जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष जेल में बंद वहीद परा के ख़िलाफ़ पुलिस चार्जशीट का ज़िक्र कर कहा कि भारत सरकार के ग़लत क़दमों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले हर व्यक्ति को पाकिस्तानी एजेंट बता दिया जाता है.
श्रीनगरः पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि भारत के संस्थानों ने मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर ध्यान देना बंद कर दिया है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र को इसमें हस्तक्षेप करना होगा.
महबूबा मुफ्ती ने जेल में बंद पीडीपी की युवा इकाई के अध्यक्ष वहीद परा के मामले में मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगाते हुए ट्वीट कर बताया कि भारत सरकार के गलत कदमों के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर व्यक्ति को पाकिस्तानी एजेंट बता दिया जाता है.
Anyone who raises his voice against GOIs draconian measures is conveniently labelled as a Pakistani agent. A pity that our own institutions have stopped taking notice of such brazen human rights violations & instead the UN has to step in.https://t.co/7UDwTyJ7nv
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) June 7, 2021
पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत सरकार के निष्ठुर कदमों के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर व्यक्ति पर पाकिस्तानी एजेंट होने का आसानी से ठप्पा लगा दिया जाता है. अफसोस की बात यह है कि हमारे अपने संस्थानों ने मानवाधिकारों के खुलेआम हो रहे इस प्रकार के उल्लंघन पर ध्यान देना बंद कर दिया है और ऐसे में संयुक्त राष्ट्र को हस्तक्षेप करना चाहिए.’
दरअसल महबूबा ने नेताओं एवं आतंकवादी समूहों के बीच कथित संबंध से जुड़े मामले में पीडीपी नेता वहीद परा के खिलाफ एनआईए द्वारा आरोप-पत्र दाखिल किए जाने के संदर्भ में यह ट्वीट किया.
इस दौरान उन्होंने पीडीपी की युवा शाखा के अध्यक्ष वहीद परा के खिलाफ चार्जशीट का जिक्र किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह (परा) पाकिस्तान के आतंकी समूह का हिस्सा है और उसकी फंडिंग करते हैं.
महबूबा ने उन रिपोर्ट्स का जिक्र किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की परा की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया था.
इस चार्जशीट में पांच गवाहों के बयान भी शामिल हैं और कहा गया है कि उन्होंने (परा) किस तरह अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के सफाए के कथित प्रयास किए. इसके साथ ही राजनीतिक लाभ के लिए आतंकी समूहों को किए गए कथित भुगतान का भी उल्लेख है.
बता दें कि आंतरिक मामलों में भारत किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को मान्यता नहीं देता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)