झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह राष्ट्रीय महामारी है या राज्य केंद्रित समस्या? केंद्र ने स्थिति को संभालने के लिए न तो हम पर छोड़ा है, न ही इसे ठीक से संभाल रहा है. हमें दवाएं आयात करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि केंद्र अनुमति नहीं देता है.
जमशेदपुर: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को कहा कि केंद्र न तो कोविड-19 को “राष्ट्रव्यापी समस्या” के रूप में मान रहा है और न ही राज्यों की मांगों को सुन रहा है या उन्हें अपने अनुसार स्थिति से निपटने के लिए फैसले लेने की छूट दे रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में सोरेन ने कहा, ‘क्या यह राष्ट्रीय महामारी है या राज्य केंद्रित समस्या? केंद्र ने स्थिति को संभालने के लिए न तो हम पर छोड़ा है, न ही इसे ठीक से संभाल रहा है. हमें दवाएं आयात करने की अनुमति नहीं है क्योंकि केंद्र अनुमति नहीं देता है, लेकिन किसी भी तरह यह जब चाहें आयात करने का प्रबंधन करता है.’
सोरेन ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने कोविड -19 महामारी के प्रबंधन से संबंधित ऑक्सीजन, चिकित्सा उपकरण और टीकों का आवंटन समेत लगभग सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियंत्रण कर लिया है.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन हमें वह नहीं मिल रहा है जिसकी जरूरत है, चाहे वह टीके हों या दवाएं.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उदाहरण के तौर पर झारखंड को अपने लोगों के लिए करीब 3.5 से 4.0 करोड़ कोविड-19 खुराक चाहिए था, लेकिन हमें अभी तक केवल 40 लाख मिले हैं.
उन्होंने कहा, ‘बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी), एक नगर निकाय होने के बावजूद मुंबई के नागरिकों के टीकाकरण के लिए एक वैश्विक टेंडर जारी कर सकता है. इसका एक बड़ा बजट है, लेकिन झारखंड नहीं कर सकता.’
सोरेन ने कहा, ‘हमारा तो वैक्सीन खरीदने में दिवालिया निकल जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘राज्यों को अपने दम पर टीके लगवाने के लिए छोड़ दिया गया है. हम इसे कैसे मैनेज कर सकते हैं? केंद्र झारखंड की तुलना महाराष्ट्र या तमिलनाडु से क्यों कर रहा है. हमारा बजट बहुत छोटा है.’
इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री के केवल अपनी बात रखने और सामने वाले की बात न सुनने के बारे में उनके ट्वीट के बारे में पूछे जाने पर, सोरेन ने कहा कि मोदी ने उस शाम थोड़ी देर के लिए बात की और जैसे ही बातचीत समाप्त हुई, इसे टेलीविजन पर प्रचारित किया गया. यह सियासत ज्यादा थी कि सीएम से बात कर औपचारिकताएं पूरी कर लीं.’
दरअसल, इस महीने की शुरुआत में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में कोविड की स्थिति पर फोन पर बातचीत के दौरान उनकी बात नहीं सुनी और सिर्फ अपने ‘मन की बात’ की. सोरेन ने कहा था कि बेहतर होता कि प्रधानमंत्री ‘काम की बात’ करते और ‘काम की बात’ सुनते.
सोरेन ने आगे कहा, ‘आज के हालात को देखते हुए वह किसी से लड़ाई शुरू नहीं करना चाहते हैं. हम अलग-अलग राजनीतिक दलों से संबंधित हो सकते हैं या अलग-अलग विचारधाराओं के हो सकते हैं, लेकिन अभी लड़ने का समय नहीं है. इस समय समुद्र के बीच में एक नाव फंसी हुई है. पहले हम नाव को किनारे पर लाएं. तब हम लड़ सकते हैं.’
सोरेन ने कहा कि सिर्फ विपक्ष को ही केंद्र सरकार से कोविड-19 स्थिति के कुप्रबंधन के बारे में सवाल नहीं पूछना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘सत्ता और पद पर बैठे लोगों को भी दूसरी लहर के लिए केंद्र के कुप्रबंधन पर सवाल उठाना चाहिए. सत्ता पक्ष का समर्थन करने वालों के साथ ही विपक्षी दलों के लोगों की भी मृत्यु (इस महामारी से) हुई है.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र को देश को बताना चाहिए कि पीएम केयर्स फंड से क्या हो रहा है? उन्होंने कहा, ‘पीएम केयर्स के तहत हजारों करोड़ एकत्र किए गए हैं. पारदर्शिता होनी चाहिए. उन्हें इसका हिसाब देश को देना चाहिए.’
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले भी केंद्र की आलोचना कर चुके हैं, जिसमें प्रवासी कामगारों के मामले को संभालना भी शामिल है.