जाति प्रमाण-पत्र रद्द करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा ने अनुसूचित जाति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए ‘मोची’ जाति से संबंधित होने का दावा किया, जबकि उन्हें मालूम है कि वह उस जाति से संबंधित नहीं हैं. अब राणा के सांसद पद भी ख़तरा पैदा हो गया है, हालांकि अदालत ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है.
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा को जारी जाति प्रमाण-पत्र मंगलवार को रद्द कर दिया और कहा कि प्रमाण-पत्र जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था. अदालत ने सांसद को छह सप्ताह के अंदर प्रमाण-पत्र वापस करने का निर्देश दिया.
जस्टिस आरडी धनुका और जस्टिस वीजी बिष्ट की खंडपीठ ने उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जो उन्हें दो सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र कानूनी सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा.
अदालत ने कहा कि राणा ने अनुसूचित जाति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए ‘मोची’ जाति से संबंधित होने का दावा किया और यह इस श्रेणी के उम्मीदवार को उपलब्ध होने वाले विभिन्न लाभों को हासिल करने के इरादे से किया गया था, जबकि उन्हें मालूम है कि वह उस जाति से संबंधित नहीं हैं.
राणा 2019 में महाराष्ट्र के अमरावती लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुई थीं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े शहर अमरावती से पहली बार सांसद बनीं राणा के ऊपर अब उनकी सीट खोने का भी खतरा बन गया है. हालांकि, अदालत ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है.
35 वर्षीय राणा सात भाषाएं बोलती हैं और महाराष्ट्र की आठ महिला सांसदों में से एक हैं. अभिनेत्री से राजनेता बनीं राणा के जाति प्रमाण-पत्र को पूर्व सांसद और शिवसेना नेता आनंदराव अडसुल ने चुनौती दी थी.
इस साल मार्च में राणा ने आरोप लगाया था कि शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने उन्हें लोकसभा में महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ बात रखने पर लोकसभा की लॉबी में धमकी दी थी और जेल भेजने की चेतावनी दी थी.
राणा ने स्पीकर ओम बिड़ला से फोन कॉल और शिवसेना के लेटरहेड के माध्यम से एसिड-हमले की धमकी मिलने की भी शिकायत की थी.
लोकसभा में राणा ने महाराष्ट्र पुलिस के निलंबित सिपाही सचिन वझे का मामला उठाया था, जिसे मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटकों से भरी कार रखने के मामले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया है और उसकी ठाणे के व्यवसायी मनसुख हीरेन की संबंधित मौत के लिए जांच की जा रही थी.
उन्होंने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से पद छोड़ने की भी मांग की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)