लक्षद्वीप: प्रशासक द्वारा पेश दो क़ानूनों के ख़िलाफ़ याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

केरल हाईकोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासक द्वारा लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण नियमन और सामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम पेश करने के ख़िलाफ़ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत ने केंद्र से दो सप्ताह में याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है.

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(फोटो साभार: swarajyamag.com)

केरल हाईकोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासक द्वारा लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण नियमन और सामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम पेश करने के ख़िलाफ़ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत ने केंद्र से दो सप्ताह में याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है.

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कोच्चि: केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को लक्षद्वीप के प्रशासक के केंद्र शासित प्रदेश में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण नियमन, 2021 (एलडीएआर) और सामाजिक गतिविधि रोकथाम (पासा) अधिनियम पेश करने के कदम के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा.

हालांकि, अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एलडीएआर और पासा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन केंद्र को दो सप्ताह में याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया.

यह याचिका कांग्रेस नेता केपी नौशाद अली ने दायर की है. अली ने याचिका में प्रशासक द्वारा लक्षद्वीप में सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक वास्तविकताओं के साथ अवैध हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है.

उन्होंने दलील दी है कि द्वीप के लोगों ने भी प्रशासन द्वारा लाए एलडीएआर और लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण (एलडीए) के निर्माण का विरोध किया है क्योंकि यह प्रशासन को द्वीप के अनुसूचित जनजाति के लोगों की छोटी संपत्ति के अधिग्रहण का अधिकार भी देता है.

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हाल ही में पेश किया गया ‘पासा’ प्रशासन को सार्वजनिक रूप से जानकारी दिए बिना किसी भी व्यक्ति को करीब एक साल तक कैद में रखने का अधिकार भी देता है.

गौरतलब है कि मुस्लिम बहुल आबादी वाला लक्षद्वीप इन दोनों सहित कई अन्य मसौदों को लेकर विवादों में घिरा हुआ और वहां के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को हटाने की मांग की जा रही है.

पिछले साल दिसंबर में लक्षद्वीप का प्रभार मिलने के बाद प्रफुल्ल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे ले आए हैं, जिसका तमाम विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने पटेल पर मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, पशु संरक्षण का हवाला देते हुए बीफ (गोवंश) उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तट रक्षक अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़ों को तोड़ने का आरोप लगाया है.

इन कानूनों में बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में एंटी-गुंडा एक्ट और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान भी शामिल है.

लक्षद्वीप पशु संरक्षण नियमन के मसौदे के तहत प्रस्तावित गोमांस पर प्रतिबंध ने केंद्र शासित प्रदेश में अशांति फैलाने में योगदान दिया है, जहां मुसलमानों की आबादी 90 प्रतिशत से अधिक है.

लक्षद्वीप के साथ बेहद मजबूत सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध रखने वाले केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन के साथ वामदलों और कांग्रेस के सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र लिखा है.

वहीं, भाजपा के स्थानीय से लेकर केंद्रीय नेता पटेल के कदमों को लेकर दो खेमों में बंट गए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)