यूपी में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही, पहली खुराक में कोविशील्ड और दूसरी में दे दी कोवैक्सीन

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले में नेपाल से लगे बढ़नी प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र का मामला. मुख्य चिकित्सा अधिकारी घटना को स्वीकार करते हुए कहा कि जिन लोगों को वैक्सीन लगाई गई, उनमें से किसी में भी अभी तक कोई समस्या देखने को नहीं मिली है. ज़िम्मेदार लोगों से स्पष्टीकरण मांगा गया है. दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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एक केंद्र पर वैक्सीन लगवाने के लिए लाइन में लगे लोग. (प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले में नेपाल से लगे बढ़नी प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र का मामला. मुख्य चिकित्सा अधिकारी घटना को स्वीकार करते हुए कहा कि जिन लोगों को वैक्सीन लगाई गई, उनमें से किसी में भी अभी तक कोई समस्या देखने को नहीं मिली है. ज़िम्मेदार लोगों से स्पष्टीकरण मांगा गया है. दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

एक केंद्र पर वैक्सीन लगवाने के लिए लाइन में लगे लोग. (प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
एक केंद्र पर वैक्सीन लगवाने के लिए लाइन में लगे लोग. (प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

सिद्धार्थनगर: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों की एक बेहद गंभीर गलती का मामला सामने आया है, जिसमें पहली खुराक कोविशील्ड की लेने वाले करीब 20 ग्रामीणों को दूसरी खुराक के रूप में कोवैक्सीन दे दी गई. स्थानीय अधिकारियों ने इस गलती की जांच कराने की बात कही है.

मामला नेपाल सीमा से लगे जिले के बढ़नी प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र का है जहां औदही कलां समेत दो गांवों में लगभग 20 लोगों को टीके की पहली खुराक कोविशिल्ड की लगाई गई, लेकिन 14 मई को दूसरी डोज लगाते समय स्वास्थ्यकर्मियों ने भारी लापरवाही बरतते हुए कोवैक्सीन लगा दी.

टीका लगवा चुके राम सूरत को जब इस बात की जानकारी हुई तो वह भयभीत हो गए और जब उन्होंने केंद्र पर संपर्क किया तो इस गलती का खुलासा हुआ, जिसके बाद सब एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे.

इस लापरवाही के बारे में पूछे जाने पर सिद्धार्थनगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने स्वीकार किया कि लगभग 20 लोगों को स्वास्थ्यकर्मियों ने लापरवाही बरतते हुए कॉकटेल (टीकों की दो अलग-अलग खुराक) टीका लगा दिया. हालांकि जिन लोगों को वैक्सीन लगाई गई, उनमें से किसी में भी अभी तक कोई समस्या देखने को नहीं मिली है और वे सभी स्वस्थ हैं.

उन्होंने बताया कि मौके पर वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम भेजी गई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है और उसके आधार पर जिम्मेदार लोगों से स्पष्टीकरण मांगा गया है. घटना के दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम इन सभी लोगों की स्थिति पर नजर बनाए हुए है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि इस घटना से वैक्सीन लगवाने वालों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है.

हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन भारत में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए लोगों के पास कोई व्यवस्थित प्रणाली नहीं है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया है कि आपूर्ति में देरी के बीच दुनियाभर के अधिक से अधिक देश दो खुराक के लिए अलग-अलग टीकों का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं.

हालांकि, उम्मीद है कि वे पहले क्लीनिकल परीक्षण करेंगे और राष्ट्रीय दवा नियामकों को इसका फैसला करने देंगे न कि जमीन पर तुरंत रणनीति लागू कर देंगे.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी संदीप चौधरी ने एनडीटीवी को बताया, ‘टीकों का कॉकटेल (टीकों की दो अलग-अलग खुराक) देने के लिए सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं हैं.’

बता दें कि उत्तर प्रदेश का टीकाकरण अभियान भारत में सबसे धीमा रहा है. 26 मई (सुबह 7 बजे) तक 23 करोड़ की जनसंख्या वाले राज्य में कोविड-19 वैक्सीन की दोनों खुराक लगवाने वालों की संख्या 3,379,393 थी.

लेकिन हाल के दिनों में संक्रमण के मामलों और उससे होने वाली मौतों में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि के बीच देश टीकों की गंभीर कमी से जूझ रहा है और निकट भविष्य में आपूर्ति को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा देने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है.

वहीं, इस बीच पहली खुराक लेने वाले अधिकतर कई लोग दूसरी खुराक ले पाने में असमर्थ हैं.

अलग-अलग टीकों का प्रभाव

द वायर साइंस  ने हाल ही में बताया था कि एक अध्ययन में पाया गया था कि पहली खुराक के लिए फाइजर और दूसरी खुराक के लिए कोविशील्ड का उपयोग करने से कोविड-19 के खिलाफ एक शक्तिशाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई.

वहीं, 600 व्यक्तियों के परीक्षण पर आधारित स्पेनिश अध्ययन ने दो अलग-अलग निर्मित टीकों के संयोजन के लाभ पर प्रकाश डाला.

रॉयटर्स ने बताया है कि इस तरह के और अध्ययन चल रहे हैं.

द वायर साइंस  ने यह भी नोट किया कि टीकाकरण पर भारत के राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी सिफारिशें करता है, ने भी टीकों को मिलाने के लाभों पर विचार किया है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)