छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बीते 31 मई को कथित तौर पर एक मुठभेड़ में एक 24 वर्षीय आदिवासी महिला की मौत हो गई थी. परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने महिला को उसके घर से हिरासत में लिया था और उसके साथ बलात्कार किया गया. उन्होंने दावा किया कि जब उसका शव सौंपा गया तो वह विकृत हो गया था.
रायपुर: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बीते 31 मई को कथित तौर पर एक मुठभेड़ में एक 24 वर्षीय आदिवासी महिला की मौत हो गई थी.
हालांकि पुलिस के इस बयान के उलट परिजनों ने बताया कि पुलिस ने महिला को उसके घर से उठा लिया था. उसकी मां ने यह भी आरोप लगाया कि उसके साथ बलात्कार किया गया था और दावा किया कि जब उसे सौंपा गया तो उसका शरीर विकृत हो गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, परिजनों ने बीते छह जून को स्थानीय पुलिस में शिकायत की. अभी एफआईआर दर्ज होनी बाकी है.
दंतेवाड़ा के गीदम इलाके में कथित तौर पर माओवादियों के एक दल का सामना करने के बाद 31 मई को डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) कर्मचारियों ने महिला को गोली मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई. दंतेवाड़ा पुलिस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि उन्हें माओवादियों द्वारा ले जाए गए बैग और अन्य आवश्यक सामानों के साथ उसके पास हथियार और गोला-बारूद मिला है.
हालांकि, परिवार घटना को बिल्कुल ही अलग तरीके से पेश कर रहा है. पीड़िता की मां के मुताबिक 30 मई की तड़के महिला को उसके घर से उठा लिया गया था.
थाना प्रभारी को लिखे पत्र में आदिवासी महिला की मां ने कहा कि वह अपनी बेटी और पड़ोस के आठ साल के एक बच्चे के साथ सो रही थी, तभी कुछ महिला कांस्टेबल ने उसकी बेटी को गिरफ्तार करने की कोशिश की.
पत्र में आसपास के गांवों के सात पुरुषों के भी नाम हैं जो कि सभी डीआरजी जवान हैं, जिन्होंने कथित तौर पर महिला को उठाया और जबरदस्ती अपने साथ ले गए.
मां ने अपने पत्र में कहा, ‘हम उस वाहन के पीछे कम से कम आधा किलोमीटर तक भागे, जिसमें वे मेरी बेटी को ले गए थे.’
अगली सुबह जब परिजन पुलिस के पास पहुंचे तो उन्हें दंतेवाड़ा जाने को कहा गया, जहां उन्हें सूचना मिली कि पुलिस फायरिंग में उनकी बेटी की मौत हो गई है.
पत्र में परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी बेटी के शरीर के स्तनों, जांघों और हाथ पर चोट के निशान थे.
गांव के सरपंच ने परिवार के दावों का समर्थन करते हुए कहा कि पूरे गांव ने महिला को उसके घर से उठाते हुए देखा था.
उन्होंने कहा, ‘जून में उसकी शादी होनी थी. वह लगभग पांच साल पहले माओवादियों से जुड़ी हुई थी, लेकिन कुछ साल पहले घर लौट आई थी. उनके घर में कोई हथियार नहीं थे और वह अपने पास कोई हथियार भी नहीं रखती थी.’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि परिवार को दंतेवाड़ा जाने के लिए कहा गया था, क्योंकि घटना कथित तौर पर गीदम में हुई थी. 4 जून को माओवादियों द्वारा बुलाई गई एक बैठक में परिवार और ग्रामीण सभी शामिल हुए थे. उन्हें विरोध करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
बस्तर के आईजी पी. सुंदरराज के मुताबिक, गुमलनार इलाके में माओवादियों और डीआरजी कर्मचारियों के बीच हुई फायरिंग में महिला की मौत हो गई.
उन्होंने कहा, ‘पीएलजीए प्लाटून नंबर 16 से माओवादी कैडरों की मौजूदगी की सूचना के आधार पर 31 मई को गुमलनार इलाके में एक अभियान शुरू किया गया था. सुबह करीब 6:30 बजे दंतेवाड़ा डीआरजी और माओवादियों के बीच गोलीबारी हुई. बाद में तलाशी अभियान के दौरान एक महिला माओवादी का शव बरामद किया गया, जिसकी पहचान संबंधित महिला के रूप में हुई. उस पर दो लाख रुपये का इनाम रखा गया था. घटनास्थल से दो देशी हथियार और तात्कालिक विस्फोटक उपकरण आईईडी भी बरामद किए गए हैं.’
दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि महिला प्लाटून नंबर 16 की सदस्य थी और उसका नाम भाकपा (माओवादी) की इंद्रावती क्षेत्र समिति और उसकी पलटन के सभी आत्मसमर्पण और गिरफ्तार माओवादियों के पूछताछ रिकॉर्ड में आया था.