आईएमए ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर डॉक्टरों को सुरक्षा देने की मांग की

आईएमए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में यह भी कहा कि महामारी संबंधी फेक न्यूज़ और स्वास्थ्य मंत्रालय की मंज़ूरी के बिना किसी भी व्यक्ति द्वारा कोविड-19 संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए तथाकथित ‘चमत्कारिक दवाओं’ को बढ़ावा देकर आम जनता को मूर्ख बनाने के प्रयासों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

आईएमए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में यह भी कहा कि महामारी संबंधी फेक न्यूज़ और स्वास्थ्य मंत्रालय की मंज़ूरी के बिना किसी भी व्यक्ति द्वारा कोविड-19 संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए तथाकथित ‘चमत्कारिक दवाओं’ को बढ़ावा देकर आम जनता को मूर्ख बनाने के प्रयासों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर डॉक्टरों पर हो रहे हमलों का मुद्दा उठाते हुए उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की.

आईएमए ने प्रधानमंत्री से निहित स्वार्थ वाले कुछ लोगों द्वारा आधुनिक चिकित्सा और कोविड -19 टीकाकरण के खिलाफ गलत सूचना का प्रसार रोकने की मांग की.

आईएमए ने पत्र में कहा, ‘कोविड-19 संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी प्रोटोकॉल के खिलाफ आम जनता के मन में संदेह पैदा करने वाले किसी भी व्यक्ति को उसके इन कृत्यों के लिए दंडित किया जाना चाहिए और साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी के बिना किसी भी व्यक्ति द्वारा तथाकथित ‘जादुई उपचार’ या ‘चमत्कारिक दवाओं’ को बढ़ावा देकर आम जनता को मूर्ख बनाने के प्रयासों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए.’

आईएमए ने अपनी अपील में कहा कि सरकार को राज्यों और निजी अस्पतालों में 50 फीसदी तक टीके छोड़े बिना 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए सार्वभौमिक मुफ्त टीकाकरण को बढ़ावा देना चाहिए.

पत्र में कहा गया, ‘महामारी के बीच देश में स्वास्थ्कर्मियों पर लगातार हो रहे शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं को देखकर मन व्यथित हैं. असम में हमारे युवा डॉक्टर पर हमला और देशभर में महिला डॉक्टरों और यहां तक कि अनुभवी चिकित्सकों पर हमले वास्तव में चिकित्सकों के बीच मानसिक तनाव पैदा कर रहे हैं.’

डॉक्टरों ने कहा कि इस तरह के जघन्य अपराधों में शामिल सभी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए ताकि असामाजिक तत्वों को स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले करने से रोका जा सके.

आईएमए ने कहा है कि जो डॉक्टर कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक अपनी जान की परवाह किए बिना डटे रहे हैं उन पर आरोप लगाना अनुचित है, कोविड के चलते डॉक्टरों ने लाखों मरीजों की जान बचाई है इसलिए अब प्रधानमंत्री मोदी को इन आरोपों पर एक्शन लेने की जरूरत है.

आईएमए ने कहा कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में जान गंवाने वाले डॉक्टरों को उनके बलिदान के लिए कोविड शहीद का दर्ज दिया जाना चाहिए और उनके परिवारों को सरकार द्वारा उचित समर्थन दिया जाना चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमए ने डॉक्टरों को सुरक्षित वातावरण में काम करने और उनको सुरक्षा देने की मांग की, जिससे डॉक्टर बिना किसी डर के अपने काम को कर सकें.

आईएम ने कहा कि कोरोना से 1,400 डॉक्टरों की जान चली गई है. उन्होंने कहा कि वह कुछ लोगों द्वारा वैक्सीन को लेकर गलत जानकारी फैलाने के प्रयासों को लेकर व्यथित हैं.

मोदी को लिखे पत्र में आईएमए ने कहा, ‘कोविड-19 टीकाकरण अभियान के खिलाफ गलत सूचना फैलाने वाले व्यक्तियों पर महामारी रोग अधिनियम, 1897, भारतीय दंड संहिता और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 समेत संबद्ध कानून के अनुसार मामला दर्ज किया जाए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए.’

आईएमए ने कहा, ‘म्यूकरमाइकोसिस फंगल की दवाएं सुलभता से उपलब्ध नहीं हैं जबकि सरकार सभी प्रयास कर रही है. हम आपसे इन सबके बारे में विस्तार में अलग से शोध सेल की स्थापना करने की अपील करते हैं.’

आईएमए ने कहा कि कोविड-19 के बाद लंग फाइब्रोसिस यानी फेफड़ों के सिकुड़न और फंगल संक्रमण की जटिलताएं बढ़ रही हैं और सभी को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)