कोविड-19: टीकों की कमी के बीच विदेशी कंपनियों का राज्यों को वैक्सीन आपूर्ति से इनकार

राज्यों को स्वतंत्र तौर पर विदेशी कंपनियों से कोविड के टीकों की ख़रीद की अनुमति मिलने के बाद मॉडर्ना और फाइजर ने पंजाब और दिल्ली सरकारों के प्रस्ताव यह कहकर नामंज़ूर कर दिए कि वे सिर्फ केंद्र सरकार से क़रार करेंगी. इसके बाद केंद्र की ओर से कहा गया है कि वे वैक्सीन विनिर्माताओं से बात करेगा.

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(फोटो: पीटीआई)

राज्यों को स्वतंत्र तौर पर विदेशी कंपनियों से कोविड के टीकों की ख़रीद की अनुमति मिलने के बाद मॉडर्ना और फाइजर ने पंजाब और दिल्ली सरकारों के प्रस्ताव यह कहकर नामंज़ूर कर दिए कि वे सिर्फ केंद्र सरकार से क़रार करेंगी. इसके बाद केंद्र की ओर से कहा गया है कि वे वैक्सीन विनिर्माताओं से बात करेगा.

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नई दिल्ली/चंडीगढ़: मॉडर्ना के बाद फाइजर ने भी पंजाब सरकार को कोविड-19 से बचाव के लिए टीके की सीधी आपूर्ति करने से इनकार कर दिया है. कंपनी ने कहा कि वह केवल केंद्र सरकार के साथ करार करेगी.

इससे पहले राज्य के अधिकारियों ने रविवार को बताया था कि अमेरिकी टीका निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने कंपनी की नीति का हवाला देते हुए पंजाब को सीधे टीके की आपूर्ति करने से इनकार कर दिया था.

उन्होंने बताया कि कंपनी का कहना है कि वह भारत सरकार से करार करेगी न कि किसी निजी पक्ष या राज्य से.

टीकाकरण के लिए पंजाब के नोडल अधिकारी और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी विकास गर्ग ने सोमवार को कहा कि फाइजर ने राज्य को दिए जवाब में कहा, ‘फाइजर राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में अपनी कोविड-19 टीके की आपूर्ति करने हेतु दुनियाभर की संघीय सरकारों के साथ काम कर रही है.’

अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के निर्देश पर सभी निर्माताओं से कोविड टीके की सीधी खरीद के लिए संपर्क किया गया है,  जिनमें स्पुतनिक वी, फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एवं जॉनसन शामिल थे. अब सरकार जॉनसन ऐंड जॉनसन और स्पुतनिक-वी के निर्माताओं से सकारत्मक जवाब की उम्मीद कर रही है.

इससे पहले मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी संभावित स्रोतों से टीका खरीदने के लिए वैश्विक स्तर पर निविदा जारी करने की संभावना तलाशें ताकि राज्य के लोगों का जल्द से जल्द कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण किया जा सके.

गौरतलब है कि टीके की खुराकें उपलब्ध नहीं होने के कारण पंजाब को पहले और दूसरे चरण की श्रेणी में टीकाकरण रोकना पड़ा था.

उल्लेखनीय है कि  देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहार के भीषण प्रकोप के बीच केंद्र सरकार द्वारा 19 अप्रैल को 18 से 44 साल के लोगों के टीकाकरण की अनुमति देते हुए राज्यों, निजी अस्पतालों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को सीधे टीका निर्माताओं से खुराक खरीदने की छूट दी गई थी.

सरकार का कहना था कि टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण के तहत टीका निर्माता अपनी केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं (सीडीएल) से हर महीने जारी खुराकों की 50 प्रतिशत आपूर्ति केंद्र सरकार को देंगे और बाकी 50 प्रतिशत आपूर्ति को वे राज्य सरकारों को तथा खुले बाजार में बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे.

इसके बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली सहित 9 राज्यों ने दुनियाभर के वैक्सीन निर्माताओं से 28.7 करोड़ खुराक खरीदने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किए, लेकिन कोई विदेशी कंपनी राज्यों को इस साल वैक्सीन देने की स्थिति में नहीं है.

दैनिक भास्कर के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों ने राज्यों के अलग-अलग टेंडर पर सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्यों के साथ काम करने में अधिक समय लगेगा.

अधिकारियों ने कहा कि भारत ने पहले ही टीकों की खरीद के सौदे में देर की है. कई देश ऐसे हैं जिन्होंने वैक्सीन को मंजूरी से पहले ही कंपनियों से करार कर लिया था.

इस बीच सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि अमेरिकी कंपनी फाइजर और मॉडर्ना ने दिल्ली सरकार को टीके बेचने से मना कर दिया है क्योंकि वे केंद्र से सीधे तौर पर बात करना चाहती हैं.

केजरीवाल ने बताया, ‘हमने फाइजर और मॉडर्ना के साथ बात की थी. उन्होंने कहा कि वे हमें टीके नहीं देंगे और सीधे केंद्र के साथ वार्ता करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘मैं केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि इन कंपनियों के साथ बात कर टीकों का आयात करें और उन्हें राज्यों के बीच वितरित करें.’

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी कहा कि फाइजर और मॉडर्ना ने टीके सीधे दिल्ली सरकार को बेचने से मना कर दिया है.

सिसोदिया ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली में टीके खत्म होने के बाद 18 से 44 साल आयुवर्ग के लोगों के लिए सभी 400 टीकाकरण केंद्रों को बंद कर दिया गया है. वहीं, 45 साल से अधिक उम्र के लोगों, स्वास्थ्य कर्मियों तथा अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले लोगों के लिए कोवैक्सीन के केंद्रों को भी टीकों की कमी के कारण बंद किया गया है.

सिसोदिया ने कहा कि लोगों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए इस समय टीकाकरण बहुत जरूरी है और उन्होंने मॉडर्ना, फाइजर तथा जॉनसन एंड जॉनसन कंपनियों से टीकों के लिए बात की है.

उन्होंने कहा, ‘फाइजर और मॉडर्ना ने हमें सीधे टीके बेचने से इनकार कर दिया है और बताया है कि वे केंद्र से बात कर रही हैं. केंद्र ने फाइजर और मॉडर्ना को मंजूरी नहीं दी है वहीं पूरी दुनिया में इन्हें मंजूरी दी गई है, और कई देशों ने इन टीकों की खरीदारी की है.’

सिसोदिया ने कहा कि कुछ देशों ने परीक्षण के स्तर पर ही टीकों को खरीद लिया लेकिन भारत ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया.

उन्होंने कहा, ‘हमने 2020 में स्पुतनिक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था और पिछले महीने ही इसे मंजूरी दी.’

उप मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से फाइजर और मॉडर्ना के टीकों को युद्धस्तर पर मंजूरी देने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, ‘मैं केंद्र से अनुरोध करता हूं कि इस टीकाकरण कार्यक्रम को मजाक न बनाएं. राज्यों को फाइजर और मॉडर्ना से संपर्क करने के लिए कहने के बजाए युद्धस्तर पर इन्हें मंजूरी दें. ऐसा न हो कि जब तक हम टीका लगाएं, तब तक टीका लगवा चुके लोगों के एंटीबॉडी भी समाप्त हो जाएं और उन्हें फिर टीका लगवाने की जरूरत पड़ जाए.’

उपमुख्यमंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि देश में युवाओं का टीकाकरण नीतिगत ‘गलत कदम’ के चलते ‘अस्तव्यस्त’ हो गया.

केंद्र ने कहा, वैश्विक कंपनियों से बात करेंगे

विदेशी दवा कंपनियों मॉडर्ना और फाइजर द्वारा राज्यों को टीके कीदेने से मना करने के बाद केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि वह कंपनियों से बात करेगा.

बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को एक संवाददाता सम्मलेन में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘हम केंद्र के स्तर पर टीका विनिर्माताओं से बात कर रहे हैं. फाइजर और मॉडर्ना के पास हमेशा बहुत अधिक ऑर्डर होते हैं. वे अपने पास उपलब्ध अतिरिक्त स्टॉक के आधार पर भारत सरकार से बात करेंगे.’

अग्रवाल ने कहा कि वे भारत को कितनी आपूर्ति दे सकते हैं, उसके आधार पर केंद्र राज्यों को टीकों की आपूर्ति में मदद देगा.

इधर फाइजर के प्रवक्ता ने इस अख़बार से कहा, ‘हमने शुरुआत से ही कहा है कि महामारी के दौरान फाइजर दुनिया भर में कोविड-19 टीके की आपूर्ति राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए केवल केंद्र सरकारों और वैश्विक संगठनों को करेगी. किसी देश में खुराकों का आवंटन एवं क्रियान्वयन योजना स्थानीय सरकारों का फैसला है.’

कंपनी ने कहा कि देश भर में इस्तेमाल के लिए फाइजर-बायोनटेक टीके मुहैया कराने को लेकर भारत सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.

हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो अगर कंपनियां आज आपूर्ति के लिए राज़ी भी हो जाएं, तब भी देश में जल्दी टीके नहीं पहुंचेंगे क्योंकि इन कंपनियों के बाद जिस संख्या में अन्य देशों के ऑर्डर पहले से मौजूद हैं, वहां भी अब तक डिलीवरी नहीं हुई हैं.

गांव-गांव तक टीकाकरण के लिए जरूरी है कि टीकों की खरीद खुद करे केंद्र : कांग्रेस

कांग्रेस ने कोरोना रोधी टीकाकरण अभियान में कथित तौर पर कमी आने को लेकर सोमवार को चिंता जताई और कहा कि हर गांव तक टीकाकरण की सुविधा पहुंचाने के लिए जरूरी है कि सीधे केंद्र टीकों की खरीद करे.

मुख्य विपक्षी दल ने यह आरोप भी लगाया कि राज्यों को सीधे टीका खरीदने के लिए कहने से जुड़े केंद्र के कदम में ‘स्वार्थ’ है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘टीके की ख़रीद केंद्र करे और वितरण राज्य- तभी हर गांव तक वैक्सीन सुरक्षा पहुंच सकती है. ये सीधी-सी बात केंद्र सरकार को समझ क्यों नहीं आती?’

उन्होंने रोजाना होने वाले टीकाकरण की संख्या में कथित गिरावट का ग्राफ साझा करते हुए आरोप लगाया, ‘टीकाकरण महामारी पर नियंत्रण करने की कुंजी है, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार इसकी परवाह नहीं करती.’’ चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘क्या इसमें कोई हैरानी है कि फाइजर और मॉडर्ना ने राज्यों के साथ किसी तरह करार से इनकार करते हुए कहा कि वे सिर्फ केंद्र सरकार के साथ करार करेंगी?’

उन्होंने दावा किया कि राज्यों को सीधे टीका खरीदने के लिए कहने का केंद्र का कदम ‘स्वार्थ वाला’ है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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