किसान आंदोलन टूलकिट मामला: कोर्ट ने जवाब दाख़िल नहीं करने पर केंद्र को लगाई फटकार

किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर जारी एक टूलकिट में संलिप्तता के आरोप में बीते 13 फरवरी को पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ़्तार किया गया था. अदालत ने बीते 17 मार्च को दिशा रवि की याचिका पर जवाब दाख़िल करने के लिए केंद्र सरकार को आख़िरी मौका दिया था. आरोप है कि किसान आंदोलन का पूरा घटनाक्रम टूलकिट में बताई गई कथित योजना से मिलता-जुलता है.

दिशा रवि. (फोटो साभार: फेसबुक)

किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर जारी एक टूलकिट में संलिप्तता के आरोप में बीते 13 फरवरी को पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ़्तार किया गया था. अदालत ने बीते 17 मार्च को दिशा रवि की याचिका पर जवाब दाख़िल करने के लिए केंद्र सरकार को आख़िरी मौका दिया था. आरोप है कि किसान आंदोलन का पूरा घटनाक्रम टूलकिट में बताई गई कथित योजना से मिलता-जुलता है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने टूलकिट मामले में आरोपी और पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की याचिका पर जवाब दाखिल नहीं करने पर केंद्र सरकार को मंगलवार को फटकार लगाई.

दिशा रवि ने अपनी याचिका में पुलिस को मामले में दर्ज प्राथमिकी और जांच संबंधी सामग्री मीडिया को कथित तौर पर लीक करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. अदालत ने इस साल 17 मार्च को दिशा रवि की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को आखिरी मौका दिया था.

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह केंद्र से कहा, ‘केंद्र सरकार के लिए क्या कोई आखिरी मौका नहीं होता? यह बहुत बुरी बात है. मुझे यह समझ नहीं आता कि यदि अदालत कहती है कि यह आखिरी अवसर है, तो इसका क्या अर्थ है?’

अदालत को यह बताया गया कि केंद्र ने दिशा रवि की याचिका पर अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है, जिसके बाद अदालत ने यह टिप्पणी की.

अदालत जवाब दाखिल नहीं करने के कारण केंद्र पर जुर्माना लगाना चाहती थी, लेकिन केंद्र सरकार के स्थायी वकील अजय दिग्पॉल ने पीठ को बताया कि कोविड-19 के कारण अधिकारी कार्यालय नहीं आ रहे और इसलिए जवाब दाखिल नहीं किया जा सका, तो अदालत ने जुर्माना नहीं लगाया.

इसके बाद अदातल ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का और समय दिया और मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

उल्लेखनीय है कि किसानों के प्रदर्शनों को लेकर सोशल मीडिया पर जारी टूलकिट में संलिप्तता के आरोप में 14 फरवरी को दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया था और निचली अदालत ने 19 फरवरी को उन्हें इस मामले में जमानत दे दी थी.

उन्हें को जमानत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि मामले की अधूरी और अस्पष्ट जांच को देखते हुए कोई ठोस कारण नहीं है कि बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड की किसी 22 साल की लड़की के लिए जमानत के नियम को तोड़ा जाए.

दिशा रवि ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी गिरफ्तारी और मामले में चल रही जांच को लेकर अनुचित तरीके से एवं पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर उनके खिलाफ ‘मीडिया ट्रायल’ किया जा रहा है, जिसमें पक्षकार संख्या एक (पुलिस) और मीडिया संस्थान उन्हें ‘अनुचित तरीके से निशाना’ बना रहे हैं.

उन्होंने दावा किया है कि 13 फरवरी को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ द्वारा बेंगलुरु में उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह से गैरकानूनी तरीके से और बिना किसी आधार के की गई.

गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि को जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले टूलकिट को साझा करने में कथित भूमिका के चलते 14 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था.

पुलिस का दावा है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा समेत किसान आंदोलन का पूरा घटनाक्रम ट्विटर पर साझा किए गए टूलकिट में बताई गई कथित योजना से मिलता-जुलता है.

यह टूलकिट एक दस्तावेज है, जो ट्विटर पर किसानों के लिए समर्थन जुटाने के लिए और भारतीय दूतावासों के बाहर विरोध प्रदर्शन करने जैसे कार्यों का सुझाव देता है. ट्विटर पर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए ग्रेटा ने इस टूलकिट को साझा किया था.

आरोप है कि इस ‘टूलकिट’ में भारत में अस्थिरता फैलाने को लेकर साजिश की योजना थी. किसान आंदोलन पर ट्वीट को लेकर दिल्‍ली पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था, इसमें आपराधिक साजिश और समूहों में दुश्‍मनी फैलाने का आरोप लगाया गया था.

दिल्ली पुलिस ने कहा था कि यह टूलकिट एक ऐसे सोशल मीडिया हैंडल से मिला था, जिस पर 26 जनवरी की हिंसा वाली घटनाओं की साजिश फैलाने के संकेत मिले हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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