अमित शाह और मनोज सिन्हा की मुलाकात के बाद जम्मू कश्मीर में बड़े बदलाव की अटकलें

केंद्रशासित जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बीते छह जून को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक बैठक में शामिल हुए थे. इसके बाद से एक तरफ़ जहां जम्मू को अलग राज्य बनाने की अफ़वाह गर्म है, दूसरी ओर ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने पर विचार कर सकती है.

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New Delhi: Telecom Minister Manoj Sinha addresses a press conference regarding the achievements of his ministry in the four years of NDA government, in New Delhi on Tuesday, June 12, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI6_12_2018_000053B)
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

केंद्रशासित जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बीते छह जून को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक बैठक में शामिल हुए थे. इसके बाद से एक तरफ़ जहां जम्मू को अलग राज्य बनाने की अफ़वाह गर्म है, दूसरी ओर ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने पर विचार कर सकती है.

New Delhi: Telecom Minister Manoj Sinha addresses a press conference regarding the achievements of his ministry in the four years of NDA government, in New Delhi on Tuesday, June 12, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI6_12_2018_000053B)
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के साथ और अधिक अर्धसैनिक बलों को कश्मीर भेजे जाने से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र जम्मू कश्मीर पर कुछ बड़े फैसले करने वाला है.

एक तरफ जहां जम्मू को अलग राज्य बनाने की अफ़वाह गर्म है, दूसरी ओर ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने पर विचार कर सकती है.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इन घटनाक्रमों ने जम्मू स्थित राजनीतिक दलों को जम्मू को अलग राज्य बनाने की मांग करने के लिए प्रेरित किया है.

दरअसल, उपराज्यपाल सिन्हा ने सुरक्षा समीक्षा बैठक के लिए नई दिल्ली में शाह और गृह सचिव एके भल्ला से मुलाकात की.

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, गृहमंत्री अमित शाह ने बीते छह जून को जम्मू कश्मीर के सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा की थी.

बैठक में खुफिया एजेंसी आईबी के निदेशक अरविंद कुमार, जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह, पूर्व मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम, मुख्य सचिव डॉ. अरुण मेहता भी मौजूद रहे.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मौजूदगी में हुई बैठक में घाटी में राजनीतिक व्यक्तियों को आतंकियों की ओर से निशाना बनाए जाने, परिसीमन तथा अमरनाथ यात्रा पर भी चर्चा हुई. इस दौरान घाटी में भाजपा के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के मुद्दे पर भी गंभीर मंत्रणा की गई.

अमरनाथ यात्रा

बैठक में अमरनाथ यात्रा पर लंबी चर्चा हुई. कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए सरकार ने फिलहाल यह तय नहीं किया है कि इस बार यह यात्रा सामान्य तरीके से हो सकेगी अथवा नहीं.

ग्रेटर कश्मीर की रिपोर्ट के अनुसार, अमरनाथ यात्रा 28 जून से 22 अगस्त के बीच 56 दिनों के लिए होने वाली है. श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने कोविड-19 मामलों में वृद्धि को देखते हुए यात्रा के लिए होने वाले पंजीकरण को 22 अप्रैल को निलंबित कर दिया था, जो कि इस साल एक अप्रैल से शुरू हुई थी.

साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी के कारण अमरनाथ यात्रा रद्द कर दी गई थी और इससे पहले 2019 में पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने के फैसले से पहले इस यात्रा की अवधि करीब 15 दिन कम कर दी गई थी.

केंद्रशासित राज्य का परिसीमन

दिल्ली में हुई पहली बैठक के बाद परिसीमन आयोग ने सभी जिलों की प्रोफाइल संबंधी रिपोर्ट तलब की है. सभी उपायुक्तों को पत्र भेजकर इन जानकारियों को उपलब्ध कराने को कहा गया है.

हालांकि, इस बैठक के तुरंत बाद अफवाहें सामने आईं कि केंद्र जम्मू को राज्य का दर्जा देने की योजना बना रहा है और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर सकता है.

इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि केंद्रशासित प्रदेश में अगर विधानसभा चुनाव होने दिया जाता है तो परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही इसकी घोषणा की जाएगी. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार, जम्मू कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो जाएगी, जिसमें परिसीमन के कारण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण होगा.

मार्च 2020 में गठित किए गए परिसीमन आयोग को नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए निर्वाचन क्षेत्र के आकार और मानचित्र को फिर से तैयार करने के लिए एक साल का विस्तार दिया गया है. परिसीमन आयोग, जिसका कार्यकाल 6 मार्च तक समाप्त होना था, ने कोविड-19 के कारण इस प्रक्रिया में देरी का हवाला देते हुए विस्तार की मांग की थी.

सूत्रों ने बताया कि राज्य का दर्जा भले ही अभी नहीं दिया जा सके, लेकिन यह प्रस्ताव वार्ता की मेज पर हो सकता है. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘यह केंद्र को तय करना है कि यह (परिसीमन) चुनाव से पहले किया जा सकता है या बाद में.’

जम्मू को अलग राज्य बनाने की मांग

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ‘एकजुट जम्मू’ के अध्यक्ष अधिवक्ता अंकुर शर्मा ने बताया कि केंद्र को जम्मू को राज्य का दर्जा देना चाहिए, क्योंकि जम्मू कश्मीर के घाटी-आधारित नेतृत्व द्वारा इस क्षेत्र के साथ भेदभाव किया गया है.

उन्होंने कहा कि कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया जाना चाहिए, जिसमें से एक विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों के लिए बनाया जाना चाहिए है, जो 1990 में उग्रवाद के विस्फोट के बाद घाटी से सामूहिक रूप से चले गए थे.

वहीं, दुग्गर सदर सभा के अध्यक्ष गुरचैन सिंह चरक ने कहा कि अगर केंद्र को लगता है कि घाटी में स्थिति में सुधार के लिए जम्मू को राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए, तो वे इसका स्वागत करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘जम्मू एक शांतिपूर्ण क्षेत्र है और उसने आतंकवाद को खारिज कर दिया है. केंद्र को इसे कश्मीर से अलग करके राज्य का दर्जा देना चाहिए.’

पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग

इस बीच कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करते हुए सोमवार को कहा कि इस कदम से लोगों में विश्वास पैदा होगा.

जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक प्रवक्ता ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने में किसी भी तरह के देरी से केंद्र और जम्मू कश्मीर के लोगों के बीच और अधिक कटुता पैदा होगी. उन्होंने कहा कि केंद्र को लोगों के आग्रह और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा तुरंत बहाल करना चाहिए.

प्रवक्ता ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद केंद्र को चुनाव कराने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.

जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने कहा कि केंद्र को बिना किसी देरी के जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र को इसे शीर्ष प्राथमिकता में लेना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि राज्य का दर्जा तुरंत बहाल किए जाने के बाद पांच अगस्त, 2019 के बाद पैदा हुई विकट स्थिति और भ्रम को दूर किया जा सकेगा.’

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, मई के आखिरी हफ्ते में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने शीर्ष नेताओं की एक अहम बैठक के दौरान दो प्रस्ताव पारित किए थे. पहला प्रस्ताव अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली के समर्थन में था, जबकि दूसरा प्रस्ताव परिसीमन अभ्यास में भाग लेना था, जिसका पार्टी ने पहले बहिष्कार किया था.

सुब्रह्मण्यम ने अरुण कुमार मेहता को मुख्य सचिव का कार्यभार सौंपा

एक सप्ताह से चल रही अनिश्चितता को खत्म करते हुए बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने सोमवार को अरुण कुमार मेहता को जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव का कार्यभार सौंपा.

अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

1988 बैच के एजीएमयूटी काडर के आईएएस अधिकारी मेहता को 29 मई को मुख्य सचिव नियुक्त किया गया, जबकि सुब्रह्मण्यम को भारत सरकार के वाणिज्य विभाग में विशेष कार्य अधिकारी के रूप में तैनात किया गया है.

मेहता के पास जम्मू कश्मीर और भारत सरकार दोनों में व्यापक प्रशासनिक अनुभव है.

मेहता ने 31 मई को मुख्य सचिव के रूप में काम करना शुरू किया, लेकिन सुब्रह्मण्यम ने उन्हें तुरंत कार्यभार नहीं सौंपा था.

नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जैसे कई दलों ने इसकी आलोचना की थी.

छत्तीसगढ़ काडर के आईएएस अधिकारी सुब्रह्मण्यम को जून 2018 में तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)