इससे पहले भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु के ट्विटर अकाउंट से बीते शनिवार को ब्लू टिक हट गया था. ट्विटर की ओर से कहा गया था कि काफी दिनों से अकाउंट निष्क्रिय रहने की वजह से ऐसा होने की संभावना है. आरएसएस की दिल्ली इकाई के एक कार्यकर्ता राजीव टुली ने ज़ोर देकर कहा कि कई अन्य ट्विटर हैंडल निष्क्रिय हैं, लेकिन वे सत्यापित बने रहेंगे.
नई दिल्ली: बीते शनिवार को केंद्र में सत्ताधारी पार्टी भाजपा की नाराजगी ट्विटर से निश्चित तौर पर तब बढ़ गई जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कम से कम पांच वरिष्ठ पदाधिकारियों के अकाउंट पर से कई घंटों के लिए उनके वेरिफाइड होने का संकेत देने वाले ‘ब्लू टिक’ को उनके नामों के आगे से हटा दिया गया था.
इससे पहले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के निजी अकाउंट पर से भी कई घंटे तक ‘ब्लू टिक’ हटा दिया गया था. ट्विटर की ओर से कहा गया था कि काफी दिनों से अकाउंट निष्क्रिय रहने की वजह से ऐसा होने की संभावना है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि संगठन के प्रमुख मोहन भागवत और उनके सहयोगियों सुरेश सोनी, अरुण कुमार, सुरेश जोशी और कृष्णा कुमार उन लोगों में शामिल थे, जिनके अकाउंट पर से ‘ब्लू टिक’ को हटाया गया था.
शनिवार को ट्विटर यूजरों ने देखा कि नायडू के निजी अकाउंट पर से ‘ब्लू टिक’ गायब था. सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों और समर्थकों के आक्रोश के बाद कुछ ही घंटों के अंदर नायडू के अकाउंट को दोबारा वेरिफाइड कर दिया गया. इस मुद्दे को उपराष्ट्रपति के कार्यालय द्वारा उठाया गया था.
सरकारी सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी ने कहा कि यह संवैधानिक पद की अवमानना था. ट्विटर भारत के धैर्य की परीक्षा लेना चाहता है.
ट्विटर ने दावा किया था कि नायडू के खाते को नियमों के अनुरूप डी-वेरीफाई किया गया था, जो सत्यापित खाते एक साल से निष्क्रिय हैं और पिछले छह महीनों से लॉग-इन नहीं किया है, उनकी ब्लू-टिक स्थिति खो जाएगी.
यही कारण आरएसएस से जुड़े खातों के लिए भी बताया गया.
आरएसएस की दिल्ली इकाई के एक कार्यकर्ता राजीव टुली ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि यह स्पष्ट रूप से पूर्वाग्रह और ट्विटर द्वारा तकनीकी सामंतवाद का एक स्पष्ट उदाहरण दिखाता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि कई अन्य ट्विटर हैंडल निष्क्रिय हैं, लेकिन वे सत्यापित बने रहेंगे.
जब शनिवार को कई घंटों के बाद पांच खातों का सत्यापन बैज (ब्लू टिक) बहाल किया गया, तो टुली ने कहा कि यह काफी मशक्कत के बाद किया गया था.
इस बीच मोदी सरकार ने बीते शनिवार को ट्विटर को नोटिस जारी कर उसे तत्काल नए आईटी नियमों के अनुपालन के लिए ‘एक आखिरी मौका’ दिया है.
सरकार की ओर से आगाह किया गया है कि यदि ट्विटर इन नियमों का अनुपालन करने में विफल रहता है तो आईटी एक्ट और अन्य दंडात्मक कानूनों के अनुसार उसे परिणाम का सामना करना पड़ेगा.
बता दें कि इस साल फरवरी से ही ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच उस समय से खींचतान जारी है, जब केंद्रीय प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन पर देश में किसानों के विरोध से संबंधित आलोचना को चुप कराने का आरोप लगाने वाली सामग्री को ब्लॉक करने के लिए ट्विटर से कहा गया था.
उसके बाद भारत ने नए आईटी नियमों की घोषणा की, जिसका उद्देश्य सोशल मीडिया फर्मों को पोस्ट/सामग्री को जल्द से जल्द से हटाने के लिए कानूनी अनुरोधों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाना और शिकायतों के निपटारे के लिए एक भारतीय शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करना जरूरी है.
इन नियमों के अनुपालन और भाजपा नेताओं द्वारा कथित तौर पर भ्रामक सामग्री साझा करने के लिए ट्विटर द्वारा उन पर कार्रवाई को लेकर बीते दिनों काफी विवाद हुआ था.
सोशल मीडिया मंच ने कहा था कि वह भारत के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, क्योंकि यह उसके लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, लेकिन नए आईटी नियम और विनियमन की आलोचना करते हुए उसने कहा था कि वह इससे मुक्त और खुले सार्वजनिक विचार विमर्श की स्वतंत्रता पर संभावित खतरे को लेकर चिंतित है.
कंपनी ने भारत में कार्यरत अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि वह पारदर्शिता के सिद्धांतों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए काम करती रहेगी.
बीते मई महीने में ट्विटर ने कोविड-19 महामारी की रोकथाम के उपायों को लेकर सरकार को निशाना बनाने के लिए विपक्षी दल के कथित रणनीतिक दस्तावेज (टूलकिट) पर सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के कई ट्वीट को ‘तोड़ मरोड़ कर पेश तथ्य’ (मैनिपुलेटेड मीडिया) बताया था. उसके बाद दिल्ली पुलिस कंपनी के दफ्तरों पर छापा मारा था. उस वक्त सरकार पर ट्विटर को डराने-धमकाने के आरोप भी लगे थे.
हालांकि सरकार ने पुलिस के जरिये डराने-धमकाने संबंधी ट्विटर के आरोप की कड़ी निंदा की और इसे पूरी तरह आधारहीन तथा गलत बताया था.
इसके बाद मोदी सरकार ने बीते शनिवार को ट्विटर को नोटिस जारी कर उसे तत्काल नए आईटी नियमों के अनुपालन के लिए ‘एक आखिरी मौका’ दिया है.
सरकार की ओर से आगाह किया गया है कि यदि ट्विटर इन नियमों का अनुपालन करने में विफल रहता है तो आईटी एक्ट और अन्य दंडात्मक कानूनों के अनुसार उसे परिणाम का सामना करना पड़ेगा.