चक्रवाती तूफान यास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल नहीं होने के बाद केंद्र ने मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय का दिल्ली तबादला कर दिया था. केंद्र की मोदी सरकार की ओर से उन्हें 31 मई को दिल्ली में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था. बंद्योपाध्याय के वहां नहीं पहुंचने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
कोलकाता: चक्रवाती तूफान यास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक में शामिल न होने के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय का केंद्र द्वारा तबादला किए जाने से उठे विवाद के बाद ममता बनर्जी ने उन्हें तीन साल के लिए अपना सलाहकार नियुक्त कर लिया है.
बंद्योपाध्याय ने सोमवार दिन में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बंद्योपाध्याय को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और तीन दिन के भीतर उन्हें जवाब देने के लिए कहा गया है.
A show cause notice has been issued to former West Bengal Chief Secretary Alapan Bandyopadhyay under Disaster Management Act 2005 asking him to write within 3 days
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— ANI (@ANI) June 1, 2021
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि वह राज्य के मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को अवकाश ग्रहण करने की अनुमति देने के बाद उन्हें तीन साल के लिए (मुख्यमंत्री का) सलाहकार नियुक्त कर रही हैं. उनकी नियुक्ति मंगलवार से प्रभावी होगी. केंद्र ने उन्हें दिल्ली वापस आने का आदेश दिया था.
ममता ने कहा कि गृह सचिव एचके द्विवेदी नए मुख्य सचिव होंगे और बीपी गोपालिका को द्विवेदी के स्थान पर नियुक्ति किया जाएगा.
बंद्योपाध्याय के कार्यमुक्त होने की घोषणा करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह नौकरशाहों के साथ खड़ी हैं और अपने इस कदम से मोदी सरकार ने नौकरशाहों का अनादर किया है.
उन्होंने कहा, ‘जो भी वे (केंद्र) कहते हैं वह करने के लिए वे (नौकरशाह) बाध्य नहीं हैं. बहुत हो गया. मैं नौकरशाहों के साथ हूं. उनका अपमान किया गया है. वे (केंद्र) सिर्फ भाषण देते हैं और (उम्मीद करते हैं) नौकरशाह भारी काम करें.’
ममता ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र ने उन्हें मंगलवार को नॉर्थ ब्लॉक (दिल्ली) आने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि लेकिन राज्य प्रशासन की अनुमति के बिना कोई अधिकारी किसी नए कार्यालय में सेवा नहीं दे सकते.
उन्होंने कहा, ‘मुख्य सचिव को कल तक नॉर्थ ब्लॉक पहुंचने के लिए केंद्र का एक पत्र मिला. यह मेरे पत्र का नहीं बल्कि मुख्य सचिव को जवाब है. मुझे केंद्र से उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला है जो मैंने आज भेजा है.’
इस कदम के बाद केंद्र द्वारा शीर्ष नौकरशाह के खिलाफ संभावित कार्रवाई के बीच राज्य और केंद्र सरकार के टकराव में और वृद्धि हो सकती है.
ममता ने दावा किया कि केंद्र सरकार का फैसला एकतरफा और असंवैधानिक है. उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें कार्यमुक्त नहीं कर रहे हैं. वह आज सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन वह अगले तीन वर्षों तक मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार के तौर पर काम करेंगे.’
इससे पहले दिन में ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर मुख्य सचिव को बुलाने के केंद्र के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था.
इससे पहले दिन में ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर अपने मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को दिल्ली भेजने से इनकार कर दिया था. बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के आदेश को रद्द करने का अनुरोध भी किया था.
बनर्जी ने मोदी को भेजे पत्र में कहा था कि वे पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के एकतरफा आदेश से स्तब्ध और हैरान हैं.
उन्होंने कहा था, ‘यह एकतरफा आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, यह ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व तथा पूरी तरह से असंवैधानिक है.’
पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंद्योपाध्याय 60 वर्ष का होने पर 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे.
मालूम हो कि बीते 28 मई को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चक्रवाती तूफान ‘यास’ पर समीक्षा बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल न होने के बाद केंद्र ने राज्य के मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय का तबादला करने का आदेश जारी कर दिया था.
प्रधानमंत्री की इस बैठक में बंद्योपाध्याय भी शामिल नहीं हो सके थे. इस बैठक के कुछ घंटे बाद ही केंद्र सरकार की ओर से उन्हें दिल्ली बुलाने का आदेश जारी कर सोमवार (31 मई) को रिपोर्ट करने को कहा गया. मुख्यमंत्री ने इस फैसले को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की थी.
इससे पहले तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पांच दिन बाद 10 मई को ममता बनर्जी ने कोरोना वायरस महामारी के कारण बंद्योपाध्याय को तीन महीने का सेवा विस्तार देने का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. इसके बाद बीते 24 मई को केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी थी.
हालांकि ताजा घटनाक्रम के बाद केंद्र ने यह आदेश बदलकर उनके तबादले का आदेश जारी कर दिया था.
इस विवाद के एक दिन बाद 29 मई को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि उन्होंने विपक्ष के नेता (शुभेंदु अधिकारी) की मौजूदगी पर आपत्ति जताते हुए बैठक में भाग नहीं लिया.
बहरहाल राज्य सरकार द्वारा बंद्योपाध्याय को सेवानिवृत्त होने की अनुमति देने संबंधी मुख्यमंत्री के बयान से स्पष्ट होता है कि राज्य मुख्य सचिव को सेवा विस्तार देने के लिए केंद्र की अनुमति का उपयोग नहीं कर रहा है.
ममता बनर्जी ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देश के संघीय ढांचे को बर्बाद करने और राज्य के लिए समस्याएं पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वे हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.
ममता ने कहा, ‘यह पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध है. उनका एकमात्र निशाना ममता बनर्जी है.’
उन्होंने कहा, ‘वे एडॉल्फ हिटलर और (जोसेफ) स्टालिन की तरह निरंकुश व्यवहार कर रहे हैं. राज्य सरकार की सहमति के बिना केंद्र किसी (अधिकारी) को नियुक्ति के लिए बाध्य नहीं कर सकता. मैं भारत की सभी राज्य सरकारों, सभी विपक्षी नेताओं, आईएएस, आईपीएस अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों को इस लड़ाई के लिए एक साथ होने की अपील करूंगी.’
केंद्र ने बंद्योपाध्याय को मंगलवार को दिल्ली बुलाया, स्मरण पत्र भेजा
केंद्र ने सोमवार को ‘सेवानिवृत’ हुए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को एक जून को सुबह 10 बजे कार्मिक मंत्रालय में रिपोर्ट करने के लिए स्मरण पत्र भेजा है और ऐसा नहीं करने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
अधिकारियों ने बताया कि यह स्मरण पत्र तब भेजा गया जब बंद्योपाध्याय मंत्रालय के पिछले आदेश पर बीते सोमवार को यहां नहीं पहुंचे.
दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि यदि बंद्योपाध्याय मंगलवार को दिल्ली रिपोर्ट नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध जरूरी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ‘उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है और यह सफाई मांगी जा सकती है कि वह दिल्ली में केंद्र की सेवा में क्यों शामिल नहीं हुए?’
आलापन बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाने का आदेश असामान्य
पश्चिम बंगाल सरकार के सेवानिवृत्त हो चुके मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को तीन महीने का सेवा विस्तार देने के बाद उन्हें दिल्ली बुलाने का केंद्र सरकार का आदेश असामान्य है, क्योंकि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए संबंधित अधिकारी या राज्य सरकार (या दोनों) की इच्छा की मांग को प्राथमिकता दी जाती है. इस मामले में न तो राज्य सरकार ने और न ही अधिकारी ने ऐसी इच्छा जताई है.
केंद्र सरकार के कदम को लेकर सियासी प्रतिक्रियाओं के बीच विवाद खड़ा हो गया है. संबंधित अधिकारी को सेवा विस्तार कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा दिया गया था, लेकिन जिस तरह से इस फैसले को एक सप्ताह के भीतर और संबंधित अधिकारी की निर्धारित सेवानिवृत्ति से दो दिन पहले पलटा गया, उस पर कई पक्षों ने आपत्ति जताई है.
पूर्व आईएएस अधिकारी ईएएस सरमा का कहना है कि तकनीकी रूप से आईएएस (कैडर) नियम के तहत निश्चित रूप से केंद्र को राज्य से आईएएस अधिकारियों को वापस बुलाने का अधिकार है, लेकिन इस तरह की वापसी उचित आधार पर और जनहित के लिए होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस तरह का निर्णय लेते समय केंद्र को राज्य के साथ सलाह करने की आवश्यकता होती है और असहमति की स्थिति में केंद्र को असाधारण परिस्थितियों का हवाला देना चाहिए.
सरमा ने कहा कि उपलब्ध समाचार रिपोर्टों से ऐसा लगता है कि केंद्र ने ‘एकतरफा’ निर्णय लिया है.
उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा, ‘अगर ऐसा है तो केंद्र द्वारा जारी आदेश कानूनी कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा.’
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच के संबंध टकरावपूर्ण नहीं, बल्कि सहयोगात्मक होने चाहिए.
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव के रूप में कार्य कर चुके सरमा ने कहा, ‘केंद्र को व्यक्तिगत अहंकार और संकीर्ण विचारों का शिकार नहीं होना चाहिए और उसे सहकारी संघवाद की भावना से समझौता नहीं करना चाहिए. भारतीय संविधान के निर्माताओं ने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी स्थितियां पैदा होंगी.’
आंध्र प्रदेश कैडर के 1965 बैच के आईएएस अधिकारी सरमा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी.
यदि अधिकारी कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को रिपोर्ट नहीं करता है, तो क्या स्थिति होगी
यदि अधिकारी कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को रिपोर्ट नहीं करता है तो ऐसी स्थिति में कार्मिक मंत्रालय संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांग सकता है. उनके जवाब पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी और मामला सुलझने के बाद ही पूरी पेंशन के लिए कार्रवाई की जाएगी.
आईएएस अधिकारियों पर लागू अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 में मामूली और सख्त सजा के लिए प्रावधान हैं, जो केंद्र द्वारा किसी अधिकारी पर लगाया जा सकता है.
नियमों के अनुसार, मामूली दंड के तहत निंदा, पदोन्नति पर रोक, वेतन वृद्धि पर रोक और वेतनमान में कमी आदि शामिल हैं. सख्त सजा में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति और सेवा से निष्कासन आदि शामिल हैं.
कार्मिक और लोक शिकायत मंत्रालय के तहत कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए कैडर नियंत्रण प्राधिकरण है.
यह मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधीन है और जितेंद्र सिंह मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)