बिहार: समीक्षा के बाद बढ़ी कोविड-19 मौतों की संख्या, 5458 से बढ़कर 9429 हुई

संक्रमण और मौतों के आंकड़े छिपाने के आरोप लगने के बाद पिछले महीने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार से महामारी की दूसरी लहर के दौरान गांवों में कोविड-19 से हुईं मौतों का हिसाब देने को कहा था. न्यायालय ने ज़िलावार मौतों के आंकड़े भी पेश करने को कहा था.

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पटना में बैंस श्मशान घाट के बाहर अंतिम संस्कार के इंतजार में पड़े कोविड मृतकों के शव. (फोटो: पीटीआई)

संक्रमण और मौतों के आंकड़े छिपाने के आरोप लगने के बाद पिछले महीने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार से महामारी की दूसरी लहर के दौरान गांवों में कोविड-19 से हुईं मौतों का हिसाब देने को कहा था. न्यायालय ने ज़िलावार मौतों के आंकड़े भी पेश करने को कहा था.

पटना में बैंस श्मशान घाट के बाहर अंतिम संस्कार के इंतजार में पड़े कोविड मृतकों के शव. (फोटो: पीटीआई)
पटना में बैंस श्मशान घाट के बाहर अंतिम संस्कार के इंतजार में पड़े कोविड मृतकों के शव. (फोटो: पीटीआई)

पटना: बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या में बुधवार को राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने भारी संशोधन किया, जिससे इस महामारी से मरने वालों की कुल संख्या बढकर 9,429 हो गई जो मंगलवार को 5,458 थी.

रिपोर्ट के अनुसार, बिहार द्वारा कोविड-19 से हुई मौतों की समीक्षा के बाद बुधवार को भारत में कोविड-19 से 6,148 मौतों दर्ज की गईं जो कि दुनियाभर में एक दिन में होने वाली मौतों की सबसे अधिक संख्या है.

इससे पहले बीते 12 फरवरी को अमेरिका में कोविड-19 से सबसे अधिक 5,444 मौतें दर्ज की गई थीं.

स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण से बुधवार तक मरने वालों की 5,478 की संख्या के अलावा सत्यापन के बाद अतिरिक्त 3951 अन्य लोगों की मौत के आंकडे जोड़े गए हैं.

विभाग द्वारा जारी आंकडे में हालांकि यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि ये अतिरिक्त मौतें कब हुईं लेकिन प्रदेश के सभी 38 जिलों का एक ब्रेकअप उल्लेखित किया गया है.

ताजा आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 8,000 के करीब है और अप्रैल से मरने वालों की संख्या में लगभग छह गुना वृद्धि हुई है.

एनडीटीवी के अनुसार, तीन हफ्ते की ऑडिट के बाद पेश किए गए नए आंकड़े बताते हैं कि जहां मार्च, 2020 और 2021 के बीच बिहार में कोविड-19 से 1600 लोगों की मौतें हुईं तो अप्रैल से 7 जून तक यह संख्या करीब छह गुना बढ़कर 7,775 हो गई.

राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि सभी जिलों से सत्यापन के बाद लगभग 72 प्रतिशत मौतें और जोड़े गए हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इसके साथ ही कोविड-19 से होने वाली मौतों के मामले में देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बिहार का नंबर अब 17 से 12वां हो गया है.

वहीं, इन बढ़े हुए आंकड़ों ने बिहार में कोविड-19 मृत्युदर को बढ़ाकर 42.1 फीसदी कर दिया है.

बिहार में कोरोना से प्रदेश की राजधानी पटना में कुल 2,303 मौतें हुईं हैं जबकि मुजफ्फरपुर जिला 609 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है.

सत्यापन के बाद पटना में सबसे अधिक 1,070 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं. इसके बाद बेगूसराय में 316, मुजफ्फरपुर में 314 और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक नालंदा में 222 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं.

बता दें कि, संक्रमण और मौतों के आंकड़े छिपाने के आरोप लगने के बाद पिछले महीने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से महामारी की दूसरी लहर के दौरान गांवों में कोविड-19 से हुईं मौतों का हिसाब देने को कहा था. न्यायालय ने जिलावार मौतों के आंकड़े भी पेश करने को कहा था.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने बक्सर में गंगा नदी में तैरती पाई गईं लाशों के बारे में भी राज्य सरकार से जवाब मांगा था.

पिछले साल कोरोना महामारी की शुरूआत होने से लेकर राज्य में इस रोग से अब तक संक्रमित हुए लोगों की संख्या बढ़कर 7,15,179 हो गयी जिनमें से पांच लाख से अधिक लोग इस संक्रमण की चपेट में पिछले कुछ महीनों में आए हैं.

दिलचस्प बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद ठीक होने वालों की संख्या मंगलवार को 7,01,234 बतायी थी जिसे बुधवार को संशोधित करके 6,98,397 कर दिया गया है.

बिहार में कोरोना वायरस के मरीजों के ठीक होने का प्रतिशत मंगलवार को जहां 98.70 प्रतिशत बताया गया था उसे बुधवार को संशोधित करके 97.65 प्रतिशत कर दिया गया है.

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बिहार में एक महीने से अधिक समय तक लॉकडाउन के बाद कोरोना संक्रमण के मामलों के कमी आयी है और बुधवार को केवल 20 मौतें और 589 नए मामले प्रकाश में आए हैं.

बिहार में विपक्ष का आरोप लगाता रहा है कि सरकार महामारी से निपटने में अपनी विफलता को छिपाने के लिए आंकड़ों में हेराफेरी कर रही है और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आंकडों में संशोधन किये जाने के बाद विपक्ष के इन दावों को बल मिलेगा.

द वायर ने भी बताया था कि कैसे श्मशान घाटों और नगर निगमों द्वारा जुटाई गई संख्या ने साबित कर दिया कि राज्य में मौतों की संख्या आधिकारिक रूप से बताई गई संख्या से कहीं अधिक थी.

उदाहरण के तौर पर पटना में 1 अप्रैल से 20 मई तक आधिकारिक तौर पर मौतों के जो आंकड़े पेश किए गए थे, श्मशान घाटों पर उससे 452.4 फीसदी कोविड-19 मौतें दर्ज की गई थीं.

वर्तमान में, राज्य में 7,353 सक्रिय कोरोना वायरस मामले हैं. वहीं, मंगलवार को बिहार सरकार ने घोषणा की कि वह इस महामारी से मरने वाले सभी लोगों के परिवारों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करेगी.

सरकार ने दी सफाई

बिहार स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बुधवार को वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मृतकों की संख्या को लेकर हुई लापरवाही की जानकारी देते हुए लापरवाह स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई की बात कही.

एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रत्यय अमृय ने कहा कि राज्य में कोरोना से कितने लोगों की मौत हुई ये जानने की सभी की इच्छा थी. हाईकोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश दिया था. इसलिए 18 मई को दो तरह से टीम बनाकर मौत के आंकड़ों की रिपोर्ट बनाने का काम शुरू किया गया. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तीन सदस्यीय टीम बनाई गई, जिन्होंने अस्पतालों में हुए मौतों की रिकॉर्ड तैयार की.

वहीं, दूसरी टीम ने उन मृतकों की रिपोर्ट तैयार की जिनकी मौत अन्य जगहों जैसे आइसोलेशन सेंटर, होम आइसोलेशन, कोविड केयर सेंटर और रास्ते में अस्पताल ले जाने के दौरान हुई.

एक दिन में 3,951 लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ने पर सफाई देते हुए प्रत्यय अमृत ने कहा कि कई ऐसे लोग थे, जो छूट गए थे. ऐसे में जांच कर सही लोगों को जोड़ा गया है.

उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि उनके स्तर से चूक हुई है. ऐसे में उनपर कार्रवाई की जा रही है. वहीं, आगे भी जिनकी लापरवाही सामने आएगी, उन पर कार्रवाई की जाएगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)