ग़ाज़ा संघर्ष: कथित अपराधों की जांच संबंधी यूएनएचआरसी के प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत अनुपस्थित

ग़ाज़ा में इज़रायल और हमास के बीच 11 दिन तक चले संघर्ष के दौरान कथित उल्लंघनों एवं अपराधों की जांच शुरू करने के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर वोट डालने से भारत समेत 14 देश अनुपस्थित रहे. प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया क्योंकि 24 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला और नौ ने इसका विरोध किया. इज़रायल और हमास के बीच संघर्ष में ग़ाज़ा में लगभग 230 लोग और इज़रायल में 12 लोग मारे गए थे.

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गाजा में इजरायल की ओर से किए गए हमले में तबाह घर. (फोटो: रॉयटर्स)

ग़ाज़ा में इज़रायल और हमास के बीच 11 दिन तक चले संघर्ष के दौरान कथित उल्लंघनों एवं अपराधों की जांच शुरू करने के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर वोट डालने से भारत समेत 14 देश अनुपस्थित रहे. प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया क्योंकि 24 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला और नौ ने इसका विरोध किया. इज़रायल और हमास के बीच संघर्ष में ग़ाज़ा में लगभग 230 लोग और इज़रायल में 12 लोग मारे गए थे.

गाजा में इजरायल की ओर से किए गए हमले में तबाह घर. (फोटो: रॉयटर्स)
गाजा में इजरायल की ओर से किए गए हमले में तबाह घर. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: गाजा में इजरायल और हमास के बीच 11 दिन तक चले संघर्ष के दौरान कथित उल्लंघनों एवं अपराधों की जांच शुरू करने के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर वोट डालने से भारत समेत 14 देश अनुपस्थित रहे.

संयुक्त राष्ट्र निकाय के जिनेवा स्थित मुख्यालय में बृहस्पतिवार को बुलाए गए विशेष सत्र की समाप्ति पर यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया, क्योंकि 24 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला, जबकि नौ ने इसका विरोध किया.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने समूह के 13 अन्य सदस्य राष्ट्रों के साथ मतदान से खुद को अलग रखा. चीन और रूस ने इसके पक्ष में मतदान किया.

संयुक्त राष्ट्र निकाय ने एक बयान में कहा, ‘मानवाधिकार परिषद ने पूर्वी यरुशलम समेत कब्जा किए गए फलस्तीनी क्षेत्र और इजरायल में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के प्रति सम्मान सुनिश्चित करने पर आज (शुक्रवार) दोपहर एक प्रस्ताव स्वीकार किया.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बयान में कहा कि हाल के संघर्ष के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के सभी कथित उल्लंघनों और हनन की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग की स्थापना की गई है.

परिषद का विशेष सत्र पूर्वी यरुशलम समेत फलस्तीनी क्षेत्र में गंभीर मानवाधिकार स्थिति पर चर्चा के लिए बुलाया गया था.

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्र मणि पांडे ने विशेष सत्र में कहा कि भारत गाजा में इजरायल और सशस्त्र समूह के बीच संघर्ष विराम में सहयोग देने वाले क्षेत्रीय देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कूटनीतिक प्रयासों का स्वागत करता है.

उन्होंने कहा, ‘भारत सभी पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने और उन कदमों से गुरेज करने की अपील करता है जो तनाव बढ़ाते हों और ऐसे प्रयासों से परहेज करने को कहता है, जो पूर्वी यरूशलम और उसके आस-पड़ोस के इलाकों में मौजूदा यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के लिए हों.’

पांडे ने एक बयान में यरूशलम में जारी हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की खासकर हरम अल शरीफ और अन्य फलस्तीनी क्षेत्रों में.

पांडे ने कहा कि गाजा से अंधाधुंध रॉकेट दागने से इजरायल में नागरिक आबादी को निशाना बनाया गया और जवाबी हवाई हमले से गाजा में भारी नुकसान हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘हम हिंसा के कारण नागरिकों की जान गंवाने पर गहरा शोक व्यक्त करते हैं और विशेष रूप से गाजा में फलीस्तीनी नागरिक आबादी को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल ध्यान देने का आग्रह करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘भारत फलिस्तीनी प्राधिकरण को विकासात्मक और मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रखेगा, जिसमें कोविड-19 संबंधित सहायता, द्विपक्षीय और संयुक्त राष्ट्र में हमारे समर्पित योगदान के माध्यम से शामिल है.’

इजरायल और हमास दोनों ने संघर्ष विराम पर सहमति जताई है, जो 11 दिनों की भीषण लड़ाई के बाद 21 मई से प्रभावी हुआ है, जिसमें गाजा में लगभग 230 लोग और इजरायल में 12 लोग मारे गए थे.

यह संघर्ष 10 मई को शुरू हुआ था, जब गाजा से हमास चरमपंथियों ने यरुशलम की तरफ लंबी दूरी के रॉकेट दागे थे.

समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार, यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद परिसर में फलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों और इजरायली पुलिस के बीच संघर्ष के कुछ दिनों बाद गोलीबारी शुरू हुई थी. मुसलमानों और यहूदियों के पवित्र स्थल पर बनाई गई मस्जिद में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती और यहूदी आश्रय गृहों में बसने वाले दर्जनों फलिस्तीनियों को बेदखल करने की धमकी ने तनाव को भड़का दिया था.

यरुशलम के लिए इजरायल और फलिस्तीनी की ओर से किए जा रहे दावे दोनों के बीच संघर्ष का केंद्र हैं और इसी के चलते अतीत में भी बार-बार हिंसा भड़की है.

पांडे ने कहा कि भारत इस बात से पूरी तरह सहमत है कि क्षेत्र में उत्पन्न स्थितियों और वहां के लोगों की समस्याओं के प्रभावी समाधान के लिए वार्ता ही एकमात्र विकल्प है.

उन्होंने कहा, ‘हाल की घटनाओं ने एक बार फिर से इजरायल और फलिस्तीन के बीच बातचीत को शुरू करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है, जिसका उद्देश्य सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर शांति से रहने वाले दो राज्यों की स्थापना को साकार करना है.’

गाजा में इजरायली हमले युद्ध अपराध के दायरे में आ सकते हैं: यूएन मानवाधिकार प्रमुख

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख ने बृहस्पतिवार को कहा था कि हमास चरमपंथी समूह शासित गाजा पट्टी में 11 दिन तक चले युद्ध में, हो सकता है कि इजरायली बलों ने युद्ध अपराधों को अंजाम दिया हो.

मिशेल बैचलेट की यह टिप्पणी तब आई है, जब संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार निकाय ने इस महीने हुई जंग में फलस्तीनियों की दुर्दशा पर चर्चा के लिए एक दिवसीय विशेष सत्र की शुरुआत की.

उन्होंने कहा था कि संघर्ष के दौरान हमास की ओर से अंधाधुंध रॉकेट दागना भी युद्ध के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन था.

मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र की उच्चायुक्त ने मानवाधिकार परिषद में 2014 के बाद से शत्रुता के अत्यधिक बढ़ने के घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्योरा दिया. पिछले हफ्ते युद्ध विराम होने से पहले गाजा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी एवं मौत हुई थी.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे घनी आबादी वाले इलाकों में हवाई हमलों से आम नागरिक बड़ी संख्या में हताहत हुए, साथ ही नागरिक अवसंरचनाओं की बड़े पैमाने पर तबाही हुई.’

बैचलेट ने कहा, ‘ऐसे हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के तहत अंतर एवं अनुपात के साथ इजरायल के अनुपालन को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी करते हैं.’

उन्होंने कहा कि अगर यह अंधाधुंध और नागरिकों पर प्रभाव में अनुपातहीन ठहराए जाते हैं तो ऐसे हमले युद्ध अपराध के दायरे में आएंगे.

हमास की चाल की तरफ स्पष्ट रूप से इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि घनी आबादी वाले नागरिक इलाकों में सैन्य पहुंच का पता लगाना या उनसे हमले शुरू करवाना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है.

बैचलेट ने कहा था कि हमास की तरफ से अंधाधुंध रॉकेट दागे हए और सैन्य एवं नागरिक वस्तुओं में भेद कर पाने में उसकी विफलता स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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