उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने हालिया पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य विभागीय कर्मियों की कोविड संक्रमण से मृत्यु का दावा करते हुए एक करोड़ रुपये मुआवज़े और आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की मांग की थी. बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने इस दावे को ग़लत ठहराया है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठनों द्वारा राज्य में हाल में हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य विभागीय कर्मियों की मृत्यु का दावे के विपरीत राज्य सरकार ने कहा है कि चुनाव ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने राज्य में हाल में हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य विभागीय कर्मियों की मृत्यु का दावा करते हुए सभी के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा राशि और आश्रितों को सरकारी नौकरी की मांग की थी.
हालांकि, बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने इस दावे को गलत ठहराते हुए कहा है कि स्थापित मानकों के हिसाब से देखें तो चुनाव ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है.
Only 3 teachers died during poll duties. We're working on compensation to their families. Other teachers might have died due to #COVID19, like others. I'd like to tell Rahul & Priyanka Gandhi to not do politics on corpses: UP Min Satish Dwivedi on Congress' Priyanka GV's tweet pic.twitter.com/6fJYLzqi7v
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 19, 2021
उन्होंने कहा, ‘चुनाव कर्मियों की ड्यूटी के दौरान मौत के मामले में उनके परिजन को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति से संबंधित चुनाव आयोग की स्पष्ट नियमावली है. इसके मुताबिक अगर किसी कर्मी की चुनाव ड्यूटी के लिए रवाना होने के बाद से अपनी इस जिम्मेदारी के मुकम्मल होने के बीच मृत्यु होती है तभी उसे चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई मृत्यु माना जाता है.’
मंत्री ने कहा, ‘हो सकता है कि और भी मौतें हुई हों. कोविड-19 से हजारों लोग मारे गए हैं जिनमें शिक्षक भी शामिल हैं. हमें उनकी मृत्यु पर दुख है.’
उन्होंने कहा, ‘शिक्षक संघ ने जो सूची दी है उनमें शामिल सभी लोगों की मौत को चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई मौत नहीं माना जा सकता क्योंकि हमारे पास इसके लिए कोई निर्धारित पैमाना नहीं है. इसके अलावा हमारे पास इसका कोई ऑडिट भी नहीं है. कोई यह कैसे बता सकता है कि वे कब संक्रमित हुए.’
इस बीच बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 18 मई को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति को लेकर शिक्षक-कर्मचारी संगठन काफी नाराज हो गए हैं. इस विज्ञप्ति में राज्य निर्वाचन आयोग की के दिशानिर्देशों के मुताबिक अभी सिर्फ तीन शिक्षकों की मृत्यु होने की बात कही गई है.
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने 18 मई को देर रात अपने ट्विटर हैंडल पर बेसिक शिक्षा विभाग का एक प्रेस नोट शेयर करते हुए लिखा है, ‘ संवेदनहीनता, गैरजिम्मेदाराना व वास्तविकता से परे इस प्रेस नोट से अपने सैंकड़ों मृत हुए शिक्षक साथियों के बच्चों के हक को नहीं मारने देंगे. उनके परिवारों के हित में हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे. यही हमारी उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी.’
संवेदनहीनता,ग़ैरजिम्मेदाराना व वास्तविकता से परे इसप्रेस नोट से अपने सैंकड़ों मृत हुए शिक्षक साथियों के बच्चों के हक़ को नहीं मारने देंगे उनके परिवारों के हित में हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे ।यही हमारी उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।@rashtrapatibhvn @narendramodi pic.twitter.com/rlFmAf7bSe
— Dr Dinesh Chandra Sharma (@DrDCSHARMAUPPSS) May 18, 2021
बेसिक शिक्षा विभाग के अनु सचिव सत्य प्रकाश द्वारा जारी इस प्रेस नोट में लिखा है:
‘राज्य निर्वाचन आयग उत्तर प्रदेश द्वारा निर्गत गाइड लाइन के अनुसार निर्वाचन अवधि गणना मतदान/मतगणना संबंधी प्रशिक्षण एवं मतदान/मतगणना कार्य हेतु कर्मचारी के निवास स्थान से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने तथा डयूटी समाप्त कर उसके निवास स्थान तक पहुंचने की अवधि तक मान्य है. इस अवधि में किसी भी कारण से हुई मृत्यु की दशा में अनुग्रह राशि अनुमन्य है जिसका निर्धारण राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है.
राज्य निर्वाचन आयोग की उपरोक्त गाइडलाइन के अनुसार जिलाधिकारियों द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को अभी तक 03 शिक्षकों के मृत्यु की प्रमाणित सूचना प्रेषित की गई है. मृतकों के परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना है तथा मृतकों को अनुमन्य अनुग्रह राशि का भुगतान उनके परिजनों को शीघ्र कराया जाएगा. ‘
इसके पहले अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा 8 मई को सभी जिलाधिकारियों को चुनाव ड्यूटी में तैनात कार्मिकों को अनुग्रह धनराशि के भुगतान के विषय में निर्देश देते हुए एक पत्र जारी किया गया था.
इसमें कहा गया था कि अनुग्रह राशि (एक्स ग्रेशिया) मतदान/मतगणना से संबंधित प्रशिक्षण एवं मतदान/मतगणना में लगाए गए कर्मियों को निर्वाचन के दौरान मृत्यु होने या गंभीर रूप से घायल की दशा में अनुमन्य है. निर्वाचन अवधि की गणना मतदान/मतगणना संबंधी प्रशिक्षण एवं मतदान/मतगणना कार्य हेतु कर्मचारी के निवास स्थान से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने तक तथा ड्यूटी समाप्त कर उसके निवास स्थान तक पहुंचने की अवधि तक मान्य है.
इस निर्देश की जानकारी होने पर शिक्षक और कर्मचारियों ने आक्रोश जताया था. संगठनों का कहना था कि इस शर्त को लगाने का उद्देश्य कोरोना से दिवंगत हुए शिक्षकों-कर्मचारियों को अनुग्रह राशि और उनके आश्रितों को नौकरी से वंचित करना है.
कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने 12 मई को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संकमण से दिवंगत हुए शिक्षकों-कर्मचारियों को अनुग्रह राशि देने में शर्त लगाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी.
मंच ने कहा था कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले शिक्षक-कर्मचारी ट्रेनिग, मतदान/ मतगणना के दौरान कोविड से संक्रमित हुए और इसके चलते किसी की पाँच दिन , किसी की एक सप्ताह या उसके बाद मृत्यु हुई. इसलिए निर्वाचन अवधि की शर्त हटा देनी चाहिए.
डॉ. दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार पंचायत चुनाव ड्यूटी करने या उसके कुछ ही दिनों बाद मरने वाले शिक्षकों तथा अन्य कर्मियों को मुआवजा देने में दांवपेच कर रही है.
उन्होंने इल्जाम लगाया कि सरकार के शासनादेश की भाषा इस तरह लिखी गई है जिससे बहुत बड़ी संख्या में पात्र परिजन इस मुआवजे से महरूम रह जाएंगे.
शर्मा ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि कोविड-19 के लक्षण 24 घंटे में ही नजर नहीं आते बल्कि उनके सामने आने में कुछ दिनों का समय लगता है लेकिन सरकार ने अपने शासनादेश में कहा है कि पंचायत चुनाव ड्यूटी करने के 24 घंटे के अंदर जिन कर्मचारियों की मृत्यु होगी उनके परिजन को ही मुआवजा दिया जाएगा. यह सरासर अन्याय है और सरकार को संवेदनशील तरीके से सोच कर निर्णय लेना चाहिए.
वहीं, आरएसएस समर्थित संगठन राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ ने चुनाव ड्यूटी के दौरान कोविड-19 से राज्यभर में मरने वाले 1,205 प्राथमिक स्कूलों के शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की सूची तैयार की है.
राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ के संगठनात्मक सचिव शिवशंकर सिंह ने कहा, ‘सत्यापन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों दस्तावेजों पर नंबर गेम खेल रहे हैं जबकि मृतकों के परिजन जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. सरकार को इन परिवारों के साथ सहानुभूति और संवेदनशीलता दिखानी चाहिए. शिक्षकों को न्याय मिलने तक हम उनके साथ खड़े रहेंगे.’
बता दें कि उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने 16 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर कहा कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में पंचायत चुनावों ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों और कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है.
उन्होंने बताया कि पत्र के साथ एक सूची भी संलग्न की गई है जिसके मुताबिक आजमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई है. प्रदेश के 23 ऐसे जिले हैं, जहां 25 से अधिक शिक्षकों-कर्मचारियों की संक्रमण से मौत हुई है.
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप इन सभी मृत शिक्षकों/शिक्षामित्रों तथा अन्य कर्मचारियों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाए.
इस बीच, उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले कम से कम 200 शिक्षामित्रों की कोविड-19 से मृत्यु हुई है. इसके अलावा 107 अनुदेशकों और 100 से ज्यादा रसोइयों की भी इस संक्रमण के कारण मौत हुई है.
उन्होंने कहा कि सरकार अगर कायदे से पड़ताल कराए तो यह संख्या काफी ज्यादा हो सकती है.
विपक्ष ने साधा निशाना
इस बीच पंचायत चुनाव ड्यूटी में शिक्षकों के जान गंवाने के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने योगी सरकार पर निशाना साधा है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा, ‘पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते हुए मारे गए 1,621 शिक्षकों की उप्र शिक्षक संघ द्वारा जारी लिस्ट को संवेदनहीन यूपी सरकार झूठ कहकर मृत शिक्षकों की संख्या मात्र 3 बता रही है. शिक्षकों को जीते जी उचित सुरक्षा उपकरण और इलाज नहीं मिला और अब मृत्यु के बाद सरकार उनका सम्मान भी छीन रही है.’
पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते हुए मारे गए 1621 शिक्षकों की उप्र शिक्षक संघ द्वारा जारी लिस्ट को संवेदनहीन यूपी सरकार झूठ कहकर मृत शिक्षकों की संख्या मात्र 3 बता रही है।
शिक्षकों को जीते जी उचित सुरक्षा उपकरण और इलाज नहीं मिला और अब मृत्यु के बाद सरकार उनका सम्मान भी छीन रही है। pic.twitter.com/6mpkTsOQV7
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 19, 2021
वहीं बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कोरोना योद्धाओं, चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों के सेवाकाल के दौरान बीमार होने व उनकी मृत्यु होने पर बुधवार को गहरा दुख व्यक्त किया.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘यूपी में पंचायत चुनाव की ड्यूटी निभाने वाले शिक्षकों व अन्य सरकारी कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत की शिकायतें आम हो रही हैं, लेकिन इनकी सही जांच न होने के कारण इन्हें उचित सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है, जो घोर अनुचित है. सरकार इस पर तुरंत ध्यान दे.’
(उत्तर प्रदेश से मनोज सिंह और समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)