चक्रवाती तूफान ‘यास’ पर प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल न होने और इसके कुछ देर बाद प्रदेश के मुख्य सचिव के तबादले के बाद केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार के बीच एक बार फ़िर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.
कोलकाता: प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चक्रवाती तूफान ‘यास’ पर समीक्षा बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल न होने को लेकर उठे विवाद और राज्य के मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय का तबादला किए जाने के घटनाक्रम ने केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को एक बार फिर आमने-सामने ला दिया है.
प्रधानमंत्री की बैठक में बंद्योपाध्याय भी शामिल नहीं हो सके थे. इसके कुछ घंटे बाद ही केंद्र सरकार की ओर से उनका तबालदा आदेश जारी कर दिया गया. मुख्यमंत्री ने इस फैसले को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की है.
दरअसल आलापन बंद्योपाध्याय 31 मई को रिटायर हो रहे थे. तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पांच दिन बाद 10 मई को ममता बनर्जी ने कोरोना वायरस महामारी के कारण बंद्योपाध्याय को तीन महीने का सेवा विस्तार देने का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. इसके बाद बीते 24 मई को केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी थी.
हालांकि ताजा घटनाक्रम के बाद केंद्र ने यह आदेश बदलकर उनके तबादले का आदेश जारी कर दिया.
इस विवाद के एक दिन बाद शनिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने विपक्ष के नेता (शुभेंदु अधिकारी) की मौजूदगी पर आपत्ति जताते हुए बैठक में भाग नहीं लिया.
भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर ‘बदले की राजनीति’ का आरोप लगाते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को बुलाने के फैसले को वापस ले और वरिष्ठ नौकरशाह को कोविड-19 संकट के दौरान लोगों के लिए काम करने की इजाजत दे.
बनर्जी ने आगे कहा कि अगर बंगाल की वृद्धि और विकास के लिए उनसे मोदी के चरण छूने को कहा जाएगा तो वह इसके लिए तैयार हैं.
बनर्जी ने कहा, ‘क्योंकि आप (मोदी और शाह) भाजपा की हार (बंगाल में) पचा नहीं पा रहे हैं, आपने पहले दिन से हमारे लिए मुश्किलें खड़ी करनी शुरू कर दीं. मुख्य सचिव की क्या गलती है? कोविड-19 संकट के दौरान मुख्य सचिव को बुलाना दिखाता है कि केंद्र बदले की राजनीति कर रहा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर प्रधानमंत्री मुझसे कहते हैं कि आप मेरे पैर छुओ, मैं बंगाल की मदद करूंगा तो मैं वह भी करने के लिए तैयार हूं, लेकिन कृपया मुझे इस तरह अपमानित न करें. बंगाल को बदनाम न करें. एकतरफा हेराफेरी, खबरों में हेराफेरी, आप पीएम हाउस से दे रहे हैं और आप प्रेस पर इस खबर को आगे बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं.’
“If Prime Minister tells me ‘you touch my feet, I will help Bengal’, I am ready to do that also. But please don’t humiliate me”: Mamata Banerjee, West Bengal CM, on PM meet row#MamataBanerjee pic.twitter.com/VZQEsnaAt7
— NDTV (@ndtv) May 29, 2021
राज्य सरकार और केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप में फंसे मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय शनिवार को ड्यूटी पर रहे और वह चक्रवात प्रभावित पूर्ब मेदिनीपुर के हवाई सर्वेक्षण में मुख्यमंत्री के साथ रहे.
चक्रवात से हुई तबाही पर प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में मौजूद नहीं रहने के कारण हो रही आलोचना के बारे में बनर्जी ने कहा, ‘यह बैठक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होने वाली थी. बाद में मुझे संशोधित कार्यक्रम में पता चला कि यह बड़ी भाजपा पार्टी और अकेले मेरे बीच थी. भाजपा नेताओं को इसमें क्यों बुलाया गया?’
उन्होंने कहा, ‘गुजरात और ओडिशा में प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान बैठकों में विपक्ष के नेताओं को क्यों नहीं बुलाया गया.’
बनर्जी ने कहा, ‘मैंने सोचा था कि प्रधानमंत्री राज्य में आए हैं और हम उनसे संवैधानिक बाध्यता तथा शिष्टाचार के नाते मिले थे, लेकिन बाद में विवाद पैदा हो गया और सत्तारूढ़ पार्टी के अनेक नेताओं ने ट्वीट करके मेरी और मेरे मुख्य सचिव की छवि को खराब करना शुरू कर दिया.’
उन्होंने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि इस राजनीतिक बदले की भावना को समाप्त करें और इस पत्र को (मुख्य सचिव को बुलाने संबंधी) वापस लें तथा उन्हें कोविड प्रभावित लोगों, तूफान प्रभावित लोगों के लिए काम करने दें. हम टीम की तरह काम कर रहे हैं और ऐसा ही करते रहना चाहते हैं.’
बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार में सब लोग कोविड-19 के खिलाफ काम कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार उनकी मदद करने के बजाय पश्चिम बंगाल के लिए हर तरह की समस्या पैदा कर रही है.
बनर्जी ने यह भी कहा कि क्या केंद्र मुख्य सचिव के खिलाफ इसलिए है क्योंकि वह ‘बंगाली’ हैं.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि वे केवल राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए हैं. वे बंगाल के पीछे क्यों पड़े हैं. क्या वे इसलिए ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि हमारे मुख्य सचिव बंगाली हैं?’
राज्य के पूर्व मुख्य सचिव राजीव सिन्हा का जिक्र करते हुए बनर्जी ने कहा कि वह बंगाली और गैर-बंगाली की राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखतीं, क्योंकि उन्होंने मुख्य सचिव के पद के लिए किसी का चुनाव करने में इस चीज को कभी प्राथमिकता नहीं दी. सिन्हा गैर-बंगाली हैं.
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में कई सारे बंगाली अधिकारी हैं, तो क्या हमें उन्हें वापस बुला लेना चाहिए?’
बनर्जी ने कहा कि दीघा में चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों की समीक्षा के दौरान जब मुख्य सचिव को बुलाने के संबंध में केंद्र का पत्र मिला तो उन्हें हैरानी हुई.
उन्होंने कहा, ‘आपको भूलना नहीं चाहिए कि मुख्य सचिव राज्य सरकार के अधिकारी हैं.’
बनर्जी ने कहा कि बंद्योपाध्याय को बुलाने के लिए पत्र भेजकर मोदी सरकार ने वास्तव में देश के समस्त आईएएस अधिकारियों का अपमान किया है, जो इस घटना से हैरान हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि केंद्र से बात करके इस समस्या का हल हो जाएगा, लेकिन उन्हें बताया गया कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) और कलकत्ता उच्च न्यायालय में आलापन बंद्योपाध्याय के तबादले पर कैवियेट दाखिल किए हैं.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस मामले में कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकती है.
So much fuss over an alleged 30 min wait?
Indians waiting 7 years for ₹15 lakhs
Waiting hours at ATM queues
Waiting months for vaccines dueThoda aap bhi wait kar lijiye kabhi kabhi…
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) May 28, 2021
इस बीच टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर कहा, ‘30 मिनट के कथित इंतजार पर इतना शोर क्यों हो रहा है? भारतीय सात साल से 15 लाख का इंतजार कर रहे हैं, एटीएम की लाइन में घंटों लगे रहे, वैक्सीन लगवाने के लिए महीनों इंतजार किया. थोड़ा आप भी इंतजार कर लीजिए कभी-कभी.’
क्या हुआ था
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 28 मई को ओडिशा और पश्चिम बंगाल का दौरा कर चक्रवात ‘यास’ के बाद की स्थिति पर दोनों राज्यों में समीक्षा बैठक की थी. जहां ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक मोदी के साथ बैठक में शामिल हुए, वहीं बनर्जी अपने राज्य की समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुईं.
Took stock of the damage caused by Cyclone Yaas. Undertook an aerial survey across parts of Odisha and West Bengal. The entire nation stands in solidarity with those affected by the cyclone. https://t.co/kQFXnkypOm
— Narendra Modi (@narendramodi) May 28, 2021
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से कलाइकुंडा हवाई पट्टी पर मुलाकात की. बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने उस कमरे में प्रवेश किया, जहां से मोदी बैठक कर रहे थे. बनर्जी के साथ मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय भी थे.
वहीं, प्रधानमंत्री के साथ बैठक में राज्यपाल जगदीप धनखड़, राज्य के भाजपा विधायक एवं विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और रायगंज से सांसद तथा केंद्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री देबाश्री चौधरी मौजूद थे.
बनर्जी ने प्रधामंत्री को ‘यास’ से हुए नुकसान पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपी तथा सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की.
एक अधिकारी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री आईं, कुछ कागजात प्रधानमंत्री को सौंपे और चली गईं. उन्होंने समीक्षा बैठक में भाग नहीं लिया. यह एक ऐसा दिन है, जब हम सभी को केंद्र सरकार से सहायता मांगने के लिए एकजुट होना चाहिए था. संकट के दौरान राजनीति की कोई गुजांइश नहीं है.’
बाद में बनर्जी ने एक ट्वीट में कहा कि पश्चिम बंगाल में चक्रवात के बाद की स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराने के बाद वह दीघा में राहत और पुनर्विकास कार्य की समीक्षा करने के लिए चली गई थीं.
After having review meetings in Hingalganj & Sagar, I met the Hon’ble PM in Kalaikunda & apprised him regarding the post-cyclone situation in WB. The disaster report has been handed over for his perusal. I’ve proceeded now to review the relief & restoration work at Digha.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) May 28, 2021
बैठक के कुछ घंटे बाद केंद्र ने बंद्योपाध्याय के दिल्ली तबादले का आदेश दे दिया. पश्चिम बंगाल काडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंद्योपाध्याय 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे. हालांकि, ममता बनर्जी के अनुरोध और उसके बाद केंद्र से मंजूरी मिलने पर उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था.
हालांकि इस घटनाक्रम के बाद बंद्योपाध्याय को सेवा विस्तार दिए जाने के मात्र चार दिन बाद केंद्र द्वारा 28 मई की रात को उनकी सेवाएं मांगने और राज्य सरकार से उन्हें तुरंत कार्यमुक्त करने को पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने ‘जबरन प्रतिनियुक्ति’ करार दिया है.
बंद्योपाध्याय का बैठक में शामिल न होना गलत: शुभेंदु अधिकारी
हालांकि, भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता हुई में बैठक में बंद्योपाध्याय के शामिल नहीं होने को गलत बताया.
पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अधिकारी ने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने जिस तरह से प्रधानमंत्री का अपमान किया, उसकी आलोचना करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं.’
उन्होंने कहा, ‘जो कुछ हुआ वह देश में अभूतपूर्व है और हो सकता है कि मुख्य सचिव को ऐसा करने के लिए बाध्य किया गया हो.’
Today is a dark day in India’s long-standing ethos of cooperative federalism, a principle held sacred by PM @narendramodi.
CM @MamataOfficial has shown once again that she is insensitive to the sufferings of the people of West Bengal.
— Suvendu Adhikari • শুভেন্দু অধিকারী (@SuvenduWB) May 28, 2021
इससे पहले 28 मई को एक ट्वीट में उन्होंने कहा था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पवित्र माने जाने वाले एक सिद्धांत- भारत के सहकारी संघवाद – के लंबे समय से चले आ रहे लोकाचार में आज एक काला दिन है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर दिखाया है कि वह पश्चिम बंगाल के लोगों की पीड़ा के प्रति असंवेदनशील हैं.’
उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के कई शीर्ष नेताओं ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि चक्रवात ‘यास’ से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए पश्चिम बंगाल में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नदारद रहीं और ऐसा करके उन्होंने संवैधानिक मर्यादाओं को तार-तार करने के साथ ही संघीय व्यवस्था की मूल भावना को भी आहत किया.
मुख्य सचिव को बुलाना लोकतंत्र पर हमला, ऐसा कदम से अराजकता पैदा होगी: कांग्रेस
कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को वापस बुलाए जाने को लोकतंत्र और सहकारी संघवाद पर हमला करार देते हुए शनिवार को कहा कि ऐसे कदम से अराजकता पैदा होगी.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह सवाल भी किया कि बंद्योपाध्याय को तीन महीने का सेवा विस्तार देने के चार दिनों बाद ही वापस बुलाने का फैसला क्यों किया गया?
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘मोदी सरकार की ओर से पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दुर्भावनापूर्ण एवं मनमाना ढंग से वापस बुलाए जाने ने पूरे देश की चेतना को स्तब्ध कर दिया है. यह इस मायने में और भी गंभीर है कि चार दिनों पहले मोदी सरकार ने ही मुख्य सचिव को तीन महीने का सेवा विस्तार दिया था.’
Modi Govt’s Malicious Recall of Bengal Chief Secretary is death knell for Federalism.
Union Govt’s Lethal Assault on Democracy will create Anarchy in the Country!!
Our Statement-: pic.twitter.com/ALjUUDwhXt
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 29, 2021
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि केंद्र का यह कदम लोकतंत्र और सहकारी संघवाद पर हमला है तथा ऐसे कदम से देश में अराजकता पैदा होगी.
उन्होंने कहा, ‘यह देश के संविधान और सहकारी संघवाद पर घोर कुठाराघात है. अगर केंद्र सरकार को दलीय आधार पर विभिन्न राज्यों से अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को वापस बुलाने की अनुमति दी गई तो विधि व्यवस्था और संविधान का पूरा ढांचा ध्वस्त हो जाएगा.’
सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘क्या प्रधानमंत्री और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग इसका खुलासा करेंगे कि मुख्य सचिव को सेवा विस्तार देने के चार दिनों के बाद ही उन्हें किस कारण से वापस बुलाया गया?’
कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि केंद्र सरकार के कदमों से ऐसा प्रतीत होता है कि वह हाल ही में निर्वाचित तृणमूल कांग्रेस सरकार को अपदस्थ करना चाहती है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सभी न्यायविदों, संवैधानिक विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों और हर देशवासी का आह्वान करती है कि वे भारत के संवैधानिक ताने-बाने और संघीय ढांचे पर हो रहे हमले की निंदा करें.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)