पटना हाईकोर्ट ने कहा, कोविड-19 से गांवों में हुईं मौतों का आंकड़ा दे बिहार सरकार

हाईकोर्ट ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार से ज़िलावार मौतों का आंकड़ा पेश करने को कहा है. साथ ही सरकार से पहली लहर के दौरान गांवों में लौटे लगभग 40 लाख प्रवासियों की स्थिति रिपोर्ट के अलावा बक्सर में गंगा नदी में तैरती पाई गईं संदिग्ध कोरोना संक्रमित लाशों पर जवाब दाख़िल करने को कहा है.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फोटो: पीटीआई)

पटना हाईकोर्ट ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार से ज़िलावार मौतों का आंकड़ा पेश करने को कहा है. साथ ही सरकार से पहली लहर के दौरान गांवों में लौटे लगभग 40 लाख प्रवासियों की स्थिति रिपोर्ट के अलावा बक्सर में गंगा नदी में तैरती पाई गईं संदिग्ध कोरोना संक्रमित लाशों पर जवाब दाख़िल करने को कहा है.

पटना हाईकोर्ट (फोटोः पीटीआई)
पटना हाईकोर्ट (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्ली: पटना हाईकोर्ट ने बीते बुधवार को बिहार की नीतीश सरकार से महामारी की दूसरी लहर के दौरान गांवों में कोविड-19 से हुईं मौतों का हिसाब देने को कहा है. इसके साथ ही सरकार से पहली लहर के दौरान गांवों में लौटे लगभग 40 लाख प्रवासियों की स्थिति प्रस्तुत करने को भी कहा है.

साथ ही बक्सर में गंगा नदी में तैरती पाई गईं लाशों के बारे में भी राज्य सरकार से जवाब मांगा गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश संजय कारोल और जस्टिस एस. कुमार की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से कहा कि वे विस्तृत रिपोर्ट दायर कर बताएं कि कोरोना संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. न्यायालय ने जिला-वार मौतों के आंकड़े भी पेश करने को कहा है.

कोर्ट ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक ध्यान देने की जरूरत है और ये सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी कोरोना से संबंधिक स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से महरूम न रहे.

उन्होंने कहा कि गांवों में आमतौर पर लोग इतने जानकार नहीं होते हैं और न ही वे इसकी जानकारी देने के इच्छुक होते हैं.

हाईकोर्ट ने कहा कि गांव के मुखिया/उप-मुखिया/प्रमुख/उप-प्रमुख/अध्यक्ष/उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि उनके अधिकार क्षेत्र में हो रहीं सभी मौतों के बारे में 24 घंटे के भीतर के बताया जाए. इसके आधार पर प्रशासन मौतों के कारणों का पता लगा सकेगा और महामारी को रोकने के लिए उपयुक्त कदम उठाए जा सकेंगे.

न्यायालय ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि जो भी इन निर्देशों का पालन नहीं करेगा, उन्हें पद से हटाने के लिए कोर्ट आदेश जारी करने में नहीं हिचकिचाएगा.

कोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में मदद पहुंचाने पर जोर देते हुए कहा कि 2011 की जनगणना से स्पष्ट है कि राज्य की करीब 90 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. ऐसा नहीं है कि कोरोना सिर्फ शहरी लोगों को ही संकट में डालता है. ऐसा भी नहीं है कि यह ग्रामीण क्षेत्र के अमीर या गरीब को प्रभावित नहीं करता है.

पटना हाईकोर्ट ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग से लेकर आइसोलेशन तक की सुचारू व्यवस्था की जानी चाहिए, क्योंकि हमें तीसरी लहर के लिए भी सतर्क रहना है.

इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी.