रामदेव द्वारा एलोपैथी को स्टुपिड और दिवालिया साइंस कहने पर मेडिकल बिरादरी ने कड़ा विरोध जताया था. बयान को वापस लेते हुए रामदेव ने कहा कि उन्होंने आयुर्वेद और योग का उपयोग करके भी महामारी के दौरान कई लोगों की जान बचाई है, इसका भी सम्मान किया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: योग गुरु रामदेव ने एलोपैथिक दवाओं पर अपने उस हालिया बयान को रविवार को वापस ले लिया, जिसका चिकित्सक बिरादरी ने कड़ा विरोध किया था. बाबा रामदेव का यह बयान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के द्वारा अपनी टिप्पणी वापस लेने के लिए कहने के बाद आया.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एलोपैथी के बारे में दिए गए योग गुरु रामदेव के बयान को रविवार को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उन्हें इसे वापस लेने को कहा था.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के एक पत्र का जवाब देते हुए रामदेव ने कहा कि वह इस मामले को शांत करना चाहते हैं.
उन्होंने अपने निजी ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘माननीय श्री हर्षवर्धन जी आपका पत्र प्राप्त हुआ, उसके संदर्भ में चिकित्सा पद्धतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेदपूर्वक विराम देते हुए मैं अपना वक्तव्य वापिस लेता हूं और यह पत्र आपको संप्रेषित कर रहा हूं.’
माननीय श्री @drharshvardhan जी आपका पत्र प्राप्त हुआ,
उसके संदर्भ में चिकित्सा पद्दतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेदपूर्वक विराम देते हुए मैं अपना वक्तव्य वापिस लेता हूँ और यह पत्र आपको संप्रेषित कर रहा हूं- pic.twitter.com/jEAr59VtEe— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) May 23, 2021
केंद्रीय मंत्री ने ट्विटर पर रामदेव को टैग करते हुए पत्र पोस्ट किया था. रविवार देर रात रामदेव ने ट्वीट का जवाब अपने स्वयं के एक पत्र के साथ दिया, जिसमें उन्होंने लिखा कि वह अपना बयान वापस लेते हैं.
रामदेव ने अपने पत्र में लिखा, ‘हमने आयुर्वेद और योग का उपयोग करके भी महामारी के दौरान कई लोगों की जान बचाई है; इसका भी सम्मान किया जाना चाहिए.’
बता दें कि सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे एक वीडियो का हवाला देते हुए आईएमए ने कहा था कि रामदेव कह रहे हैं कि ‘एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है’. उन्होंने यह भी कहा कि एलोपैथी की दवाएं लेने के बाद लाखों लोगों की मौत हो गई.
एलोपैथी को स्टुपिड और दिवालिया साइंस बताने पर योग सिखाने वाले रामदेव के खिलाफ महामारी रोग कानून के तहत कार्रवाई करने की डॉक्टरों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) व डॉक्टरों के अन्य संस्थाओं की मांग के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने रामदेव को एक पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया था कि वे अपने शब्द वापस ले लें.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो का हवाला देते हुए शनिवार को कहा था कि रामदेव ने दावा किया है कि एलोपैथी ‘बकवास विज्ञान’ है और भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए मंजूर की गई रेमडेसिविर, फैबीफ्लू तथा ऐसी अन्य दवाएं कोविड-19 मरीजों का इलाज करने में असफल रही हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शनिवार को आईएमए की आलोचना के बाद पतंजलि योगपीठ के महासचिव आचार्य बालकृष्ण ने एक बयान में कहा था कि रामदेव की आधुनिक विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के अच्छे चिकित्सकों के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है. उनके खिलाफ जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह गलत है.
बालकृष्ण ने कहा, ‘यह उल्लेख करना आवश्यक है कि यह कार्यक्रम एक निजी कार्यक्रम था और स्वामीजी उनके और कार्यक्रम में भाग लेने वाले विभिन्न अन्य सदस्यों द्वारा फॉरवर्ड किए गए वॉट्सऐप संदेश को पढ़ रहे थे.’
रविवार को अपनी प्रतिक्रिया में रामदेव ने लिखा कि वह इस तथ्य का सम्मान करते हैं कि एलोपैथी डॉक्टरों ने दूसरों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी है.
उन्होंने दोहराया कि वह कार्यक्रम में भाग लेने वाले विभिन्न अन्य सदस्यों द्वारा प्राप्त एक वॉट्सऐप संदेश पढ़ रहे थे.
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ एलोपैथी डॉक्टरों को आयुर्वेद और योग को छद्म विज्ञान कहकर अपमान नहीं करना चाहिए.
इससे पहले अपने पत्र में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने यह भी कहा था कि शनिवार को बालकृष्ण द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण अपर्याप्त है.
हर्षवर्धन ने कहा, ‘आपको पता होना चाहिए कि चेचक, पोलियो, इबोला, सार्स और टीबी जैसी गंभीर रोगों का इलाज एलोपैथी ने ही किया है. आज महामारी से लड़ने के लिए टीके एक महत्वपूर्ण हथियार बन गए हैं; यह एलोपैथी के कारण हुआ है. अपने स्पष्टीकरण में आपने केवल इतना ही कहा है कि आपका इरादा आधुनिक चिकित्सा और अच्छे डॉक्टरों के खिलाफ नहीं था. मुझे आपका स्पष्टीकरण अपर्याप्त लगता है. आपके बयान न केवल कोरोना योद्धाओं के लिए अपमानजनक हैं, बल्कि लोगों की भावनाओं को गहरा ठेस पहुंचाते हैं.’
रामदेव को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था, ‘मैं आशा करता हूं कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करते हुए, दुनिया भर में कोरोना योद्धाओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए, आप अपने आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बयान को पूरी तरह से वापस ले लेंगे.’
पत्र में लिखा, ‘महामारी के दौरान एलोपैथी और उससे जुड़े डॉक्टरों ने करोड़ों लोगों को एक नया जीवन दिया है … इस लड़ाई में, डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने जिस तरह से लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी है. उनकी दूसरों और उनके कर्तव्य, मानव सेवा के प्रति प्रतिबद्धता अभूतपूर्व और अतुलनीय है.’
पत्र में कहा था, ‘इन परिस्थितियों में आप कोरोना के लिए एलोपैथी उपचार को तमाशा, बेकार और दिवालिया कहना दुर्भाग्यपूर्ण है. आज लाखों लोग ठीक होकर घर जा रहे हैं. देश की मृत्यु दर केवल 1.13 प्रतिशत और ठीक होने की दर 88 प्रतिशत है; इसके पीछे एलोपैथी और डॉक्टरों का अहम योगदान है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)