केरल विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि महामारी से लड़ने के लिए हमें सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण प्रदान करने की ज़रूरत है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि समाज के सभी वर्ग वायरस से सुरक्षित हैं. केंद्र सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं बच सकती और सब कुछ राज्यों पर नहीं छोड़ सकती. उसे समयबद्ध तरीके से टीकाकरण सुनिश्चित करना चाहिए.
तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने बुधवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से सभी राज्यों को कोविड-19 के टीके निशुल्क उपलब्ध कराने की मांग की.
राज्य में कोविड रोधी टीके की भारी कमी के बीच स्वास्थ्य, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री वीणा जॉर्ज ने सदन में यह प्रस्ताव पेश किया.
इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से टीकों के समय पर वितरण का भी अनुरोध किया गया.
जॉर्ज ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए, हमें समाज के सभी वर्गों को नि:शुल्क टीके उपलब्ध कराने होंगे, ताकि इस जानलेवा वायरस से उन सभी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.’
उन्होंने कोविड-19 के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रही अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि महामारी की पहली लहर ने अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया था और अब हम दूसरी भयावह लहर का सामना कर रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘यदि हम टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाएं तो इससे अर्थव्यवस्था को उबरने में मदद मिलेगी. इस महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में सभी को एकजुट होना चाहिए और सार्वभौमिक टीकाकरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए.’
अपने राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार करते हुए, सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ)और कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) के सदस्यों ने मामूली बदलावों का सुझाव देने के बाद सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव का समर्थन किया.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, प्रस्ताव में कहा गया, ‘महामारी से लड़ने के लिए हमें सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण प्रदान करने की आवश्यकता है जो यह सुनिश्चित करेगा कि समाज के सभी वर्ग वायरस से सुरक्षित हैं. केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती और सब कुछ राज्यों पर नहीं छोड़ सकती. उसे समयबद्ध तरीके से टीकाकरण सुनिश्चित करना चाहिए.’
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार को 11 गैर-भाजपा राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर सभी से मुफ्त सार्वभौमिक टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने का आग्रह किया था.
कई गैर-भाजपा शासित राज्यों ने टीकाकरण के तीसरे चरण के लिए राज्यों को अलग से निर्माताओं से कोविड-19 टीके खरीदने के केंद्र के फैसले पर सवाल उठाया है. राज्यों ने टीकों की खराब आपूर्ति और उनके मूल्य निर्धारण को प्रमुख समस्या रूप में उद्धृत किया है.
प्रस्ताव में केंद्र सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कंपनियों द्वारा आपूर्ति बढ़ाने और टीकों के निर्माण को सक्षम करने के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग प्रावधानों को लागू करने के लिए भी कहा गया है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की कोविड टीकाकरण नीति को मनमानापूर्ण करार देते हुए उसकी समीक्षा करने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा दो चरणों में संबंधित समूहों (45 वर्ष से अधिक उम्र) को टीके की मुफ्त खुराक दी गई और अब राज्यों एवं निजी अस्पतालों को 18-44 साल आयु वर्ग के लोगों से शुल्क वसूलने की अनुमति दी गई है. अदालत ने यह भी जानना चाहा कि टीकाकरण के लिए निर्धारित 35,000 करोड़ रुपये अब तक कैसे खर्च किए गए हैं और इसका उपयोग 18 से 44 साल के लोगों के टीकाकरण पर क्यों नहीं किया जा सकता.
इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वे कोविड-19 टीकाकरण नीति से जुड़ी अपनी सोच को दर्शाने वाले सभी प्रासंगिक दस्तावेज और फाइल पर की गईं टिप्पणियां रिकॉर्ड पर रखे तथा कोवैक्सीन, कोविशील्ड एवं स्पुतनिक वी समेत सभी टीकों की आज तक की खरीद का ब्योरा पेश करें.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने टीकाकरण पर केंद्र की दोहरी मूल्य नीति पर फटकार लगाया था और कहा था कि राज्यों को अधर में नहीं छोड़ सकते.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)