फेसबुक की नवीनतम पारदर्शिता रिपोर्ट के मुताबिक, यह आंकड़ा इससे पहले जनवरी-जून 2020 की तुलना में 13.3 प्रतिशत ज़्यादा है. भारत में राज्यों एवं केंद्र सरकार द्वारा ऐसे अनुरोधों की संख्या 2013 से लगातार बढ़ रही है. जनवरी और जून 2013 के बीच सरकार ने लगभग 3,250 अनुरोध किए थे, जो 2020 की इसी अवधि में दस गुना बढ़कर 35,600 हो गया.
नई दिल्ली: फेसबुक ने कहा है कि 2020 की दूसरी छमाही (जुलाई-दिसंबर) में उपयोगकर्ता (यूजर) डेटा के संबंध में भारत सरकार की तरफ से उसे 40,300 अनुरोध प्राप्त हुए.
फेसबुक की नवीनतम पारदर्शिता रिपोर्ट के मुताबिक, यह आंकड़ा इससे पहले जनवरी-जून 2020 की तुलना में 13.3 प्रतिशत ज्यादा है. इस दौरान सरकार से इस तरह के 35,560 अनुरोध प्राप्त हुए थे.
फेसबुक के मुताबिक, साल 2020 की दूसरी छमाही यानी कि जुलाई से दिसंबर के बीच सरकार के निर्देश एवं स्थानीय कानून के आधार पर 944 सामग्रियों पर रोक लगाई गई थी. वहीं पहली छमाही (जनवरी-जून) के दौरान ऐसे 824 आइटम्स पर रोक लगाई गई थी.
अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनी ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निर्देशानुसार, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए का उल्लंघन करने पर 2020 की दूसरी छमाही में भारत में 878 सामग्रियों पर रोक लगी दी थी. इनमें राज्य और सार्वजनिक व्यवस्था की सुरक्षा के खिलाफ सामग्री शामिल है.
कंपनी ने कहा कि इसमें से 10 सामग्री पर अस्थाई रूप से रोक लगाई गई थी. वहीं 54 अन्य सामग्रियों पर कोर्ट के आदेश के बाद रोक लगाई गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई-दिसंबर 2020 के बीच भारत सरकार ने कुल 40,300 अनुरोध किए, जिनमें से 37,865 कानूनी प्रक्रिया संबंधी अनुरोध थे, जबकि बाकी 2,435 आपात खुलासे से संबंधित अनुरोध थे.
भारत इस तरह के अनुरोध की संख्या के लिहाज से अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है, जहां इस अवधि में इस तरह के 61,262 अनुरोध किए गए.
दुनिया भर में 2020 की पहली छमाही के 173,592 अनुरोधों की तुलना में दूसरी छमाही में इनमें 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई और यह संख्या 191,013 रही.
भारत में उपभोक्ताओं/खाते से जुड़ी सूचना के लिए 62,754 अनुरोध किए गए और 52 प्रतिशत अनुरोधों में कुछ सूचनाएं प्रदान की गयीं.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘फेसबुक लागू होने वाले कानूनों और अपनी सेवा शर्तों के अनुरूप डेटा से जुड़े सरकार के अनुरोधों का जवाब देती है. हमें मिलने वाले हर अनुरोध की कानूनी योग्यता के लिए गहन समीक्षा की जाती है और बेहद व्यापक या जटिल लगने वाले अनुरोधों को हम खारिज कर सकते हैं या उनके लिए ज्यादा विनिर्दिष्टता की मांग कर सकते हैं.’
भारत में राज्यों एवं केंद्र सरकार द्वारा इस तरह के अनुरोधों की संख्या 2013 से लगातार बढ़ रही है. जनवरी और जून 2013 के बीच सरकार ने लगभग 3,250 अनुरोध किए थे, जो 2020 की इसी अवधि में दस गुना बढ़कर 35,600 हो गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)