भीमा कोरेगांव हिंसा-एल्गार परिषद मामले में 84 वर्षीय कार्यकर्ता स्टेन स्वामी के ख़िलाफ़ आईपीसी की विभिन्न धाराओं समेत कठोर यूएपीए क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. पिछले साल एनआईए ने उन्हें गिरफ़्तार किया था. पार्किंसन जैसी बीमारी से जूझने के बावजूद उनकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
नई दिल्ली: कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय लोगों के समूह झारखंड जनअधिकार महासभा ने महाराष्ट्र सरकार से गुजारिश की है कि आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी (84 वर्ष) को इलाज के लिए तत्काल अस्पताल में शिफ्ट किया जाए. स्वामी इस समय राज्य की तलोजा जेल में बंद हैं.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृहमंत्री दिलीप वालसे पाटिल को लिखे पत्र में कार्यकर्ताओं ने कहा है कि स्टेन स्वामी पार्किंसन की बीमारी से पीड़ित हैं और उनके दोनों हाथों में गंभीर कंपकपी होती रहती है.
उन्होंने कहा, ‘उन्हें ग्लास से पानी पीने, नहाने और कपड़े धोने में काफी समस्या होती है. वे सही से सुन भी नहीं पाते हैं, जिसके लिए उनके दोनों कानों में सुनने वाली मशीन लगाने की जरूरत है. उनका हर्निया के लिए दो बार ऑपरेशन भी हो चुका है.’
मालूम हो कि एल्गार परिषद मामले में पिछले साल अक्टूबर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उन्हें गिरफ्तार किया था. भीमा कोरेगांव हिंसा-एल्गार परिषद मामले में उनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं समेत कठोर यूएपीए कानून के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.
एनआईए जज ने मेडिकल आधार पर भी 84 वर्षीय स्टेन स्वामी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जबकि वे पार्किंसन समेत कई अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं.
पत्र में कहा गया है कि स्टेन स्वामी ने 14 मई को अपने सहयोगी को कॉल करके बताया था कि वे ठीक नहीं हैं. वे फोन पर भी ठीक से बात नहीं कर पाए और दवाओं का उनके स्वास्थ्य पर असर नहीं हो रहा है.
झारखंड जनाधिकार महासभा ने कहा, ‘अभी उनका कोरोना टेस्ट किया जाना बाकी है. अभी तक उन्हें कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगा है.’
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कार्यकर्ताओं ने गुजारिश की है कि स्टेन स्वामी को अस्पताल में शिफ्ट किया जाए.
पत्र में यह भी कहा गया है कि आदिवासियों, ग्राम सभाओं, नागरिक समाज, कई राजनीतिक नेताओं एवं पार्टियों और झारखंड के मुख्यमंत्री ने उन्हें समर्थन दिया है.
इससे पहले देश और दुनिया के 2,500 से सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, कलाकारों समेत कई लोगों ने 84 वर्षीय स्टेन स्वामी को जमानत देने की अपील की थी.
स्वामी उन 16 शिक्षाविदों, वकील और कार्यकर्ताओं में से एक हैं, जिन्हें एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किया गया है.
इस मामले में पहले दौर की गिरफ्तारियां जून 2018 में हुई थीं. उस समय पुणे पुलिस इस मामले को देख रही थी, लेकिन महाराष्ट्र में भाजपा सरकार के गिरने के बाद पिछले साल जनवरी में एनआईए ने इस मामले की जिम्मेदारी ले ली थी.
(इस पत्र को पूरा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)