की संख्या और भर्ती का रिकॉर्ड रखें. यह उनके लिए मुश्किल नहीं होगा कि संबंधित जानकारी दिल्ली सरकार या उसके नोडल अधिकारियों को दिया जाए. ‘हम निर्देश देते हैं कि प्रत्येक दो घंटें में ताजा जानकारी दें.

वहीं एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए पीठ ने केंद्र से कहा कि विदेशों से मिल रही सभी तरह की सहायता चाहे वह छोटी हो या बड़ी उसी कृतज्ञता के साथ स्वीकार की जानी चाहिए जिस भावना से वह दी गई है, भले ही वह सिर्फ एक रुपये की ही क्यों न हो.

पीठ ने केंद्र से कहा, ‘आपको उस भावना का सम्मान करना होगा जिसके तहत वह (सहायता) दी गई है. इसे (छोटी मात्रा में सहायता को) स्वीकार न करके आप उसे देने वाले व्यक्ति का अपमान कर रहे हैं.’

अदालत ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए वकील से कहा कि वह इस बारे में निर्देश लें कि छोटी मात्रा में विदेशी सहायता को भारतीय दूतावासों द्वारा क्यों स्वीकार नहीं किया जा रहा.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से पूछा कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा विकसित – एफईएलयूडीए और रे- कोविड जांच क्यों आरटीपीसीआर जांच की तरह लोकप्रिय नहीं हैं.

जस्टिस सांघी और जस्टिस पल्ली की पीठ ने आईसीएमआर का प्रतिनिधित्व कर रहे केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अनुराग अहलूवालिया से सवाल करते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर उन्हें जवाब पेश करने को कहा.

अदालत ने आईसीएमआर से दोनों जांचों की क्षमता बताने को भी कहा है.

अदालत ने यह सवाल न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव के यह सूचित करने पर पूछा कि इन दोनों जांच की क्षमता न सिर्फ आरटीपीसीआर के बराबर या बेहतर है बल्कि ये सस्ते भी हैं और एक घंटे से भी कम समय में तेजी से परिणाम देते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq