कोरोना वायरस की दूसरी लहर और दिल्ली में जारी लॉकडाउन के बीच सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नई संसद के निर्माण का काम ज़ोर-शोर से जारी है, जिसकी विपक्ष के नेता लगातार आलोचना कर रहे हैं. दुनिया भर के प्रसिद्ध विद्वानों, कलाकारों, लेखकों आदि ने भी कोविड-19 के कारण पैदा हुए जनस्वास्थ्य आपातकाल के दौरान भारत सरकार की इस योजना को तत्काल रोकने की मांग की है.
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा समेत 12 प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति को लेकर बुधवार को चिंता जताई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि केंद्र सरकार वैश्विक एवं घरेलू स्तर के सभी स्रोतों से टीकों की खरीद करे तथा सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोककर इसका पैसा टीकाकरण के लिए इस्तेमाल किया जाए.
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इन नेताओं ने सभी देशवासियों को मुफ्त में टीका लगाने की व्यवस्था करने, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने, ‘पीएम केयर्स’ कोष की पूरी राशि का इस्तेमाल जरूरी चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए करने और सभी बेरोजगार लोगों को प्रति माह 6,000 रुपये प्रदान की मांग भी की है.
कांग्रेस की तरफ से सोनिया और जनता दल (एस) की तरफ से देवगौड़ा के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, शिवसेना प्रमुख एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह पत्र लिखा है.
इनके अलावा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, भाकपा महासचिव डी. राजा और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी भी यह साझा पत्र भेजने वाले नेताओं में शामिल हैं.
इन नेताओं ने पत्र में कहा, ‘देश में कोरोना महामारी अप्रत्याशित स्तर के मानवीय संकट का रूप ले चुकी है. हमने अतीत में भी आपका ध्यान उन कदमों की ओर खींचा था जिन्हें केंद्र सरकार की ओर से उठाया जाना और लागू किया जाना जरूरी है. दुर्भाग्यवश आपकी सरकार ने सभी सुझावों को नजरंदाज कर दिया या फिर मानने से इनकार कर दिया. इस तरह से स्थिति भयावह मानवीय त्रासदी की तरफ बढ़ गई.’
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया, ‘केंद्र के स्तर पर वैश्विक और घरेलू सभी उपलब्ध स्रोतों से टीकों की खरीद की जाए. तत्काल पूरे देश में सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण की शुरुआत की जाए. टीकों के घरेलू निर्माण को बढ़ाने के लिए जरूरी लाइसेंस दिए जाएं.’
विपक्षी नेताओं ने यह मांग भी की, ‘बजट में आवंटित 35,000 करोड़ रुपये टीके के लिए खर्च किए जाएं. सेंट्रल विस्टा परियोजना पर रोक लगाई जाए. इसके लिए तय राशि का इस्तेमाल ऑक्सीजन और टीके की खरीद में किया जाए. बिना लेखा-जोखा वाले ट्रस्ट फंड ‘पीएम केयर्स’ में मौजूद सारी राशि का इस्तेमाल टीके, ऑक्सीजन और जरूरी चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए किया जाए.’
उन्होंने कहा, ‘सभी बेरोजगार लोगों को 6,000 रुपये महीने दिए जाएं. जरूरतमंद लोगों को केंद्र सरकार के अन्न गोदामों से अनाज मुहैया कराया जाए. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए, ताकि लाखों अन्नदाता महामारी से बच सकें और भारतीय नागरिकों को खिलाने के लिए अन्न पैदा कर सकें.’
विपक्ष के प्रमुख नेताओं ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि भारत और हमारी जनता के हित में इन सुझावों को आपकी तरफ से सराहा जाएगा.’
इससे पहले विपक्ष के 13 प्रमुख नेताओं ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि वह सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति तथा देश भर में मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम सुनिश्चित करे.
गौरतलब है कि देश में गुरुवार को एक दिन में कोविड-19 के 362,727 नए मामले सामने आए और 4120 लोगों की मौत हुई. इस तरह संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 23,703,665 हो गए और मृतकों की संख्या 258,317 हो गई.
दुनिया तमाम लेखकों और कलाकारों ने सेंट्रल विस्टा पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया
वैश्विक स्तर के 75 से अधिक प्रसिद्ध विद्वानों, कलाकारों, लेखकों, क्यूरेटरों और संग्रहालय के पेशेवरों ने बुधवार को जारी एक बयान में मौजूदा कोविड-19 लहर के कारण पैदा हुए जनस्वास्थ्य आपातकाल के दौरान नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास के भारत सरकार की योजना को तत्काल रोकने की मांग की है.
रिपोर्ट के अनुसार, इस समूह में न्यूयॉर्क में मॉडर्न आर्ट म्यूजियन के निदेशक ग्लेन लॉरी, कलाकार अनिश कपूर, तुर्की लेखक ओरहान पामुक, लंदन स्थित विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम के सुसन स्ट्रोंज, न्यूयॉर्क में मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम के नवीना नजत हैदर के साथ दुनिया में कला, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र के अन्य लोग शामिल हैं.
इन लोगों ने परियोजना की आवश्यकता पर एक सार्वजनिक परामर्श के लिए भी मांग की है, जिसमें एक दर्जन या अधिक इमारतों के विध्वंस शामिल होंगे, जिनमें कई ऐसे भी हैं जो राष्ट्रीय संग्रहालय की तरह विशाल सांस्कृतिक मूल्य के हैं.
हस्ताक्षरकर्ताओं की एक प्रमुख चिंता राष्ट्रीय संग्रहालय, राष्ट्रीय अभिलेखागार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की अमूल्य रिपॉजिटरी के सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से पुनर्वास को लेकर भारी चुनौतियां हैं.
मालूम हो कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर और दिल्ली में जारी लॉकडाउन के बीच सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम जोर-शोर से जारी है.
इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नए त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है. इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा. इस परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है.
यह योजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के मुताबिक नई इमारत संसद भवन संपदा की प्लॉट संख्या 118 पर बनेगी.
नरेंद्र मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य 3.2 किलोमीटर के क्षेत्र को पुनर्विकास करना है, जिसका नाम सेंट्रल विस्टा है, जो 1930 के दशक में अंग्रेजों द्वारा निर्मित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में स्थित है. जिसमें कई सरकारी इमारतों, जिसमें कई प्रतिष्ठित स्थल भी शामिल हैं, को तोड़ना और पुनर्निर्माण करना शामिल है और कुल 20,000 करोड़ रुपये की लागत से एक नई संसद का निर्माण करना है.
नई इमारत में ज्यादा सांसदों के लिए जगह होगी, क्योंकि परिसीमन के बाद लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है. इसमें करीब 1400 सांसदों के बैठने की जगह होगी. लोकसभा के लिए 888 (वर्तमान में 543) और राज्यसभा के लिए 384 (वर्तमान में 245) सीट होगी.
जैसा कि कुछ लोगों ने कहा है कि सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना पर जो राशि खर्च कर रही है, वह हजारों ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों के निर्माण के लिए पर्याप्त होगी. केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे 162 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की लागत 201 करोड़ रुपये है. इसके विपरीत सिर्फ नए संसद भवन का बजट लगभग पांच गुना अधिक 971 करोड़ रुपये का है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)