गोवा: शीर्ष सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन का दबाव कम होने से पंद्रह और लोगों की जान गई

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा अधिकारियों को ऑक्सीजन की कमी से मरीज़ों की मौत न होने की बात सुनिश्चित करने के निर्देश के एक दिन बाद गोवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन का दबाव कम होने के चलते पंद्रह मरीज़ों की जान चली गई. इससे पहले यहां कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी या ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा के चलते 48 घंटे में 47 कोरोना मरीज़ों की मौत हुई थी.

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(फोटो: पीटीआई)

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा अधिकारियों को ऑक्सीजन की कमी से मरीज़ों की मौत न होने की बात सुनिश्चित करने के निर्देश के एक दिन बाद गोवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन का दबाव कम होने के चलते पंद्रह मरीज़ों की जान चली गई. इससे पहले यहां कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी या ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा के चलते 48 घंटे में 47 कोरोना मरीज़ों की मौत हुई थी.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

पणजी/नई दिल्ली: गोवा सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि गोवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जीएमसीएच) में गुरुवार को कोविड-19 के और 15 मरीजों की मौत हुई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ द्वारा ऑक्सीजन की कमी की मौजूदा स्थितियों पर गहरी चिंता जाहिर करने के एक दिन बाद गुरुवार को भी रात दो बजे से सुबह छह बजे के बीच ऑक्सीजन का दबाव कम होने के चलते पंद्रह मरीजों की जान चली गई.

बताया गया कि मरीजों के परिजनों ने रात एक बजे के करीब से कोविड वॉर्ड्स में ऑक्सीजन का दबाव कम होने को लेकर अस्पताल के डॉक्टरों को कॉल करना शुरू किया था. अदालत में कोविड प्रबंधन को लेकर दायर जनहित याचिका की एक याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्होंने एसओएस कॉल मिलते ही प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी थी और पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी.

हालांकि डॉक्टरों ने बताया कि इसे बीस मिनट में ठीक कर दिया गया था लेकिन तब तक 15 मरीजों के लिए यह स्थिति जानलेवा साबित हुई है.

गौरतलब है कि बुधवार को कोर्ट ने अधिकारियों से कहा था कि वे सुनिश्चित करें की ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीजों की मौत न हो. पीठ का कहना था कि ऐसी परिस्थितियों में लोगों की मौत होना जीवन के अधिकार का उल्लंघन है.

मालूम हो कि द वायर  ने बीते 12 मई को अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि जीएमसीएच में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी या ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा पहुंचाने के चलते 48 घंटे में 47 कोरोना मरीजों की मौत हुई थी. इस घोर लापरवाही के लिए राज्य की भाजपा सरकार और अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

इसमें से मंगलवार (11 मई) को ऑक्सीजन की कमी के चलते 26 कोविड-19 मरीजों और बुधवार को 21 कोरोना मरीजों की मौत हुई थी. इसे लेकर खुद गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने हाईकोर्ट से जांच करने की मांग की थी. इसके चलते मुख्यमंत्री प्रमोद सावंद और राणे के बीच विवाद भी खड़ा हो गया है.

दरअसल मुख्यमंत्री का कहना था कि ऑक्सीजन आपूर्ति में देरी से अस्पताल की केंद्रीय आपूर्ति में दबाव कम हो गया है और यह नहीं कहा जा सकता है कि मौत इसी वजह से हुई है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि राज्य में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है.

वहीं स्वास्थ्य मंत्री राणे ने पत्रकारों से बात करते हुए जीएमसीएच में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी की बात स्वीकार की थी.

उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने कहा कि राज्य प्रशासन ने उसे बताया कि इनमें से कुछ मौतें ‘उपकरण संबंधी दिक्कतों’ से जुड़ी हो सकती हैं, जैसे ऑक्सीजन के कई सिलेंडरों को साथ जोड़ने से आपूर्ति के दौरान प्रेशर (दबाव) में कमी आना.

अदालत ने कहा कि जीएमसीएच में कोविड-19 के मरीजों को चिकित्सकीय ऑक्सीजन मुहैया कराने के उसके आदेश के बावजूद इस सरकारी अस्पताल में गुरुवार तड़के दो बजे से छह बजे के बीच और 15 लोगों की मौत हुई है.

पीठ कथित रूप से चिकित्सकीय ऑक्सीजन की कमी से जीएमसीएच में कोविड-19 मरीजों की मौत से जुड़ी कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार सुनिश्चित करे कि गोवा को ऑक्सीजन का तय कोटा जल्द से जल्द उपलब्ध हो. राज्य में फिलहाल संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.

जस्टिस नितिन डब्ल्यू. साम्बरे और जस्टिस एम. एस. सोनाक की पीठ ने कहा कि 12 मई के आदेश के बावजूद अदालत को बड़े दुख के साथ यह दर्ज करना पड़ रहा है कि आज (गुरुवार को) जीएमसीएच में कोविड-19 से करीब 40 मरीजों की मौत हुई है.

अदालत ने कहा कि इनमें से करीब 15 लोगों की मौत देर रात दो बजे से सुबह छह बजे के बीच हुई है.

 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि गुरुवार रात एक बजे के करीब सेंट्रल पाइपलाइन का दबाव कम होने लगा था और उनकी कोशिशों के बावजूद तीन मरीजों को नहीं बचाया जा सका.

उन्होंने बताया कि गंभीर मरीजों के साथ उनके परिजन थे, जिन्होंने रोगियों की बिगड़ती हालत के बारे में बताया. इससे पहले बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात को भी ऑक्सीजन का दबाव 4-5 बार कम हुआ था.

यह डॉक्टर इस अस्पताल में फरवरी 2020 से हैं. उन्होंने आगे बताया कि दबाव कम होने की यह समस्या बीते दो सप्ताह से हो रही है. रात की अपेक्षा दिन में इसे संभाला जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘कल (बुधवार) हमारे वॉर्ड में 18 मरीज वेंटिलेटर पर थे. जब इन सबका सैचुरेशन लेवल एकदम से नीचे आया हमें नहीं पता था कि हमें क्या करना है. वॉर्ड में केवल हम दो रेजिडेंट थे.

उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने अस्पताल के सेंट्रल ऑक्सीजन पैनल के नंबर पर फोन किया था, लेकिन इसका जवाब नहीं मिला.

गोवा ने केंद्र से की शिकायत, महाराष्ट्र से तरल ऑक्सीजन का पूरा कोटा नहीं मिल रहा

इस बीच गोवा सरकार ने केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि उसे महाराष्ट्र के कोल्हापुर से 11 टन तरल ऑक्सीजन का दैनिक आवंटित कोटा नहीं मिल रहा है.

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की अतिरिक्त सचिव सुमिता डावरा को लिखे पत्र में गोवा के प्रधान सचिव पुनीत कुमार गोयल ने कहा कि पिछले 10 दिनों में विभिन्न कारणों से आवंटन में 40 टन से अधिक की कमी रही है.

उन्होंने कहा है कि 1-10 मई के दौरान, राज्य को आवंटित 110 टन में से कोल्हापुर से केवल 66.74 टन तरल ऑक्सीजन प्राप्त हुई थी.

12 मई को लिखे पत्र में कहा गया, ‘यह एक आग्रहपूर्ण अनुरोध है कि हमें 11 टन के स्थान पर कम से कम एक सप्ताह के लिए 22 टन प्रतिदिन दिए जाने चाहिए.’

गोयल ने कहा कि कोल्हापुर से 11 टन का आवंटन गोवा के 26 टन तरल ऑक्सीजन के कुल आवंटन का 40 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा, ‘इस प्रकार, कोल्हापुर से ऑक्सीजन की समय पर और पर्याप्त आपूर्ति हमारे रोगियों की बढ़ती जरूरतों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.’

प्रदेश में कोविड19 के सक्रिय मामलों की संख्या 32,900 से अधिक हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)