यूपी सरकार ने माना, बेसिक शिक्षा विभाग में कोविड से क़रीब डेढ़ हज़ार शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत

स्कूली शिक्षा महानिदेशक की रिपोर्ट के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग में कोविड-19 संक्रमण से शिक्षकों सहित 1,474 कार्मिकों की मृत्यु हुई है. इसके साथ ही पिछले वर्ष से अब तक 812 कर्मचारियों ने नॉन-कोविड कारणों से जान गंवाई है. हालांकि रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं किया गया है कि कोविड से हुईं मौतें किस अवधि की हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

स्कूली शिक्षा महानिदेशक की रिपोर्ट के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग में कोविड-19 संक्रमण से शिक्षकों सहित 1,474 कार्मिकों की मृत्यु हुई है. इसके साथ ही पिछले वर्ष से अब तक 812 कर्मचारियों ने नॉन-कोविड कारणों से जान गंवाई है. हालांकि रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं किया गया है कि कोविड से हुईं मौतें किस अवधि की हैं.

(फोटो: पीटीआई)
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गोरखपुर: प्रदेश सरकार ने माना है कि बेसिक शिक्षा विभाग में कोविड-19 संक्रमण से शिक्षकों सहित 1,474 कार्मिकों की मृत्यु हुई है. इसके अलावा पिछले वर्ष से अब तक 812 कार्मिकों की नॉन-कोविड कारणों से मौत हुई है.

महानिदेशक स्कूली शिक्षा द्वारा अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को दो जून को भेजी गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विभाग में कोविड-19 के कारण कुल 1,474 कार्मिकों की मृत्यु हुई है.

इसमें समूह क के एक अधिकारी, छह खंड शिक्षा अधिकारी, समूह ग के 1,248 कार्मिक तथा समूह घ के 47 कार्मिक शामिल हैं. समूह ग में प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक और क्लर्क आते हैं. इसके अलावा 172 शिक्षा मित्रों एवं अनुदेशकों की कोविड से मृत्यु हुई है.

हालांकि इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि कोविड-19 से हुई मौतें किस अवधि की हैं.

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने कोविड 19 संक्रमण से अप्रैल और मई महीने में पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 प्राथमिक शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों व अन्य कार्मिकों की मृत्यु का दावा किया है और इसकी सूची विभाग को सौंपी है.

महानिदेशक स्कूली शिक्षा की इस रिपोर्ट से प्राथमिक शिक्षक संघ के दावे की पुष्टि होती है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि एक अप्रैल 2020 से रिपोर्ट तैयार होने तक विभाग के 812 कार्मिकों की नॉन-कोविड कारणों से मृत्यु हुई है.

रिपोर्ट के अनुसार, अनुकंपा के आधार पर मृत कार्मिकों के आश्रितों की नियुक्ति के 2,032 मामले लंबित हैं जबकि 254 आश्रितों को नौकरी दी जा चुकी है. लंबित मामलों के बारे में कहा गया है कि 1,036 मामले जनपद स्तर पर लंबित हैं जबकि 996 मामलों में पत्रावली और अभिलेख नहीं मिले हैं. देयकों की भुगतान की स्थिति के बारे में कहा गया है कि 141 मामलों में जनपद स्तर पर भुगतान कर दिया गया है.

पंचायत चुनाव ड्यूटी के 30 दिन के भीतर कोविड से  गुजरे शिक्षकों-कर्मचारियों को मिलेगी अनुग्रह राशि

इसी बीच प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान शिक्षकों-कर्मचारियों को अनुग्रह राशि देने संबंधी ‘निर्वाचन ड्यूटी अवधि’ के शासनादेश में बदलाव किया है और इसमें निर्वाचन ड्यूटी के एक महीने के भीतर कोविड-19 संक्रमण से हुई मौतों को भी शामिल कर लिया है.

इस बारे में अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने दो जून को सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी किया है.

इस बदलाव से शिक्षक व कर्मचारी संघों की सबसे बड़ी मांग पूरी हो गई है हालांकि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोविड संक्रमण से मौत में अनुग्रह राशि 30 लाख रुपये ही देने पर उनमें नाराजगी बरकरार है.

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.दिनेश चंद्र शर्मा ने द वायर  से बातचीत करते हुए कहा, ‘हमने हाईकोर्ट के दिशा निर्देश के अनुरूप पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के दौरान कोविड संक्रमण से हुई मौत के मामले में एक करोड़ के अनुग्रह राशि की मांग की है. हमारी मांग अभी भी कायम है. हम इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे.’

डॉ. शर्मा ने ‘निर्वाचन ड्यूटी अवधि’ के नियम में बदलाव पर संतुष्टि जाहिर की और कहा कि शिक्षक-कर्मचारी संघों के दबाव में सरकार को सही निर्णय लेने पर मजबूर किया है.

पंचायत चुनाव में निर्वाचन ड्यूटी अवधि की परिभाषा में पहले प्रशिक्षण, मतदान, मतगणना व इससे संबंधित अन्य कार्य में कार्मिक के ड्यूटी पर आने और जाने के समय को रखा गया था. इस कारण पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोविड संक्रमण से हुई कार्मिकों की मौत शामिल नहीं की जा रही थी.

निर्वाचन ड्यूटी अवधि की पुरानी परिभाषा के आधार पर जिलों से मांगी गई रिपोर्ट में पंचायत चुनाव के दौरान कोविड संक्रमण से सिर्फ 40 लोगों की मौत होने की बात सामने आई थी.

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि जिलाधिकारियों ने कोविड से मृत्यु के 40 प्रस्ताव और नॉन कोविड मृत्यु के 34 प्रस्ताव भेजे हैं. इसका विश्लेषण करने पर पता चला कि इन मामलों में अधिकतर एआरओ/सेक्टर मजिस्ट्रेट के केस थे, जिनकी पंचायत चुनाव में एक महीने के लिए ड्यूटी लगाई गई थी. इसके अलावा ड्यूटी के दो दिन के अंदर दिवंगत हुए पोलिंग कर्मचारियों के केस ही कवर हो पाए थे.

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा 20 मई को दिए गए निर्देश के बाद कोविड-19 के ‘डिजीज नेचर’ और बिहेवियर को देखते हुए निर्वाचन ड्यूटी अवधि की परिभाषा में बदलाव किया गया और स्टेट एडवाइजरी बोर्ड ऑन कोविड-19 के अध्यक्ष एसजीपीजीआई के निदेशक की सहमति से इसमें निर्वाचन ड्यूटी की तिथि से 30 दिन के अंदर कोविड 19 से मृत्यु के पैरामीटर को अनुग्रह राशि में शामिल किया गया. इससे सभी प्रभावित परिवार कवर हो जाएंगें. इस बदलाव को राज्य निर्वाचन आयोग ने भी सहमति दे दी है.

पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोविड संक्रमण से हुई मौतों के मामले में अनुग्रह राशि देने के लिए एक पोर्टल डेवलप करते हुए इसके लिए 15 जून तक आवेदन मांगे गए हैं.

आवेदन के लिए निर्वाचन ड्यूटी के आदेश की प्रति, कोविड 19 संक्रमण का प्रमाण ) एंटीजन /आरटी पीसीआर टेस्ट, ब्लड एवं सीटी स्कैन की रिपोर्ट), मृत्यु प्रमाण पत्र व आवेदक की फोटो मांगी गई है. अनुग्रह राशि के आवेदनों को एक सप्ताह में सत्यापित करते हुए 22 जून तक अपनी संस्तुति पोर्टल पर अपडेट करने को कहा गया है.

इस कार्य में सहायता के लिए मंडलवार अधिकारियों की भी तैनाती की गई है जो आवेदनों व अभिलेखों की जांच करते हुए उसे ठीक कराने में मदद करेंगे.

प्रदेश सरकार ने चार मई को पंचायत चुनाव में निर्वाचन ड्यूटी के दौरान मृत्यु या घायल होने पर अनुग्रह राशि 15 लाख से बढ़ाकर 30 लाख कर दी है लेकिन शिक्षक और कर्मचारी संघ इसे एक करोड़ करने की मांग कर रहे हैं.

(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)