विधानसभा चुनाव में भाजपा के गठबंधन में शामिल रहे एक दल जनाधिपत्य राष्ट्रीय सभा की एक नेता ने भाजपा प्रमुख के. सुरेंद्रन का एक कथित ऑडियो क्लिप जारी करते हुए आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी प्रमुख ने एनडीए में शामिल होने के लिए दस करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसमें से उन्हें 10 लाख रुपये दिए गए थे.
नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद केरल भाजपा के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है.
चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल रहीं एक नेता ने दावा किया है कि उनकी पार्टी की प्रमुख और लोकप्रिय आदिवासी चेहरा सीके जनु ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन से एनडीए में लौटने के लिए 10 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसमें से 10 लाख रुपये उन्हें पहुंचाए भी गए थे.
जनाधिपत्य राष्ट्रीय सभा (जेआरएस) की कोषाध्यक्ष प्रसीथा अजीकोड़े के इन आरोपों का अभी तक भाजपा ने कोई जवाब नहीं दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, प्रसीथा ने उनके और सुरेंद्रन के बीच हुई कथित बातचीत का एक ऑडियो जारी किया है, जिसमें कथित तौर पर जेआरएस प्रमुख सीके जनु को 10 लाख रुपये देने की बात की जा रही है.
जनु ने आरोपों से इनकार किया है और उनसे अलग हुए पार्टी सहयोगी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की धमकी दी है.
जारी किए गए ऑडियो में के. सुरेंद्रन की आवाज होने का दावा किया गया है. टेप में एक शख्स (जो कथित तौर पर सुरेंद्रन हैं) कहते हैं, ‘उन्हें 6 मार्च को आने दो. मैं उन्हें निजी तौर पर यह दे दूंगा. तुम भी आना… चुनाव के दौरान यह पैसों का लेन-देन… यह मुमकिन नहीं कि इसे इधर-उधर ले जाया जाए.’
वहीं कथित ऑडियो क्लिप में प्रसीथा को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि 10 करोड़ रुपये की मांग अवास्तविक थी और कुछ वित्तीय मामलों को सुलझाने के लिए जनु को 10 लाख रुपये की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि उसे सीधे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा भुगतान किया जाए.
प्रसीथा के अनुसार, वह 6 मार्च को जनु के साथ 10 लाख रुपये लेने तिरुवनंतपुरम गई थीं, लेकिन जब पैसे सौंपे गए तो वह गेस्ट हाउस में मौजूद नहीं थीं. संयोग से, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगले दिन एक पार्टी कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए 6 मार्च की देर रात तिरुवनंतपुरम पहुंचे थे.
इसके बाद सात मार्च को जनु, जो कभी राज्य में आदिवासी आंदोलन का चेहरा थीं, ने कहा कि वह 6 अप्रैल को राज्य के चुनावों के लिए एनडीए में फिर से शामिल हो गई हैं.
जनु ने साल 2016 में जेआरएस का गठन किया था और 2018 में गठबंधन छोड़ने से पहले उन्होंने उस साल एनडीए के सहयोगी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा था. वह सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ में शामिल होना चाहती थीं, लेकिन यहां बात बन नहीं पाई.
प्रसीथा का दावा है कि सुरेंद्रन इसलिए जनु को वापस में एनडीए में शामिल करना चाहते थे, क्योंकि वह एक बड़ी आदिवासी नेता हैं.
उन्होंने कहा कि जनु ने इसके बदले में केंद्र सरकार में कैबिनेट रैंक की एक पोस्ट और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक सीट की भी मांग की थी.
भाजपा पर ये आरोप ऐसे समय पर लगा है जब केरल पुलिस द्वारा थ्रिसूर में कुल 3.5 करोड़ रुपये की नकदी की चोरी के संबंध में भाजपा नेताओं की जांच की जा रही है. पुलिस को संदेह है कि यह पैसा ‘बेहिसाब चुनावी फंड’ का हिस्सा था.