अमीर-ग़रीब देश का भेद मिटा कोविड टीकों का वितरण नैतिक रूप से ज़रूरी: दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा ने कहा ​है कि संपन्न देशों में लाखों लोगों का टीकाकरण हो चुका है, जबकि ग़रीब देशों में अरबों लोग टीके का इंतज़ार कर रहे हैं. महामारी के ख़ात्मे के लिए प्रभावी और समावेशी वैश्विक टीकाकरण बहुत ज़रूरी है. आप तब तक सुरक्षित रहने की उम्मीद नहीं कर सकते, जब तक कि हम सभी सुरक्षित न हों.

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दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा (फोटो: रॉयटर्स)

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा ने कहा है कि संपन्न देशों में लाखों लोगों का टीकाकरण हो चुका है, जबकि ग़रीब देशों में अरबों लोग टीके का इंतज़ार कर रहे हैं. महामारी के ख़ात्मे के लिए प्रभावी और समावेशी वैश्विक टीकाकरण बहुत ज़रूरी है. आप तब तक सुरक्षित रहने की उम्मीद नहीं कर सकते, जब तक कि हम सभी सुरक्षित न हों.

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा (फोटो: रॉयटर्स)
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा (फोटो: रॉयटर्स)

जोहानिसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा ने सोमवार को विश्व स्वास्थ्य सभा में कहा कि कोविड-19 रोधी टीकों के वितरण में गरीब और अमीर देशों के बीच के भेद को खत्म करना नैतिक रूप से अत्यंत आवश्यक है.

विश्व स्वास्थ्य सभा वह मंच है, जिसके माध्यम से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यएचओ) अपने 194 सदस्य राज्यों द्वारा शासित होता है.

सभा में उन्होंने कहा, ‘संपन्न देशों में लाखों लोगों का टीकाकरण हो चुका है, जबकि गरीब देशों में अरबों लोग टीके का इंतजार कर रहे हैं और उनके संक्रमित होने तथा उनकी जान जाने का खतरा बना हुआ है. इसमें सुधार लाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा.’

रामाफोसा ने कहा, ‘यह केवल नैतिक रूप से ही आवश्यक नहीं, बल्कि वैश्विक महामारी के खात्मे के लिए प्रभावी और समावेशी वैश्विक टीकाकरण बहुत जरूरी है. आप तब तक सुरक्षित रहने की उम्मीद नहीं कर सकते, जब तक कि हम सभी सुरक्षित न हों. इसके लिए जरूरी है कि दुनियाभर के लोगों के बीच कोविड-19 के टीकों के बंदोबस्त को लेकर जो बड़ा अंतर है, उसकी ओर हम तत्काल ध्यान दें.’

उन्होंने कहा कि यह सभा ऐसे समय हो रही है जब हाल के इतिहास में बहुत ही कठिन दौर चल रहा है और इस वैश्विक महामारी ने सभी देशों को उनकी ताकत और कमजोरी से अवगत करवा दिया है.

टीकों पर बौद्धिक संपदा अधिकारों में छूट की मांग दोहराते हुए रामाफोसा ने कहा, ‘इस वैश्विक महामारी ने यह भी दिखा दिया है कि अपने स्वास्थ्य और बेहतरी के लिए हम एक दूसरे से किस हद तक जुड़े हैं और एक दूसरे पर कितना निर्भर हैं. इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य सभा में मैं इस महामारी को खत्म करने, आगे किसी भी महामारी से बचने तथा स्वस्थ, सुरक्षित एवं निष्पक्ष विश्व के निर्माण का अनुरोध करता हूं.’

रामाफोसा ने कहा कि निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों समेत दुनियाभर में टीकों का उत्पादन तत्काल प्रभाव से बढ़ाना होगा.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रामफोसा ने कहा, ‘हमें कम और मध्यम आय वाले देशों सहित दुनिया भर में टीके के उत्पादन में तत्काल वृद्धि करनी चाहिए. अन्य बातों के अलावा हमें सभी देशों में समान पहुंच को बढ़ावा देने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों में छूट देने की आवश्यकता है.’

उन्होंने कहा, ‘यह देशों को बौद्धिक संपदा के उपयोग की अनुमति देगा, टीके और चिकित्सीय उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकियों को साझा करने, कम कीमतों और सभी को हर जगह वितरण में तेजी लाने की अनुमति देगा.’

रामाफोसा ने एक वैश्विक स्वास्थ्य परिषद की स्थापना का भी आह्वान किया जो क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रतिक्रिया तंत्र का समर्थन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ सहयोग करेगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)