मध्य प्रदेश में छह सरकारी मेडिकल कॉलेज के क़रीब तीन हज़ार जूनियर डॉक्टर अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर बीते 31 मई से हड़ताल पर थे. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बीते बृहस्पतिवार को डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध क़रार देते हुए उन्हें 24 घंटों में काम पर लौटने का आदेश दिया था. उसके कुछ घंटों बाद डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफ़ा दे दिया.
भोपाल: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तीन दिन पहले हड़ताल पर गए प्रदेश के छह सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटे में काम पर वापस लौटने के बृहस्पतिवार को दिए आदेश के कुछ घंटों बाद ही करीब 3,000 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया.
मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने बताया कि प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों के करीब 3,000 जूनियर डॉक्टरों ने बृहस्पतिवार को अपने-अपने मेडिकल कॉलेजों के डीन को सामूहिक इस्तीफा दे दिया है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तीसरे वर्ष के जूनियर डॉक्टर्स के इनरोलमेंट रद्द कर दिए हैं, इसलिए अब हम परीक्षा में कैसे बैठेंगे.
मालूम हो कि स्नातकोत्तर (पीजी) कर रहे जूनियर डॉक्टर्स को तीन साल में डिग्री मिलती है, जबकि दो साल में डिप्लोमा मिलता है.
मीणा ने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए हम जल्द ही उच्चतम न्यायालय में जाएंगे.
उन्होंने कहा कि मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन एवं फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन भी हमारे साथ आ रहे हैं.
मीणा ने दावा किया कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित सभी राज्यों, एम्स एवं निजी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर एवं सीनियर डॉक्टर भी हमारा समर्थन करेंगे.
इस घटनाक्रम से कुछ घंटे पहले बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस सुजय पॉल की युगलपीठ ने प्रदेशव्यापी शासकीय जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटों में काम पर लौटने का निर्देश दिया था.
अदालत ने कहा कि निर्धारित समय सीमा पर जूनियर डॉक्टर हड़ताल समाप्त कर काम पर नहीं लौटते हैं तो राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.
कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…!
अभी तो ये अंगड़ाई है……..आगे और लड़ाई है ।
सरकार डॉक्टर्स को कमजोर आंकने की कोशिश भी न करे ,ये बस शुरुआत है । #jda_strike #JDA_jabalpur @JDAMgmIndore @JDA_2021 @jda_ug pic.twitter.com/OuyZ42IdQl— Naresh Lodhi 🇮🇳 (@sparta_22) June 2, 2021
युगलपीठ ने कोरोना महामारी काल में जूनियर डॉक्टर के हड़ताल पर जाने की निंदा की है. उन्हें कहा है कि विपत्तिकाल में जूनियर डॉक्टर की हड़ताल को किसी प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है.
सिविल लाइन जबलपुर निवासी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह की तरफ से जूनियर डॉक्टर की प्रदेशव्यापी हड़ताल के खिलाफ उच्च न्यायालय में आवेदन दायर किया गया था.
इसी बीच मध्य प्रदेश के आयुक्त चिकित्सा शिक्षा निशांत वरवड़े ने बताया कि जूनियर डॉक्टर्स की समस्याओं के निराकरण के संबंध में प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग कई बार उनके प्रतिनिधियों से चर्चा कर चुके हैं. चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने मांगों के सकारात्मक समाधान के लिए अनेक कदम भी उठाए हैं.
वरवड़े ने बताया कि जूनियर डॉक्टर्स के स्टायपेंड में 17 प्रतिशत की वृद्धि मान्य की गई है. जल्द ही इसके आदेश जारी हो जाएंगे. मूल्य सूचकांक के तहत इसमें आगे भी बढ़ोतरी की जाएगी. स्टायपेंड (मानदेय) के अतिरिक्त इनके लिए चिकित्सा छात्र बीमा योजना लागू की जा रही है.
उन्होंने कहा कि नेशनल मेडिकल काउंसिल के दिशानिर्देश के अनुसार डॉक्टरों का कार्य बहुत ही पवित्र कार्य है. डॉक्टरों का मुख्य उद्देश्य इनाम या वित्तीय लाभ प्राप्त करना नहीं अपितु मानवता की सेवा करना है. कानून सभी के लिए बराबर और समान है.
वरवड़े ने बताया कि अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विछिन्नता अधिनियम-1979 आवश्यकतानुसार अनेक सेवाओं से जुड़े अधिकारियों/कर्मचारियों पर भी लगाया जाता है.
उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टरों से अपेक्षा है कि वे मरीजों का उपचार जारी रखें. यह उनका नैतिक दायित्व भी है.
संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. उल्का श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर अपनी इच्छानुसार पीजी करने के लिए मेडिकल कॉलेज का चयन करते हैं. मेडिकल कॉलेज का चयन करते समय उन्हें मालूम रहता है कि उन्हें कितना स्टायपेंड मिलेगा.
उन्होंने कहा कि पीजी के दौरान डॉक्टरों के लिए प्रायोगिक अनुभव हेतु भी मरीजों का उपचार करना जरूरी है.
श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी में सेवाभाव से डॉक्टरों को जल्द काम पर वापस आना चाहिए.
मालूम हो कि मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी के बीच छह सरकारी मेडिकल कॉलेज- भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर एवं रीवा के लगभग 3,000 शासकीय जूनियर डॉक्टर अपनी छह मांगों को लेकर सोमवार (31 मई) से हड़ताल पर हैं.
ये रंग भी जरा देख लो सा-रंग👇
बज उठा है अब मृदंग, छिड़ चुकी है मैदान-ए-जंग।
लड़ रहे इसे दबंग, कपा देंगे ये अंग-अंग।।।Doctors Unity Zindabad! ✊#shameonMPgovt #ArrestJDA @imajdnnational @RDAMP_OFFICIAL @jda_ug @JDAMgmIndore @DrHareeshPathak @IMAMSNMP @FordaIndia @FAIMA_INDIA_ pic.twitter.com/WXlLwLVU3o
— Dr Shankul Dwivedi 🇮🇳 (@ShankulDwivedi) June 2, 2021
जूनियर डॉक्टर सरकार से मुख्य तौर पर उनका मानदेय बढ़ाने और कोरोना संक्रमण होने पर उन्हें और उनके परिवार के लिए मुफ्त इलाज की मांग कर रहे हैं.
इससे पहले जूनियर डॉक्टर बीते 6 मई को हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिए जाने के कुछ घंटे बाद हड़ताल वापस ले लिया गया था.
मीणा ने दावा किया कि प्रदेश सरकार ने 28 दिन पहले छह मई को उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.
जब उनसे सवाल किया गया कि राज्य सरकार ने कहा है कि जूनियर डॉक्टरों के स्टायपेंड में 17 प्रतिशत की वृद्धि मान्य की गई है और जल्द ही इसके आदेश जारी हो जाएंगे, तो इसके बाद आप काम पर वापस आएंगे, इस पर जूडा अध्यक्ष मीणा ने कहा, ‘सरकार ने 24 प्रतिशत स्टायपेंड बढ़ाने का हमसे वादा किया था. जब तक 24 प्रतिशत नहीं बढ़ाएंगे, तब तक हमारी हड़ताल जारी रहेगी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)