बीते 22 फरवरी को दादरा एवं नागर हवेली से 58 वर्षीय सांसद मोहन डेलकर का शव मुंबई के मरीन ड्राइव स्थित एक होटल के कमरे में पंखे से लटकता हुआ मिला था. 15 पन्नों के एक सुसाइड नोट में उन्होंने कथित तौर पर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल और कई अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के नाम लिखे थे.
मुंबई: दादरा एवं नागर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल और आठ अन्य के खिलाफ कथित तौर पर सांसद मोहन डेलकर को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए मुंबई पुलिस द्वारा मामला दर्ज किए जाने के तीन महीने बाद भी जांचकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने जांच में अभी तक कोई प्रगति नहीं की है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जांचकर्ता पिछले ढाई महीने में अब तक दो बार केंद्र शासित प्रदेश का दौरा कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक सिर्फ डेलकर के बेटे अभिनव का बयान दर्ज किया है.
जांचकर्ताओं के अनुसार, प्रफुल्ल खोड़ा पटेल इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक हैं, जो पिछले कुछ हफ्तों से लक्षद्वीप में विवादास्पद प्रस्तावों को लेकर चर्चा में हैं.
दरअसल पटेल दादरा एवं नागर हवेली के साथ लक्षद्वीप और दमन और दीव के प्रशासक भी हैं.
बता दें कि बीते 22 फरवरी को केंद्र शासित प्रदेश दादरा एवं नागर हवेली से 58 वर्षीय सांसद मोहन डेलकर मुंबई के मरीन ड्राइव स्थित होटल सी-ग्रीन के एक रूम में पंखे से लटकते हुए पाए गए थे.
उन्होंने 15 पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक और कई अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के नाम लिखे थे.
गुजराती में लिखे सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि वह जान-बूझकर मुंबई में अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि महाराष्ट्र सरकार और पुलिस उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, जिन्होंने उसे जीवन समाप्त करने के लिए उकसाया था.
उनकी मृत्यु के तुरंत बाद एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया और दो सप्ताह बाद धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 506 (आपराधिक धमकी), 389 (जबरन वसूली करने के लिए व्यक्ति को भय या अपराध के आरोप में डालना), आईपीसी की धारा 120(बी) (साजिश) और प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट, 1989 की धारा 3(1) (एन), 3(1) (पी), 3(2) (2), 3(2) (5,ए) के तहत मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था.
जांच में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, एफआईआर दर्ज करने के दौरान हमने अभिनव का बयान दर्ज किया.
उन्होंने कहा, ‘मार्च और अप्रैल में हमारी टीम दादरा एवं नागर हवेली बयान दर्ज करने के लिए गई थी, लेकिन जिन कुछ गवाहों से हम बात करना चाहते थे, वे बीमार हो गए थे, इसलिए हम कोई बयान दर्ज नहीं कर सके.’
जांच को जारी रखने के लिए टीम को अप्रैल में दोबारा भेजा गया, लेकिन तब भी अधिकारी खाली हाथ लौट आए.
आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘उसके बाद हमारे जांच अधिकारी एसीपी पांडुरंग शिंडे कोविड-19 पॉजिटिव हो गए जिसके कारण जांच आगे नहीं बढ़ पाई.’
जांच से जुड़े एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘हम गवाहों और दस्तावेजों का पता लगा रहे हैं, जिसके लिए एक टीम वहां गई थी. लेकिन कोई प्रगति नहीं हो पाई. अभिनव के बयान के अलावा हमने कुछ और बयान दर्ज किए, लेकिन वे हमारी जांच के लिए बहुत महत्वपूर्ण नहीं थे. अभी तक एकमात्र अभिनव का बयान हमारे लिए महत्वपूर्ण है, जो दर्ज हुआ है.’
डेलकर के बेटे अभिनव ने पुलिस को बताया था कि असामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम (पासा), 1985 के तहत फंसाने और गिरफ्तार होने से बचाने के लिए प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने उनके पिता से 25 करोड़ रुपये मांगे थे.
उन्होंने आगे कहा था कि डेलकर द्वारा करीब 100 करोड़ रुपये की कीमत से निर्मित एसएसआर कॉलेज का भी पटेल ने नियंत्रण मांगा था.
अभिनव ने स्थानीय प्रशासन पर भी उनके पिता को सरकारी कार्यक्रमों में नहीं बुलाने का आरोप लगाया था.
आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘दादरा एवं नागर हवेली में डेलकर को किनारे करने और उकसाने के लिए चीजें की गईं, लेकिन हम अभी भी गवाहों और सबूतों को पता लगा रहे हैं जो हमारे नतीजों की मदद कर सकें.’
पुलिस ने एफआईआर में नौ अधिकारियों को नामित किया है, लेकिन बयान दर्ज करने के लिए अभी उन्हें समन भेजना बाकी है, क्योंकि उनका दावा है कि उन्हें तभी बुलाया जाए जब उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हों.
अभिनव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘पिछले हफ्ते जांचकर्ताओं से मिलने के लिए मैं मुंबई गया था. मुझे बताया गया कि कोविड के कारण जांच धीमी हो गई है.’
बता दें कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को लक्षद्वीप के प्रशासक के पद से हटाने की मांग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से की जा रही है.
इसका कारण है कि पिछले साल दिसंबर में लक्षद्वीप का प्रभार मिलने के बाद प्रफुल्ल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे ले आए हैं, जिसका तमाम विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. वहीं, भाजपा के स्थानीय से लेकर केंद्रीय नेता पटेल के कदमों को लेकर दो खेमों में बंट गए हैं.