झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र ने न तो उचित टीकाकरण मुहिम शुरू करने, न ही ऑक्सीजन वितरण और न ही किसी अन्य चीज़ के लिए प्रबंध किए. ये संदेश दिया कि हमने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जीत ली है. अब इसका ख़ामियाज़ा लोग भुगत रहे हैं. यदि उचित तैयारी होती, तो ऐसे हालात कभी पैदा नहीं होते.
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि केंद्र ऐसे समय में राजनीति कर रहा है, जब देश कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रहा है.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की कि वह राज्यों के साथ मिलकर इस ‘तूफान’ (कोविड-19) का सामना करें और इससे बचने पर ध्यान केंद्रित करें.
सोरेन ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘जब हम एक तूफान से घिरे हुए हैं, तब ये राजनीति करने का समय नहीं है. यह एक दूसरे की टांग खींचने का समय नहीं है. (आइए) इस तूफान से मिलकर मुकाबला करते हैं और नौका को किनारे पर लेकर आते हैं, लेकिन यदि आप (केंद्र) बीच समुद्र में लड़ाई करते रहेंगे, तो आप डूब जाएंगे और हम (राज्य) भी डूब जाएंगे.’
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से इस मुश्किल समय में मिलकर काम करने की अपील की और उन पर देश की संघीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया.
सोरेन ने कहा कि इस समय देश वैश्विक महामारी की आक्रामक दूसरी लहर का सामना कर रहा है और इससे निपटने के लिए केंद्र एवं राज्यों के बीच उचित समन्वय की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे दुख होता है. प्रधानमंत्री वीडियो कांफ्रेंस के जरिये जिला मजिस्ट्रेट और उपजिलाधिकारियों से बात करते हैं, लेकिन मुख्यमंत्रियों को बात करने की अनुमति नहीं देते. संघीय प्रणाली में आप राज्यों के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रहे. पिछले 70 साल में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. यदि राज्य सरकारें केंद्र के साथ ऐसा करना शुरू कर दें, तो क्या होगा?’
इस महीने की शुरुआत में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में कोविड की स्थिति पर फोन पर बातचीत के दौरान उनकी बात नहीं सुनी और सिर्फ अपने ‘मन की बात’ की. सोरेन ने कहा था कि बेहतर होता कि प्रधानमंत्री ‘काम की बात’ करते और ‘काम की बात’ सुनते.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आपने (केंद्र ने) न तो उचित टीकाकरण मुहिम शुरू करने, न ही ऑक्सीजन वितरण और न ही किसी अन्य चीज के लिए प्रबंध किए. आपने संदेश दिया कि हमने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जीत ली है और हर कोई निद्रासन में चला गया. अब इसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं. यदि उचित तैयारी होती, तो ऐसे हालात कभी पैदा नहीं होते.’
सोरेन ने प्रधानमंत्री पर तीखा हमला करते हुए कहा कि केंद्र ने कोविड-19 की पहली लहर के दौरान गरीबों, असहाय लोगों और प्रवासी मजदूरों के लिए उचित प्रबंध किए बिना लॉकडाउन लगा दिया.
उन्होंने कहा, ‘इस लॉकडाउन से कई लोगों की मौत हुई और अब आप लॉकडाउन लागू नहीं करने की शिक्षा दे रहे हैं.’
सोरेन ने टीकाकरण मुहिम को लेकर कहा कि झारखंड के पास 18 से 44 आयुवर्ग के लिए टीकों की खुराक लगभग समाप्त हो चुकी हैं और उसके पास दो से तीन दिन की खुराक ही बची है.
उन्होंने नाराजगी जताई कि देश के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की 34 प्रतिशत आपूर्ति झारखंड ने की, लेकिन उसे राज्य में गैस के वितरण के लिए केंद्र से अनुरोध करना पड़ा.
उन्होंने कहा कि यहां संयंत्र लगाने की अनुमति केंद्र ने नहीं, राज्य सरकार ने दी थी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस मामले को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष भी उठाया है.
सोरेन ने कहा, ‘हम आपको संरक्षक स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि हम देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक हैं, लेकिन हमारे संसाधनों का दोहन नहीं करें. हमारे सभी आर्थिक संसाधन आपने अपने नियंत्रण में ले लिए हैं, लेकिन हमें उचित मुआवजा नहीं मिल रहा.’
उन्होंने कहा कि उनके राज्य में टीका बर्बादी का जो आंकड़ा बताया गया है, वह असल संख्या से बहुत अधिक है.
सोरेन ने ‘कोविन’ पोर्टल से पंजीकरण की प्रक्रिया को जटिल बताते हुए कहा कि झारखंड के लोग डिजिटल रूप से साक्षर नहीं हैं और इसलिए राज्य ने उच्चतम न्यायालय से अपील की है कि उसे अपनी ऐप मुहैया कराने की अनुमति दी जाएं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘दूरदराज के क्षेत्रों में स्मार्टफोन की अनुपलब्धता और इंटरनेट की कमी के कारण आदिवासी लोगों के एक बड़े हिस्से को कोविड-19 के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान में टीका लगाने का मौका नहीं मिल रहा है. झारखंड सरकार इसका उपयोग करना चाहती है. पंजीकरण के लिए अधिक अनुकूल ऐप होना चाहिए.’
साल 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में 86.45 लाख आदिवासी हैं, जो 3.29 करोड़ की कुल आबादी का 27 प्रतिशत है.
इससे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक साक्षात्कार में कहा था, ‘क्या यह राष्ट्रीय महामारी है या राज्य केंद्रित समस्या? केंद्र ने स्थिति को संभालने के लिए न तो हम पर छोड़ा है, न ही इसे ठीक से संभाल रहा है. हमें दवाएं आयात करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि केंद्र अनुमति नहीं देता है, लेकिन किसी भी तरह यह जब चाहें आयात करने का प्रबंधन करता है.’
सोरेन ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने कोविड -19 महामारी के प्रबंधन से संबंधित ऑक्सीजन, चिकित्सा उपकरण और टीकों का आवंटन समेत लगभग सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियंत्रण कर लिया है. उन्होंने कहा था कि हमें वह नहीं मिल रहा है, जिसकी जरूरत है, चाहे वह टीके हों या दवाएं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)