एलोपैथी पर योग गुरु रामदेव की टिप्पणी से नाराज़ रेजिडेंट डॉक्टरों के एसोसिएशन के परिसंघ ने कहा है कि वे एक जून को देशभर में प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने रामदेव से बिना शर्त के सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने को भी कहा है. इसी बयान पर आईएमए की पश्चिम बंगाल इकाई ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है.
नई दिल्लीः एलोपैथी पर योग गुरु रामदेव की टिप्पणी से नाराज रेजिडेंट डॉक्टरों के एसोसिएशन के परिसंघ के सदस्यों ने शनिवार को कहा कि वे एक जून को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे और इसे काले दिवस के रूप में मनाएंगे.
परिसंघ ने बयान जारी कर रामदेव से बिना किसी शर्त के सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा है.
Even after raising objections to statements by Mr. Ram Kishan Yadav (#RamdevBaba), no action has been taken yet. We are hereby declaring Nationwide #BlackDayProtest on 1st June,2021 at workplace, without hampering healthcare services @ANI @ians_india @MoHFW_INDIA @drharshvardhan pic.twitter.com/nyWlguxomL
— FORDA INDIA (@FordaIndia) May 29, 2021
बता दें कि सोशल मीडिया पर व्यापक तौर पर शेयर किए गए एक वीडियो में रामदेव को कहते सुना गया था कि ‘एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है’.
उन्होंने यह भी कहा कि एलोपैथी की दवाएं लेने के बाद लाखों लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया.
एलोपैथी को स्टुपिड और दिवालिया साइंस बताने पर रामदेव के खिलाफ महामारी रोग कानून के तहत कार्रवाई करने की डॉक्टरों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) व डॉक्टरों के अन्य संस्थाओं की मांग के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने रामदेव को एक पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया था कि वे अपने शब्द वापस ले लें, जिसके बाद रामदेव ने अपना बयान वापस ले लिया था.
इसके एक दिन बाद योग गुरु रामदेव ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक खुले पत्र में आईएमए से 25 प्रश्न पूछे थे, जिसमें पूछा गया था कि क्या एलोपैथी ने उच्च रक्तचाप और टाइप -1 और टाइप-2 मधुमेह जैसी बीमारियों के लिए स्थायी राहत प्रदान की है.
उन्होंने पार्किंसंस रोग जैसी आधुनिक समय की बीमारियों के बारे में भी पूछा और सवाल किया कि क्या एलोपैथी में इंफर्टिलिटी (बांझपन) का बिना दर्द का इलाज है.
वहीं, आईएमए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि कोविड-19 के उपचार के लिए सरकार के प्रोटोकॉल को चुनौती देने तथा टीकाकरण पर कथित दुष्प्रचार वाला अभियान चलाने के लिए रामदेव पर तत्काल राजद्रोह के आरोपों के तहत मामला दर्ज होना चाहिए.
पश्चिम बंगाल में रामदेव के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की बंगाल इकाई ने एलोपैथी पर रामदेव के विवादित बयान के विरोध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
संगठन ने कोलकाता के सिंथी थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए रामदेव पर महामारी के दौरान भ्रामक और झूठी जानकारी देने के साथ जनता के बीच भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया गया है.
आईएमए की बंगाल शाखा ने शुक्रवार को दर्ज शिकायत में कहा, ‘रामदेव ने कहा है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के कारण कोविड के मरीज अधिक पीड़ित हैं और मर रहे हैं, जो कोरोना वायरस का इलाज नहीं कर सकती. उन्होंने यह भी कहा है कि टीके की दोनों खुराक लेने के बाद भी 10,000 से ज्यादा डॉक्टरों की मौत हो चुकी है, जो बिल्कुल गलत है.’
शिकायत में कहा गया, ‘इस तरह की भ्रामक और गलत जानकारी साझा कर वह (रामदेव) महामारी के दौरान भ्रम पैदा कर रहे हैं, जो गंभीर अपराध है.’
इससे पहले आईएमए ने एलोपैथी पर भ्रामक बयानबाजी करने के लिए रामदेव के खिलाफ दिल्ली में भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
आईएमए ने आईपी एस्टेट पुलिस थाने में दी गई अपनी शिकायत में कहा था कि रामदेव ने कोविड-19 संक्रमित व्यक्तियों के लिए स्थापित और अनुमोदित तरीकों एवं दवाओं से इलाज के बारे में जानबूझकर एवं सोच समझकर झूठी, आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण जानकारी फैलाई.
वहीं आईएमए की उत्तराखंड इकाई ने रामदेव को मानहानि का नोटिस भी भेजा था, जिस पर पतंजलि योगपीठ ने पुष्टि करते हुए कहा था कि वह कानूनी तरीके से इसका करारा जवाब देंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)