गोरखपुर अस्पताल में पिछले 72 घंटे में 61 बच्चों की मौत, इस महीने 290 जानें गईं

योगी आदित्यनाथ बोले, 'कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें कि सरकार उनका पालन पोषण करे.'

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योगी आदित्यनाथ एक कार्यक्रम में बोले, ‘कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें कि सरकार उनका पालन पोषण करे.’

yogi gorakhpur tragedy photo by PTI

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर अस्पताल में बड़ी संख्या में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. पिछले 72 घंटे के भीतर 61 बच्चों की मौत हो गई है. दूसरी ओर, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि ‘मुझे लगता है कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें, सरकार उनका पालन पोषण करे.’

गोरखपुर स्थित बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में इस महीने अब तक 290 बच्चों की मौत हो चुकी है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पिछले रविवार और सोमवार को नवजात सघन चिकित्सा कक्ष में 26 तथा इंसेफेलाइटिस वार्ड में 11 समेत कुल 37 बच्चों की मृत्यु हुई है.

हाल ही में आॅक्सीजन और अन्य सुविधाओं की कमी के चलते बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में 70 बच्चों की मौत हो गई थी. इसके अगले हफ्ते भी करीब 40 बच्चों की मौत हो गई थी.  एनडीटीवी के मुताबिक, पिछले 72 घंटे के भीतर 61 बच्चों की मौत हो गई है.  70 मौतों के तीन हफ्ते बाद इंसेफलाइटिस से पीड़ित 19 बच्चों की 24 घंटे के अंदर मौत हो गई.

खबर के मुताबिक, 72 घंटे के अंदर 61 बच्चों की मौत हुई है जिसमें से ज्यादातर नवजात थे. मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है. 24 घंटे के अंदर 19 ऐसे बच्चों की मौत हुई जो इंसेफलाइटिस से पीड़ित थे. गोरखपुर में नेपाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के मरीज आते हैं.

इस वर्ष इंसेफेलाइटिस और चिल्ड्रेन वार्ड में 1250 मौतें

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर पीके सिंह ने बताया कि इस वर्ष अब तक इंसेफेलाइटिस, एनआईसीयू तथा सामान्य चिल्ड्रेन वार्ड में कुल 1250 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस माह 28 अगस्त तक एनआईसीयू में 213 और इंसेफेलाइटिस वार्ड में 77 समेत कुल 290 बच्चे मरे हैं.

सिंह का कहना है कि एनआईसीयू में ज्यादा गंभीर हालत वाले बच्चे, जिनमें समय से पहले जन्मे, कम वजन वाले, पीलिया, निमोनिया और संक्रामक बीमारियों से ग्रस्त बच्चे इलाज के लिए आते हैं, जबकि इंसेफलाइटिस से पीड़ित बच्चे भी ऐन वक्त पर इसी अस्पताल में गंभीर स्थिति में पहुचते हैं.

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उन्होंने कहा कि अगर बच्चे समय से इलाज के लिए आएं तो बड़ी संख्या में नवजात बच्चों की मौत रोकी जा सकती है. अपर स्वास्थ्य निदेशक कार्यालय से प्राप्त आंकड़े बताते हैं इस वर्ष जनवरी में एनआईसीयू में 143 और इंसेफेलाइटिस वार्ड में नौ बच्चों की मृत्यु हुई.

इसी प्रकार फरवरी में क्रमश: 117 तथा पांच, मार्च में 141 तथा 18, अप्रैल में 114 तथा नौ, मई में 127 तथा 12, जून में 125 तथा 12, जुलाई में 95 एवं 33 और अगस्त माह में 28 तारीख तक 213 तथा 77 बच्चों की मौत हुई है.

‘लगता है हम सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए हैं’

एनडीटीवी की हिंदी वेबसाइट के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को लखनऊ में कहा, मुझे लगता है कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें, सरकार उनका पालन पोषण करे.’

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मुख्यमंत्री योगी ने एक कार्यक्रम में लोगों को समझा रहे थे कि लोगों को सरकार भरोसे रहने की जगह अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मीडिया कहती है कि फलानी जगह कूड़ा पड़ा है. हमलोग मानते हैं कि सरकार की जिम्मेदारी है. लगता है हम सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)