पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा कि यह एकतरफ़ा आदेश क़ानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, यह पूरी तरह से असंवैधानिक है. यास तूफान को लेकर मोदी की बैठक में बनर्जी के शामिल नहीं होने के बाद केंद्र ने मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय का दिल्ली तबादला कर दिया था.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को दिल्ली भेजने से इनकार कर दिया है. बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के आदेश को रद्द करने का अनुरोध भी किया है.
बनर्जी ने मोदी को भेजे पत्र में कहा है कि वे पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के एकतरफा आदेश से स्तब्ध और हैरान हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह एकतरफा आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, यह ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व तथा पूरी तरह से असंवैधानिक है.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद मुख्य सचिव का कार्यकाल एक जून से अगले तीन महीने के लिए बढ़ाने का जो आदेश दिया था, उसे ही प्रभावी माना जाए. उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार ऐसे नाजुक मोड़ पर अपने मुख्य सचिव को दिल्ली नहीं भेज सकती है.
बनर्जी ने पत्र में लिखा, ‘संघीय सहयोग, अखिल भारतीय सेवा तथा इसके लिए बनाए गए कानूनों के वैधानिक ढांचे का आधार स्तंभ है.’
ममता बनर्जी ने केंद्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्य सचिव को 24 मई को सेवा विस्तार की अनुमति देने और चार दिन बाद के आपके एकपक्षीय आदेश के बीच आखिर क्या हुआ, यह बात समझ में नहीं आई.
बनर्जी ने मोदी से कहा, ‘मुझे आशा है कि नवीनतम आदेश (मुख्य सचिव का तबादला दिल्ली करने का) और कलईकुंडा (हवाई पट्टी; यास तूफान समीक्षा बैठक के लिए मोदी यहीं पहुंचे थे.) में आपके साथ हुई मेरी मुलाकात का कोई लेना-देना नहीं है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सिर्फ आपसे बात करना चाहती थी, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच आमतौर पर जिस तरह से बैठक होती है, उसी तरह से, लेकिन आपने अपने दल के एक स्थानीय विधायक को भी इस दौरान बुला लिया, जबकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में उपस्थित रहने का उनका कोई मतलब नहीं है.’
वहीं द हिंदू के मुताबिक, अब केंद्र सरकार आलापन बंदोपाध्याय के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई कर सकती है, क्योंकि उन्होंने आज (31 मई) केंद्र को रिपोर्ट नहीं किया.
Just In | Centre likely to initiate disciplinary proceedings against #WestBengal chief secretary Alapan Bandyopadhyay, said a senior government official. He was asked to report to Central Government at 10 am today, reports @vijaita
— The Hindu (@the_hindu) May 31, 2021
मालूम हो कि बीते 28 मई को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चक्रवाती तूफान ‘यास’ पर समीक्षा बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल न होने के बाद केंद्र ने राज्य के मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय का तबादला करने का आदेश जारी कर दिया था.
प्रधानमंत्री की इस बैठक में बंद्योपाध्याय भी शामिल नहीं हो सके थे. इस बैठक के कुछ घंटे बाद ही केंद्र सरकार की ओर से उन्हें दिल्ली बुलाने का आदेश जारी कर सोमवार (31 मई) को रिपोर्ट करने को कहा गया. मुख्यमंत्री ने इस फैसले को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की थी.
दरअसल आलापन बंद्योपाध्याय 31 मई को रिटायर हो रहे थे. तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पांच दिन बाद 10 मई को ममता बनर्जी ने कोरोना वायरस महामारी के कारण बंद्योपाध्याय को तीन महीने का सेवा विस्तार देने का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. इसके बाद बीते 24 मई को केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी थी.
हालांकि ताजा घटनाक्रम के बाद केंद्र ने यह आदेश बदलकर उनके तबादले का आदेश जारी कर दिया.
इस विवाद के एक दिन बाद शनिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि उन्होंने विपक्ष के नेता (शुभेंदु अधिकारी) की मौजूदगी पर आपत्ति जताते हुए बैठक में भाग नहीं लिया.
चक्रवात से हुई तबाही पर प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में मौजूद नहीं रहने के कारण हो रही आलोचना के बारे में बनर्जी ने कहा था, ‘यह बैठक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होने वाली थी. बाद में मुझे संशोधित कार्यक्रम में पता चला कि यह बड़ी भाजपा पार्टी और अकेले मेरे बीच थी. भाजपा नेताओं को इसमें क्यों बुलाया गया?’
भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर ‘बदले की राजनीति’ का आरोप लगाते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को बुलाने के फैसले को वापस ले और वरिष्ठ नौकरशाह को कोविड-19 संकट के दौरान लोगों के लिए काम करने की इजाजत दे.
बनर्जी ने कहा था, ‘क्योंकि आप (मोदी और शाह) भाजपा की हार (बंगाल में) पचा नहीं पा रहे हैं, आपने पहले दिन से हमारे लिए मुश्किलें खड़ी करनी शुरू कर दीं. मुख्य सचिव की क्या गलती है? कोविड-19 संकट के दौरान मुख्य सचिव को बुलाना दिखाता है कि केंद्र बदले की राजनीति कर रहा है.’
उन्होंने आगे कहा था, ‘अगर प्रधानमंत्री मुझसे कहते हैं कि आप मेरे पैर छुओ, मैं बंगाल की मदद करूंगा तो मैं वह भी करने के लिए तैयार हूं, लेकिन कृपया मुझे इस तरह अपमानित न करें. बंगाल को बदनाम न करें. एकतरफा हेराफेरी, खबरों में हेराफेरी, आप पीएम हाउस से दे रहे हैं और आप प्रेस पर इस खबर को आगे बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)