मध्य प्रदेश में विश्व हिंदू परिषद के नर्मदा संभाग के प्रमुख सरबजीत सिंह मोखा के अलावा तीन अन्य लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. मोखा पर आरोप है कि उन्होंने इंदौर से 500 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मंगाया था और इसे लगाने के बाद कथित तौर पांच मरीजों की बाद में मौत हो गई थी. मोखा को उनके पद से हटा दिया गया है.
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के लिए के एक निजी अस्पताल के संचालक सहित चार लोगों के खिलाफ बीते सोमवार को मामला दर्ज किया गया.
इन चार में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि दूसरा आरोपी नकली रेमडेसिविर बेचने के जुड़े अन्य मामले में गुजरात पुलिस की हिरासत में है.
एनडीटीवी के मुताबिक, इस मामले में सिटी हॉस्पिटल के निदेशक और मध्य प्रदेश में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नर्मदा संभाग के प्रमुख सरबजीत सिंह मोखा का भी नाम शामिल है.
मोखा पर आरोप है कि उन्होंने इंदौर से 500 फर्जी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मंगाया था और इसे कई कोविड-19 मरीजों को लगाया भी गया था. इसके चलते कथित तौर पर पांच मरीजों की बाद में मौत हो गई.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रोहित काशवानी ने बताया कि सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा एवं तीन अन्य लोगों के खिलाफ नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई है. ये चारों जबलपुर में इन नकली रेमडेसिविर इंजेक्शनों को बेचते थे.
उन्होंने कहा कि सिटी अस्पताल के कर्मचारी देवेश चौरसिया को गिरफ्तार किया गया है, जबकि मेडिसिन सप्लायर सपन जैन एवं एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ ओमती पुलिस थाने में मामला दर्ज है. सपन जैन को गुजरात पुलिस ने सात मई को गिरफ्तार किया था.
काशवानी ने बताया कि चौरसिया ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि जबलपुर में बेचे गए इन नकली रेमडेसिविर इंजेक्शनों को वे इंदौर से लेकर आया करते थे.
उन्होंने कहा कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के इस रैकेट का खुलासा पिछले सप्ताह जबलपुर में हुआ था.
वीएचपी प्रांत मंत्री राजेश तिवारी ने कहा है कि सरबजीत सिंह मोखा को उनके पद से हटा दिया गया है और पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.
इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदेश दिया है कि आरोपियों पर कोई भी नरमी न बरतते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.
इन चारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 274 (दवाओं में मिलावट), 275 (मिलावटी दवाओं की बिक्री), 308 (हत्या करने का प्रयास), 420 (धोखाधड़ी), 120बी (आपराधिक साजिश के लिए सजा) और आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं महामारी रोग अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इसके अलावा इंदौर में नमक और ग्लूकोज से बने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचकर यहां मरीजों की जान से खिलवाड़ करने के मामले में गिरफ्तार चार लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में गैर इरातदन हत्या का आरोप बढ़ा दिया गया है. ये इंजेक्शन पड़ोसी गुजरात से चलाए जा रहे अंतरप्रांतीय गिरोह ने बनाए थे. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी .
इंदौर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) हरि नारायणाचारी मिश्रा ने बताया, ‘नमक और ग्लूकोज से बने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के मामले में गिरफ्तार चार लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) जोड़ी गई है और इनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) पहले ही लगाया जा चुका है.’
नकली इंजेक्शन लगाए जाने के बाद इंदौर में कुछ मरीजों की मौत की खबरों के बारे में पूछे जाने पर मिश्रा ने कहा, ‘हमें इस बारे में कुछ शुरुआती सुराग मिले हैं और इनके आधार पर विस्तृत जांच की जा रही है.’
आईजी ने यह भी बताया कि मरीजों को नमक और ग्लूकोज से बने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के मामले में गिरफ्तार चार लोगों की अवैध इमारतों की पहचान की जा रही है. उन्होंने कहा, ‘हम इन अवैध निर्माणों को ध्वस्त करेंगे.’
विजय नगर पुलिस थाने के प्रभारी तहजीब काजी ने बीते रविवार को बताया था कि गुजरात के गिरोह ने पिछले एक महीने में इंदौर निवासी सुनील मिश्रा के जरिये मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कम से कम 1,200 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शनों की आपूर्ति की है और इनमें इंदौर, देवास और जबलपुर जिले शामिल हैं.
काजी ने बताया, ‘हम गुजरात में बने सात नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन इंदौर में बरामद कर चुके हैं. इन सबके पैकेट पर एक ही बैच नंबर दर्ज था.’
गौरतलब है कि गुजरात पुलिस ने पिछले दिनों सूरत में नमक और ग्लूकोज के पानी से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाले गिरोह का खुलासा करते हुए छह लोगों को गिरफ्तार किया था. इस गिरोह के तार मध्य प्रदेश से भी जुड़े पाए गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)