कोरोना महामारी की दूसरी लहर से एक करोड़ लोग हुए बेरोज़गार: सीएमआईई

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आकलन के अनुसार, बेरोज़गारी दर मई में 12 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 8 प्रतिशत थी. यानी इस दौरान क़रीब एक करोड़ भारतीयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. इसका मुख्य कारण कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आकलन के अनुसार, बेरोज़गारी दर मई में 12 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 8 प्रतिशत थी. यानी इस दौरान क़रीब एक करोड़ भारतीयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. इसका मुख्य कारण कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण देश में एक करोड़ से अधिक लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है जबकि पिछले साल महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक 97 प्रतिशत परिवारों की आय घटी है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी महेश व्यास ने सोमवार को यह जानकारी दी.

व्यास ने कहा कि शोध संस्थान के आकलन के अनुसार बेरोजगारी दर मई में 12 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 8 प्रतिशत थी. इसका मतलब है कि इस दौरान करीब एक करोड़ भारतीयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.

उन्होंने कहा, ‘रोजगार जाने का मुख्य कारण कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर है. अर्थव्यवस्था में कामकाज सुचारू होने के साथ कुछ हद तक समस्या का समाधान हो जाने की उम्मीद है, लेकिन यह पूरी तरह से नहीं होगी.’

व्यास के अनुसार, जिन लोगों की नौकरी गई है, उन्हें नया रोजगार तलाशने में दिक्कत हो रही है. असंगठित क्षेत्र में रोजगार तेजी से सृजित होते हैं, लेकिन संगठित क्षेत्र में अच्छी नौकरियों के आने में समय लगता है.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल मई में कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर तक चली गई थी.

कई विशेषज्ञों की राय है कि संक्रमण की दूसरी लहर चरम पर पहुंच चुकी है और अब राज्य धीरे-धीरे पाबंदियों में ढील देते हुए आर्थिक गतिविधियों की अनुमति देना शुरू करेंगे.

व्यास ने आगे कहा कि 3-4 प्रतिशत बेरोजगारी दर को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सामान्य माना जाना चाहिए. यह बताता है कि स्थिति ठीक होने में समय लग सकता है.

उन्होंने कहा कि सीएमआईई ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवार का देशव्यापी सर्वे का काम पूरा किया. इससे पिछले एक साल के दौरान आय सृजन को लेकर चिंताजनक स्थिति सामने आई है.

व्यास के अनुसार, सर्वे में शामिल परिवार में से केवल 3 प्रतिशत ने आय बढ़ने की बात कही, जबकि 55 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आमदनी कम हुई है.

सर्वे में 42 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आय पिछले साल के बराबर बनी हुई है.

उन्होंने कहा, ‘अगर महंगाई दर को समायोजित किया जाए, हमारा अनुमान है कि देश में 97 प्रतिशत परिवार की आय महामारी के दौरान कम हुई है.’

इससे पहले मई महीने की शुरुआत में  सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने एक अध्ययन जारी कर कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए गए ‘लॉकडाउन’ और अन्य पाबंदियों से अप्रैल महीने में 73.5 लाख से अधिक लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा.

इससे अप्रैल में बेरोजगारी दर चार महीने के उच्च स्तर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. रोजगार दर मार्च में 37.56 फीसदी से घटकर अप्रैल में 36.79 फीसदी हो गई थी, जो कि चार महीनों में न्यूनतम थी.

आंकड़ों में यह भी बताया गया था कि जो लोग बेरोजगार थे और अभी तक सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश नहीं कर रहे थे, इनकी संख्या मार्च में 1.60 करोड़ से बढ़कर अप्रैल में 1.94 करोड़ हो गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)