सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे एक वीडियो का हवाला देते हुए भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने कहा कि रामेदव कह रहे हैं कि ‘एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है’. आईएमए, एम्स आरडीए, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन समेत कई अस्पतालों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर रामदेव के ख़िलाफ़ महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है.
नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए), दिल्ली स्थित एम्स, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए), दिल्ली सहित सफदरजंग सहित देश के कई बड़े अस्पतालों ने शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को योग सिखाने वाले रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने एलोपैथी के खिलाफ ‘गैरजिम्मेदाराना’ बयान दिए और वैज्ञानिक दवा की छवि बिगाड़ी.
डॉक्टरों की शीर्ष संस्था आईएमए ने एक बयान में कहा कि रामदेव पर महामारी रोग कानून के तहत मुकदमा चलाना चाहिए क्योंकि ‘अशिक्षित’ बयान ‘देश के शिक्षित समाज के लिए एक खतरा है, साथ ही गरीब लोग इसका शिकार हो रहे हैं.’
IMA HQs Press Release on 22.05.2021 pic.twitter.com/rrc1LXA24n
— Indian Medical Association (@IMAIndiaOrg) May 22, 2021
सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे एक वीडियो का हवाला देते हुए आईएमए ने कहा कि रामेदव कह रहे हैं कि ‘एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है’. उन्होंने यह भी कहा कि एलोपैथी की दवाएं लेने के बाद लाखों लोगों की मौत हो गई.
आईएमए ने कहा कि रामदेव ने दावा किया कि भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा स्वीकृत रेमडेसिविर, फैबीफ्लू और सभी अन्य दवाएं कोविड-19 मरीजों के इलाज में विफल हो गई हैं.
उसने आरोप लगाया कि रामदेव स्थिति का फायदा उठाने और व्यापक पैमाने पर लोगों के बीच डर तथा आक्रोश पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.
आईएमए ने कहा कि वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं ‘ताकि वह अपनी गैरकानूनी और गैर मान्यता प्राप्त तथाकथित दवाएं बेच सकें और लोगों की जान की कीमत पर पैसा कमा सकें.’
उसने कहा, ‘आईएमए मांग करती है और यह संकल्प लेती है कि अगर मंत्री (हर्षवर्धन) स्वत: संज्ञान कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो हमें आम आदमी के समक्ष सच्चाई लाने के संघर्ष के लिए लोकतांत्रिक माध्यमों का सहारा लेना पड़ेगा और न्याय पाने के लिए न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.’
आईएमए ने कहा, ‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (हर्षवर्धन), जो खुद आधुनिक चिकित्सा एलोपैथी के डॉक्टर रह चुके हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख हैं, वे या तो इन सज्जन की चुनौती और आरोप स्वीकार करें और आधुनिक चिकित्सा की सुविधा भंग कर दें या ऐसी अवैज्ञानिक बातों से लाखों लोगों को बचाने के लिए उन पर (रामदेव) महामारी कानून के तहत मुकदमा दर्ज करें.’
Baba Ramdev says Lakhs of Covid Patients have died only due to Allopathy medicine. His Ayurvedic Products were recently promoted by non other than Union Health Minister & Chairman of @WHO exicutive board, Dr @drharshvardhan & Union Minister @nitin_gadkaripic.twitter.com/B5IMn5Gic7
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) May 22, 2021
सोशल मीडिया पर चल रहे इस वीडियो में रामदेव कथित तौर पर कह रहे हैं, ‘एलोपैथी एक ऐसी स्टुपिड और दिवालिया साइंस है कि पहले क्लोरोक्वीन (हाइड्रॉक्सीक्लोक्वीन) फेल हुई, फिर रेमडेसिविर फेल हो गई, फिर इनके एंटीबायोटिक्स फेल हो गए, फिर इनके स्टेरॉयड फेल हो गए, प्लाज्मा थेरेपी के ऊपर भी कल बैन लग गया और माक्विन भी फेल हो गया और अभी बुखार के लिए क्या दे रहे हैं, वो फैबीफ्लू भी फेल है. जितने भी दवाइयां दे रहे हैं. लोग कह रहे हैं तमाशा हो क्या रहा है?’
वह वीडियो में कथित तौर पर कहते नजर आ रहे हैं, ‘बुखार की उनकी (एलोपैथी) कोई दवाई कोरोना के ऊपर काम नहीं कर रही, क्योंकि आप शरीर का तापमान उतार देते हैं, तापमान जिस कारण से आ रहा है उस वायरस को, इन्फ्लेमेशन को, उस बैक्टीरिया को, उस फंगस को, जो भी अलग-अलग संक्रमण हैं, जिस भी कारण से बुखार हो रहा है, उसका निवारण तुम्हारे पास है नहीं, तो कैसे ठीक करोगे. बहुत बड़ी बात कह रहा हूं, हो सकता है इसके ऊपर कुछ लोग विवाद करें.’
वीडियो में कथित तौर पर वह आगे कहते हैं, ‘लाखों लोगों की मौत एलोपैथी की दवा खाने से हुई है. जितने लोगों की मौत हॉस्पिटल न जाने के कारण हुई है, ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई है उससे ज्यादा लोगों की मौत ऑक्सीजन मिलने के बावजूद हुई है, एलोपैथी की दवा मिलने के लिए कारण हुई है. स्टेरॉयड्स की वजह से हुई है. इसलिए अभी लाखों लोगों की मौत का कारण एलोपैथी है.’
अंत में कथित तौर पर वह कहते हैं, ‘मैं कहता हूं एलोपैथी साइंस पूरी तरह से खराब नहीं है. मॉडर्न मेडिकल साइंस का हम स्वागत करते हैं. साइंस और टेक्नोलॉजी का विरोध नहीं है.’
रामदेव के इस बयान के विरोध में दिल्ली स्थित एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने अपने पत्र में कहा कि महामारी के दौरान रामदेव के बयान को हेट स्पीच माना जाना चाहिए और महामारी के दौरान डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ नफरत फैलाने और हिंसा के लिए उकसाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए.
एम्स आरडीए ने रामदेव के खिलाफ महामारी अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने और उनसे बिना शर्त माफी की मांग की.
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने दरियागंज में एक शिकायत दर्ज कराई है और सभी अस्पतालों से अपने-अपने स्थानीय थाने में ऐसी ही शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा है.
दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल ने भी रामदेव के बयान को हेट स्पीच मानकर महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग की है. इसके साथ ही उसने रामदेव से बिना शर्त माफी की मांग की है.
AIIMS, IMA, DMA, Safderjung & all big hospitals of the country wrote a letter to @drharshvardhan to take strict action against the fraudulent Ramdev who is openly misleading public about Covid19 treatment. Media should also boycott him in public interest #ArrestQuackRamdev pic.twitter.com/OLG6Zm5qsE
— Harjit Singh Bhatti (@DrHarjitBhatti) May 22, 2021
उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है. कहा जाता है कि यहां रामदेव और बालकृष्ण अक्सर अपने इलाज के लिए भर्ती होते हैं.
AIIMS, Rishikesh where Ramdev & Balkrishna frequently admit to get treatment wants him to be booked under pandemic act for disrespecting the hard work of modern medicine doctors @drharshvardhan
For his selfish bussiness gains he is stooping too low everyday #ArrestQuackRamdev pic.twitter.com/yxQPAVZI4c— Harjit Singh Bhatti (@DrHarjitBhatti) May 22, 2021
बता दें कि इससे पहेल कोरोना मरीजों और डॉक्टरों का मजाक उड़ाने वाली रामदेव की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आईएमए के उपाध्यक्ष डॉ. नवजोत सिंह दहिया ने जालंधर पुलिस में केस दर्ज कराया था और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी.
यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो से जुड़ा हुआ था, जिसमें रामदेव कह रहे थे कि ‘चारों तरफ ऑक्सीजन ही ऑक्सीजन का भंडार है, लेकिन मरीजों को सांस लेना नहीं आता है और वे नकारात्मकता फैला रहे हैं कि ऑक्सीजन की कमी है.’
मालूम हो कि बाबा रामदेव और उनकी पतंजलि योगपीठ पूरे कोरोना महामारी के दौरान काफी विवादों में रहे हैं, जब उन्होंने प्रचार कर दावा किया था कि उनकी कंपनी ने कोविड-19 के इलाज की दवा खोज ली है. हालांकि आज तक इन दावों के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)