दिल्ली सरकार का दावा- केंद्र ने घर तक राशन पहुंचाने की योजना रोकी, केंद्र ने आरोप आधारहीन बताया

दिल्ली सरकार ने घर-घर राशन पहुंचाने की योजना की शुरुआत 2018 में करने की कोशिश की थी, लेकिन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने तब सलाह दी थी अंतिम निर्णय लेने से पहले पूरा विवरण केंद्र सरकार के समक्ष रखना चाहिए. इस साल मार्च में केंद्र ने यह कहते हुए दिल्ली सरकार से इस योजना को लागू न करने के लिए कहा था कि इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आवंटित सब्सिडी वाले खाद्यान्न का उपयोग करने की अनुमति नहीं है.

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)

दिल्ली सरकार ने घर-घर राशन पहुंचाने की योजना की शुरुआत 2018 में करने की कोशिश की थी, लेकिन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने तब सलाह दी थी अंतिम निर्णय लेने से पहले पूरा विवरण केंद्र सरकार के समक्ष रखना चाहिए. इस साल मार्च में केंद्र ने यह कहते हुए दिल्ली सरकार से इस योजना को लागू न करने के लिए कहा था कि इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आवंटित सब्सिडी वाले खाद्यान्न का उपयोग करने की अनुमति नहीं है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने शनिवार को दावा किया कि केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी में 72 लाख राशन कार्ड धारकों को लाभांवित करने वाली उसकी महत्वाकांक्षी राशन योजना को ‘रोक दिया’ और उसने इस कदम को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर ‘घर-घर राशन’ योजना को रोकने का रविवार को आरोप लगाया.

वहीं, इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने दावा किया कि उपराज्यपाल ने प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है जैसा दिल्ली सरकार द्वारा ‘चित्रित’ किया जा रहा है. केंद्र सरकार की ओर से जारी एक बयान में इस आरोप को ‘आधारहीन’ बताया गया है.

केजरीवाल ने एक डिजिटल पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि इस योजना को लागू करने की सारी तैयारियां पूरी हो गई थीं और अगले हफ्ते से इसे लागू किया जाना था, लेकिन दो दिन पहले केंद्र सरकार ने योजना पर रोक लगा दी.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश 75 साल से राशन माफिया के चंगुल में है और गरीबों के लिए कागजों पर राशन जारी होता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस आधार पर इस योजना को रोका है कि दिल्ली सरकार ने उससे इसकी मंजूरी नहीं ली.

उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने ‘घर-घर राशन’ योजना के लिए केंद्र सरकार से पांच बार मंजूरी ली है और कानूनन उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं थी, फिर भी उसने मंजूरी ली, क्योंकि वह केंद्र सरकार के साथ कोई विवाद नहीं चाहते थे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में यह योजना सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लागू होनी चाहिए, क्योंकि राशन की दुकानें ‘सुपरस्प्रेडर’ (महामारी के अत्यधिक प्रसार वाली जगह) हैं.

इसके अलावा मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में दावा किया कि उपराज्यपाल ने दो जून को यह कहते हुए फाइल वापस कर दी कि योजना को लागू नहीं किया जा सकता है.

उसने कहा, ‘उपराज्यपाल ने दो कारणों का हवाला देते हुए राशन को घर-घर तक पहुंचाने संबंधी योजना के कार्यान्वयन के लिए फाइल को खारिज कर दिया है- एक तो केंद्र ने अभी तक योजना को मंजूरी नहीं दी है और दूसरा अदालत में मामला चल रहा है.’

उसने दावा किया कि केंद्र के सभी सुझावों को स्वीकार करने के बाद दिल्ली सरकार ने 24 मई को उपराज्यपाल को अंतिम मंजूरी और योजना को तत्काल लागू करने के लिए फाइल भेजी थी, जिसे उन्होंने योजना को ‘खारिज’ करते हुए वापस कर दिया.

वहीं, दिल्ली के खाद्य मंत्री इमरान हुसैन ने हालांकि दावा किया कि कानून के मुताबिक इस तरह की योजना शुरू करने के लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं है.

हुसैन ने आरोप लगाया, ‘दिल्ली सरकार द्वारा 2018 से केंद्र को छह से अधिक पत्र भेजे गए थे, जिसमें उन्हें योजना के बारे में सूचित किया गया था. एक अदालती मामले का हवाला देते हुए, इस तरह की क्रांतिकारी योजना को रोका जाना यह स्पष्ट करता है कि यह फैसला राजनीति से प्रेरित है.’

इससे पहले, ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ को केंद्र द्वारा उठाई गई आपत्ति पर दिल्ली सरकार ने वापस ले लिया था.

इस योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी को चार किलोग्राम आटा और एक किलोग्राम चावल पैक कर उनके घरों तक पहुंचाया जाना प्रस्तावित है.

दरअसल, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को नियंत्रित करता है. इसके तहत दिल्ली में लगभग 17.77 लाख राशन कार्ड रखने वाले परिवारों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. 15.12 लाख प्राथमिकता वाले घर (पीआर), 1.73 लाख राज्य प्राथमिकता वाले परिवार (पीआरएस) और 68,468 अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवार हैं.

पीआर और पीआरएस श्रेणी के लाभार्थी प्रति माह पांच किलोग्राम राशन प्राप्त करने के हकदार होते हैं, जबकि एएआई के तहत आने वाले परिवारों को 25 किलो गेहूं, 10 किलो चावल और एक किलोग्राम चीनी दी जाती है.

खारिज नहीं किया, पुनर्विचार के लिए भेजा गया: उपराज्यपाल

इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने दावा किया कि उपराज्यपाल ने प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है जैसा दिल्ली सरकार द्वारा ‘चित्रित’ किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘निजी विक्रेताओं के माध्यम से लागू की जाने वाली योजना की अधिसूचना से संबंधित फाइल को उपराज्यपाल ने पुनर्विचार के लिए मुख्यमंत्री को लौटा दिया है.’

एक सूत्र ने दावा किया कि उपराज्यपाल ने प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है.

उसने कहा, ‘जिस तरह 20 मार्च, 2018 को सलाह दी गई थी उसी तरह फिर से यह सलाह दी गई है कि चूंकि प्रस्ताव वितरण के तरीके को बदलने का प्रयास करता है, इसलिए इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की धारा 12 (2) (एच) के अनुसार अनिवार्य रूप से केंद्र की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता होगी.’

सूत्र ने बताया कि साथ ही दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ की ओर से दिल्ली सरकार द्वारा घर-घर राशन पहुंचाने की प्रस्तावित व्यवस्था को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है. केंद्र 20 अगस्त को होने वाली सुनवाई के लिए निर्धारित याचिका का एक पक्ष है.

केंद्र ने इस आरोप को ‘आधारहीन’ बताया

केंद्र सरकार ने आरोपों को ‘आधारहीन’ करार दिया है. केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा कि दिल्ली सरकार जिस तरह चाहे राशन वितरण कर सकती है और उसने दिल्ली सरकार को ऐसा करने से नहीं रोका है.

बयान के मुताबिक, ‘वे किसी अन्य योजना के अंतर्गत भी ऐसा कर सकते हैं. भारत सरकार अधिसूचित दरों के अनुसार इसके लिए राशन उपलब्ध कराएगी. ऐसा कहना बिल्कुल गलत होगा कि केंद्र सरकार किसी को कुछ करने से रोक रही है.’

इसके मुताबिक, ‘केंद्र सरकार दिल्ली को अतिरिक्त राशन प्रदान करने को भी तैयार है, फिर दिल्ली सरकार उसे जिस तरह चाहे वितरित करे. केंद्र सरकार किसी भी जन कल्याणकारी योजना से नागरिकों को क्यों वंचित करेगी?’

आप बनाम केंद्र

इससे पहले मार्च में केंद्र ने यह कहते हुए कि परियोजना के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आवंटित सब्सिडी वाले खाद्यान्न का उपयोग करने की अनुमति नहीं है, दिल्ली सरकार से इस योजना को लागू नहीं करने के लिए कहा था.

केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा था कि दिल्ली सरकार जिस तरह चाहे राशन वितरण कर सकती है और उसने दिल्ली सरकार को ऐसा करने से नहीं रोका है.

तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 25 मार्च को सीमापुरी इलाके में 100 घरों तक राशन पहुंचाकर इस योजना की शुरुआत करने वाले थे.

केंद्र की ओर से कहा गया था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अनाज वितरण योजना में ‘मुख्यमंत्री’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

दिल्ली सरकार को लिखे पत्र में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव एस. जगन्नाथन ने कहा था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत वितरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा आवंटित सब्सिडी वाले खाद्यान्न को ‘किसी राज्य की विशेष योजना या किसी दूसरे नाम या शीर्षक से कोई अन्य योजना को चलाने में उपयोग नहीं किया जा सकता है.’

बता दें कि दिल्ली सरकार ने इस योजना की शुरुआत 2018 में करने की कोशिश की थी, लेकिन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने तब सलाह दी थी अंतिम निर्णय लेने से पहले मामले को पूरा विवरण केंद्र सरकार के समक्ष रखना चाहिए.

इस नीति पर वित्त विभाग ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि घर पर राशन पहुंचाने की योजना सिर्फ एक श्रेणी के लोगों को दूसरे श्रेणी के सेवा प्रदाताओं और उनके एजेंट से बदल देगी.

इसके बाद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने घर पर राशन पहुंचाने सहित कई मुद्दों पर अनिल बैजल के कार्यालय के अंदर नौ दिन का धरना दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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