अधिकारियों ने बताया कि पटियाला निवासी बलबीर सिंह और लुधियाना निवासी महिंदर सिंह की बीते 18 मई को मौत हो गई. वे सिंघू बॉर्डर के निकट विरोध प्रदर्शन कर रहे समूह में शामिल थे. केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते छह महीनों से किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
सोनीपत: केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ सोनीपत में प्रदर्शन कर रहे समूह में शामिल पंजाब के दो किसानों की मौत हो गई, जिनमें से एक कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है.
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि पटियाला निवासी बलबीर सिंह (50 वर्ष) और लुधियाना निवासी महिंदर सिंह (70 वर्ष) की बीते 18 मई को मौत हो गई. उन्होंने बताया कि वे सिंघू बॉर्डर के निकट विरोध प्रदर्शन कर रहे समूह में शामिल थे.
सोनीपत के मुख्य चिकित्सा अधिकारी जसवंत सिंह पूनिया ने बताया कि बलबीर को पिछले दो दिन से बुखार था.
उन्होंने बताया कि बलबीर को सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और जांच में उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई.
हालांकि राई थाना प्रभारी बिजेंदर सिंह ने बताया कि उन्हें अभी स्वास्थ्य अधिकारियों से रिपोर्ट नहीं मिली है.
कुंडली थाना प्रभारी रवि कुमार ने बताया कि महेंद्र का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और उनकी मौत का कारण अभी पता नहीं चल पाया है.
मालूम हो कि संयुक्त किसान मोर्चा सरकार से किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर भी टीकाकरण केंद्र स्थापित करने और वायरस से बचाव के लिए उन्हें जरूरी उपकरण मुहैया कराने तथा निर्देश देने का अनुरोध करता आ रहा है.
बीते 16 अप्रैल को भी संगठन ने कहा था कि प्रदर्शन स्थलों पर सरकार टीकाकरण केंद्र की शुरुआत करे और इससे जुड़ीं सुविधाएं मुहैया कराए. साथ ही दिल्ली के विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से कहा था कि वे मास्क पहनें और कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करें, ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके.
संयुक्त किसान मोर्चा के बयान के मुताबिक, अब तक किसान आंदोलन में विभिन्न कारणों से 470 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है.
बता दें कि केंद्र के नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और अन्य जगहों के हजारों किसान पिछले छह महीनों से सिंघू और टिकरी सहित दिल्ली के पास विभिन्न सीमा बिंदुओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
अब तक प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच अभी तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन गतिरोध बना हुआ है क्योंकि दोनों पक्ष अपने-अपने रूख पर अड़े हुए हैं. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के लिए किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से अब तक कोई बातचीत नहीं हो सकी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)