संसदीय समिति के सदस्यों ने नोटबंदी पर अपनी रिपोर्ट को नए सिरे से तैयार करने पर ज़ोर दिया.
नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने नोटबंदी पर अपनी ही रिपोर्ट के मसौदे को नये सिरे से तैयार करने पर जोर दिया है. सदस्यों का कहना है कि रिजर्व बैंक ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां नहीं दी हैं. यह भी नहीं बताया है कि बंद किए गए 500 और 1000 रुपये के नोट कितने थे.
सूत्रों ने बताया कि इस रिपोर्ट को स्वीकार करने को टाल दिया गया क्योंकि वित्त पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य अलग-अलग दलों के कई सांसदों ने इस रिपोर्ट को नए सिरे से तैयार करने पर जोर दिया है. उनका कहना है कि रिपोर्ट में जान नहीं है.
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली की अगुवाई वाली समिति का कार्यकाल 31 अगस्त को पूरा हो रहा है. ऐसे में इस रिपोर्ट को समिति के नये सिरे से गठन के बाद ही स्वीकार किए जाने की संभावना है.
समिति की मंगलवार को हुई बैठक में दो सदस्यों नरेश अग्रवाल और नरेश गुजराल ने इस दस्तावेज को नए सिरे से तैयार करने पर जोर दिया. वहीं बीजू जनता दल के सांसद बी महताब ने कहा कि मसौदे में जान नहीं है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा समिति के एक सदस्य पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मानना है कि नोटबंदी के बाद डिजिटलीकरण पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि रिजर्व बैंक ने पूरा ब्योरा और सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है, ऐसे में यह दस्तावेज पूर्ण नहीं है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल दो बार समिति के समक्ष उपस्थित हो चुके हैं, लेकिन केंद्रीय बैंक अभी तक यह नहीं बता पाया है कि नोटबंदी के बाद कितने बंद किए गए नोट बैंकों के पास वापस आए हैं. नोटबंदी की घोषणा पिछले साल नवंबर में की गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)