महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले की रहने वाली हाली रघुनाथ बराफ को अपनी बहन को तेंदुए के चंगुल से बचाने के लिए 2013 में राष्ट्रीय बालवीर पुरस्कार मिला था. उन्होंने कहा है कि इस पुरस्कार से उनके परिवार की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ. परिवार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से राशन नहीं मिल रहा, क्योंकि ऑनलाइन प्रणाली में परिवार का नाम ही दर्ज नहीं किया गया.
ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक आदिवासी युवती ने बुधवार को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार इसलिए लौटा दिया, क्योंकि उनके परिवार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों से राशन नहीं मिल रहा.
हाली रघुनाथ बराफ ने दावा किया कि शाहपुर तहसील के 400 आदिवासी परिवारों की यही दुर्दशा है.
बराफ को अपनी बहन को तेंदुए के चंगुल से बचाने के लिए 2013 में ‘वीर बापूजी गंधानी राष्ट्रीय बालवीर पुरस्कार’ मिला था. वह जिले के राठ अंडाले पाड़ा में रहती हैं. जब यह घटना हुई थी, तब वह 15 साल की थीं.
उन्होंने एक विज्ञप्ति में कहा कि इस पुरस्कार से उसके परिवार के लिए कोई बदलाव नहीं हुआ और आज की तारीख में भी उनके परिवार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से राशन नहीं मिल सकता, क्योंकि ऑनलाइन प्रणाली में परिवार का नाम ही दर्ज नहीं किया गया.
उन्होंने बयान में दावा किया कि तहसील के लगभग 400 आदिवासी परिवारों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इस आधिकारिक उदासीनता का विरोध करने के लिए उन्होंने महाराष्ट्र के भिवंडी के उप-मंडल अधिकारी को अपना पुरस्कार वापस कर दिया.