केंद्र का यूपी-बिहार को निर्देश, शवों को गंगा और सहायक नदियों में फेंकने पर रोक लगे

केंद्र ने कहा कि हाल ही में गंगा और इसकी सहायक नदियों में शवों, आंशिक रूप से जले और क्षत-विक्षत शव प्रवाहित करने के कई मामले सामने आए हैं. यह अनुचित और बेहद चिंताजनक है. नमामि गंगे मिशन राज्यों को इस पर रोक लगाने और शवों का सुरक्षित और सम्मानजनक निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश देता है.

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बक्सर के चौसा गांव में गंगा के घाट पर शव. (फोटो: पीटीआई)

केंद्र ने कहा कि हाल ही में गंगा और इसकी सहायक नदियों में शवों, आंशिक रूप से जले और क्षत-विक्षत शव प्रवाहित करने के कई मामले सामने आए हैं. यह अनुचित और बेहद चिंताजनक है. नमामि गंगे मिशन राज्यों को इस पर रोक लगाने और शवों का सुरक्षित और सम्मानजनक निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश देता है.

बक्सर के चौसा गांव में गंगा के घाट पर शव. (फोटो: पीटीआई)
बक्सर के चौसा गांव में गंगा के घाट पर शव. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने के मामले पर केंद्र सरकार ने रविवार को उत्तर प्रदेश और बिहार को निर्देश दिए हैं  .

केंद्र ने इन दोनों राज्‍यों से कहा है कि शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने पर रोक लगाई जाए. साथ ही उनके सुरक्षित और सम्मानजनक अंतिम संस्कार पर जोर दिया जाए.

यह निर्देश ऐसे समय दिया गया है जब हाल में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं. इसके बाद इन नदियों में अनेक शव तैरते मिले थे.

केंद्र सरकार ने 15-16 मई को एक समीक्षा बैठक की. इसमें कहा कि हाल ही में शवों, आंशिक रूप से जले और क्षत-विक्षत शव प्रवाहित करने के कई मामले सामने आए हैं. यह अनुचित और बेहद चिंताजनक है.

जलशक्ति मंत्रालय ने कहा, ‘नमामि गंगे (मिशन) राज्यों को गंगा में शवों को प्रवाहित करने पर रोक लगाने और उनके सुरक्षित निस्तारण और सम्मानजनक अंतिम संस्कार पर बल देने का निर्देश देता है.’

इसके साथ ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर बार-बार पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संपूर्ण निगरानी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों का मार्गदर्शन करने और इस विषय में उच्चस्तरीय मूल्यांकन करने का जिम्मा सौंपा गया है.

मंत्रालय ने कहा कि अंतिम संस्कार के वास्ते सहयोग को उच्च प्राथमिकता देने की जरूरत है. साथ ही सरकारी आदेशों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. ये सारे काम अविलंब किए जाएं.

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने 11 मई को इस संबंध में जिलाधिकारियों को परामर्श जारी किया था.

इसके बाद नदियों में शवों को फेंके जाने से रोकने तथा कोविड-19 के मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार पर्यावरण दिशानिर्देशों के अनुसार सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिवों को पत्र लिखा गया.

जलशक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में 15 मई को हुई बैठक में इस संबंध में उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई. साथ ही आगे की कार्रवाई के बिंदुओं पर फैसला किया गया.

दोनों राज्यों को नदी और उसकी सहायक नदियों में शवों के डंपिंग के मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था.

बता दें कि बीते दिनों बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा और इसकी सहायक नदियों में बड़ी संख्या में संदिग्ध कोरोना संक्रमितों के शव तैरते हुए मिले थे. बीते 10 मई को उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे बिहार में बक्सर जिले के चौसा के समीप गंगा नदी से 71 शवों को निकाला गया था.

इसके अलावा कई मीडिया रिपोर्ट में बताया है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 2000 से अधिक शव आधे-अधूरे तरीके या जल्दबाजी में दफनाए गए या गंगा किनारे पर मिले हैं.

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह अकेले उन्नाव में 900 से अधिक शवों को नदी के किनारे दफनाया गया था. उसने कन्नौज में यह संख्या 350, कानपुर में 400, गाजीपुर में 280 बताई. उसने बताया कि मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे शवों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)