राजस्थान सरकार ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित किया

आरोप है कि बीते चार जून को एक बैठक में शामिल होने के लिए जयपुर ग्रेटर नगर निगम के आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह महापौर सौम्या गुर्जर के दफ्तर गए थे. इस दौरान महापौर के साथ तीखी बहस के बाद बैठक छोड़कर जा रहे आयुक्त से पार्षदों ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया और अपशब्द कहे. भाजपा ने महापौर के निलंबन को अलोकतांत्रिक बताते हुए क़ानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है.

सौम्या गुर्जर. (फोटो साभार: फेसबुक)

आरोप है कि बीते चार जून को एक बैठक में शामिल होने के लिए जयपुर ग्रेटर नगर निगम के आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह महापौर सौम्या गुर्जर के दफ्तर गए थे. इस दौरान महापौर के साथ तीखी बहस के बाद बैठक छोड़कर जा रहे आयुक्त से पार्षदों ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया और अपशब्द कहे. भाजपा ने महापौर के निलंबन को अलोकतांत्रिक बताते हुए क़ानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है.

सौम्या गुर्जर. (फोटो साभार: फेसबुक)
सौम्या गुर्जर. (फोटो साभार: फेसबुक)

जयपुर: राजस्थान सरकार ने नगर निगम आयुक्त से तीन दिन पूर्व दुर्व्यवहार करने के आरोप में रविवार रात जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया. राज्य सरकार ने मामले की न्यायिक जांच कराने का भी निर्णय किया है.

स्वायत्त शासन विभाग ने महापौर सौम्या गुर्जर और पार्षद अजय सिंह चौहान, पारस जैन (तीनों भाजपा) और शंकर शर्मा (निर्दलीय) को आयुक्त नगर निगम, जयपुर ग्रेटर से महापौर के कक्ष में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने और धक्का देने के आरोप में निंलबित कर दिया.

आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह घर-घर जाकर कचरा संग्रहण करने वाली कंपनी से संबंधित एक मामले में बीते 4 जून को बुलाई गई बैठक में उपस्थित होने के लिए महापौर के दफ्तर में गए थे.

इस दौरान महापौर के साथ तीखी बहस के बाद बैठक छोड़कर जा रहे आयुक्त से पार्षदों ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया और अपशब्द कहे.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटनाक्रम के बाद आयुक्त सिंह ने 3 पार्षदों के खिलाफ थाने में शिकायत दी, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज हुई.

वहीं, इस मामले में सरकार की ओर से भी जांच करवाई गई. इसके बाद रविवार देर रात स्वायत्त शासन विभाग की ओर से महापौर सौम्या गुर्जर, भाजपा पार्षद अजय सिंह चौहान, पारस जैन और शंकर शर्मा के निलंबन का आदेश निकाले गए.

महापौर की मौजूदगी में सरकारी काम में बाधा डालने, पार्षदों द्वारा मारपीट, धक्का-मुक्की करने, अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के मामले की जांच स्थानीय निकाय विभाग के क्षेत्रीय उपनिदेशक से करवाई गई.

जांच अधिकारी ने सौम्या गुर्जर को पूरी तरह जिम्मेदार और दोषी माना है. आदेशों में नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (6) का हवाला देते हुए महापौर को सस्पेंड करने का आदेश दिया है.

आदेशों में लिखा है कि सौम्या गुर्जर के महापौर पद पर रहने से न्यायिक जांच प्रभावित होने की पूरी संभावना है. महापौर को वार्ड संख्या 87 के पार्षद पद से भी सस्पेंड किया गया है.

सरकार ने सौम्या गुर्जर के खिलाफ राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39 (3) के तहत न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है.

वहीं, महापौर सौम्या गुर्जर ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस सरकार उन्हें काम नहीं करने देना चाहती थी. इसी वजह से ऐसा किया जा रहा है. बिना सबूत मुझे निलंबित किया गया है, मैं कोर्ट जाऊंगी.

भाजपा महापौर सौम्या गुर्जर और जयपुर नगर पालिका आयुक्त के बीच की यह तकरार नई नहीं है. हाल ही सौम्या गुर्जर ने आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह पर भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगाए थे. सौम्या ने कहा था कि आयुक्त अपनी पत्नी के साथ मिलकर अपनी जेबें भर रहे है.

उल्लेखनीय है कि जयपुर शहर में दो निगम बनने के बाद पहली बार पिछले साल नवंबर में चुनाव हुए थे. जयपुर ग्रेटर नगर निगम के 150 वार्ड में से भाजपा 88 में, कांग्रेस 49 में तथा निर्दलीय 13 वार्ड में जीते. यहां भाजपा की सौम्या गुर्जर महापौर बनीं.

जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर का निलंबन अलोकतांत्रिक, लड़ाई लड़ेंगे: भाजपा

भाजपा की राजस्थान इकाई ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर के निलंबन को राज्य सरकार का ‘तानाशाहीपूर्ण और अलोकतांत्रिक कदम’ बताया और कहा कि पार्टी इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी और प्रदर्शन करेगी.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘यह सरकार का तानाशाहीपूर्ण, अलोकतांत्रिक कदम है. भाजपा इसकी निंदा करती है.’

पूनिया ने कहा कि भाजपा इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी और सोमवार शाम को शहर के सभी 250 वार्डों में प्रदर्शन किया जाएगा. पार्टी मंगलवार को राज्य में इस मुद्दे को लेकर सभी मंडलों व नगर निकाय में विरोध प्रदर्शन करेगी.

भाजपा नेता ने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस को जयपुर में हार का इतना मलाल था कि बहुत लंबे समय से वह षड्यंत्र रच रही थी. सत्तारूढ़ दल पहले कमेटियों के जरिये और उसके बाद बजट के मामले में भेदभाव करती रही और उसकी परिणति कल इस रूप में हुई है.’

उन्होंने कहा कि अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की बीच मामूली विवाद अक्सर होते हैं, लेकिन इसका मतलब नहीं है कि वे मुकदमों में तब्दील हो जाएं. इस तरह के सामान्य विवाद को आपराधिक मामले में तब्दील करना यह सरकार की ‘हिटलरशाही’ का एक नमूना है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)