केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल कुछ प्रावधान लेकर आए हैं, जिसके तहत इस मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, बीफ (गोवंश) उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़े तोड़े जाने हैं. इनमें बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले लक्षद्वीप में एंटी-गुंडा एक्ट लाना और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान भी शामिल है.
नई दिल्लीः पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासक द्वारा लिए जा रहे मनमाने एवं एकतरफा फैसलों की ओर ध्यान दिलाया है.
उन्होंने प्रधानमंत्री से एक ऐसा उचित विकास मॉडल सुनिश्चित करने की अपील की, जिसके लिए यहां रहने वाले लोगों से विचार लिए जाएं और उस मॉडल में सुरक्षा, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा और अच्छी शासन प्रणाली समेत अन्य चीजें शामिल हों.
पत्र में कहा गया है कि भारत के मानचित्र में लक्षद्वीप एक अलग स्थान रखता है और यह सांस्कृतिक विविधताओं से भरा है.
इस पत्र में उन तीन नियामकों के मसौदे पर प्रकश डाला गया है, जिस पर अभी विवाद चल रहा है. इस मसौदे को दिसंबर, 2020 में लक्षद्वीप के प्रशासक का अतिरिक्त पदभार संभालने के बाद प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने पेश किया है. पटेल दादरा व नागर हवेली, दमन-दीव के भी प्रशासक हैं.
देश के 97 पूर्व शीर्ष नौकरशाहों ने प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के तीन नए मसौदा नियमों को पूरी तरह से गलत बताते हुए पत्र में इस ओर ध्यान दिलाया है कि हस्ताक्षरकर्ता इस तरह के निष्कर्ष पर क्यों पहुंचें.
पत्र में लक्षद्वीप की अद्भुत जनसांख्यिकीय और पारिस्थितिकी का उल्लेख करते हुए कहा गया कि पटेल के कानून में लक्षद्वीप के 36 द्वीपसमूहों में विकास के नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह परेशान करने वाला घटनाक्रम है.
दो द्वीप समूहों के बीच आकार की असमानता पर कम ध्यान देने के साथ मालदीव की तरह पर्यटन मॉडल को लागू करने के प्रयास से लेकर बच्चों के मध्याह्न भोजन में मांसाहार पर अचानक प्रतिबंध भी लगाया गया है. वह भी एक ऐसे द्वीप पर जहां फल और सब्जियां समंदर से दूर मुख्य शहरों से लाए जाने की वजह से ताजा नहीं मिलते.
पत्र में पटेल के कदमों को एक-एक कर उजागर किया गया है और यह बताया गया है कि किस तरह वे द्वीपों में जीवन के प्राकृतिक तरीकों को बाधित करना चाहते हैं.
पत्र में कहा गया, ‘ऐसा लगता है कि विकास को लक्ष्य बनाकर उठाए गए इन कदमों से अजीबोगरीब और उत्पीड़क मॉडल के लिए स्थानीय आबादी को उनकी जमीनों और आजीविका से वंचित होने का खतरा है.’
पत्र में आग्रह किया गया है कि मोदी का ध्यान लक्षद्वीप को एक जन संवेदनशील प्रशासक प्रदान कराने के लिए समर्पित होना चाहिए, जो पारंपरिक रूप से इस पर रहने वाले समुदाय को बाधित और विस्थापित करने के लिए खतरा न हो.
यह पत्र मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 में संशोधन को अधिसूचित करने के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें सेवानिवृत्त सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों को मीडिया से संवाद करने या संगठनों के डोमेन के तहत आने वाले विषयों पर कोई पत्र या पुस्तक या अन्य दस्तावेज प्रकाशित करने से प्रतिबंध लगा दिया गया है.
इस पत्र की प्रति गृहमंत्री अमित शाह और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ भी साझा की गई है.
इस पत्र पर पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर, हर्ष मंदर, शिवशंकर मेनन, जुलियो रिबेरो, अरुणा रॉय समेत 97 लोगों के हस्ताक्षर हैं.
बता दें कि मुस्लिम बहुल आबादी वाला लक्षद्वीप हाल ही में लाए गए कुछ प्रस्तावों को लेकर विवादों में घिरा हुआ है. वहां के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को हटाने की मांग की जा रही है.
पिछले साल दिसंबर में लक्षद्वीप का प्रभार मिलने के बाद प्रफुल्ल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे ले आए हैं, जिसका तमाम विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने पटेल पर मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, पशु संरक्षण का हवाला देते हुए बीफ (गोवंश) उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तट रक्षक अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़ों को तोड़ने का आरोप लगाया है.
इन कानूनों में बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में एंटी-गुंडा एक्ट और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान भी शामिल है.
इससे पहले लक्षद्वीप के साथ बेहद मजबूत सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध रखने वाले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ वामदलों और कांग्रेस के सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र भी लिखा था.
केरल विधानसभा ने लक्षद्वीप के लोगों के साथ एकजुटता जताते हुए 24 मई को एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया, जिसमें द्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को वापस बुलाए जाने की मांग की गई और केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया था, ताकि द्वीप के लोगों के जीवन और उनकी आजीविका की रक्षा हो सके.