पिछले महीने भाजपा ने कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान देशवासियों में भ्रम फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया था. इस पर कांग्रेस ने भाजपा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बचाने के लिए ‘फ़र्ज़ी टूलकिट’ तैयार करने का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और संबित पात्रा के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी.
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सोमवार को टूलकिट मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी तथा आगे की जांच-पड़ताल पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है.
अधिवक्ता विवेक शर्मा ने बताया कि टूलकिट मामले को लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने अपने खिलाफ राजधानी रायपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं.
दोनों नेताओं के खिलाफ राज्य के सत्ताधारी दल कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा ने रायपुर के सिविल लाइंस थाने में 19 मई को मामला दर्ज किया गया था.
अधिवक्ता विवेक शर्मा ने बताया कि बीते 11 जून को हाईकोर्ट में जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई थी.
न्यायालय में रमन सिंह और संबित पात्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी, अजय बर्मन के साथ विवेक शर्मा और गैरी मुखोपाध्याय ने बहस की, जबकि राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने पक्ष रखा.
उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है. याचिकाकर्ताओं की ओर से प्राथमिकी को पूर्वाग्रह और राजनीति से प्रेरित बताते हुए अंतरिम राहत की मांग की गई थी.
अधिवक्ता ने बताया कि बीते 11 जून को हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य शासन को तीन हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था तथा अंतरिम राहत के मसले पर निर्णय सुरक्षित कर लिया था.
शर्मा ने बताया कि सोमवार को हाईकोर्ट में जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने टूलकिट मामले में सिंह और पात्रा को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी तथा आगे की जांच-पड़ताल पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है.
उन्होंने बताया कि न्यायालय ने कहा है कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है और पूरी कार्यवाही पूर्वाग्रह और राजनीतिक द्वेष से प्रेरित प्रतीत होती है.
हाईकोर्ट ने माना कि प्राथमिकी के आधार पर जांच जारी रखना कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं होगा. मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद होगी.
मालूम हो कि बीते 18 मई को उस समय विवाद खड़ा हो गया था जब भाजपा ने कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान देशवासियों में भ्रम फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस संकट काल में विपक्षी दल की ‘गिद्धों की राजनीति’ उजागर हुई है.
एक ‘कोविड-19 टूलकिट’ का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया था कि कोरोना के समय जब पूरा देश महामारी से लड़ रहा है तो कांग्रेस ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भारत को पूरे विश्व में ‘अपमानित और बदनाम’ करने की कोशिश की है.
इसी तरह के आरोप भाजपा नेता जेपी नड्डा, स्मृति ईरानी और बीएल संतोष ने भी कांग्रेस पर लगाए थे. इसके अलावा इसमें केंद्रीय मंत्रियों- पीयूष गोयल, हरदीप सिंह पुरी, किरन रिजिजू, अनुराग ठाकुर, प्रह्लाद जोशी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, भाजपा सांसदों- राज्यवर्धन सिंह राठौड़, तेजस्वी सूर्या, पीसी मोहन, मनोज कोटक, विनय सहस्त्रबुद्धे आदि भी शामिल हैं.
भाजपा नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि टूलकिट में ‘लापता अमित शाह’, ‘क्वारंटीन जयशंकर’, ‘साइडलाइन राजनाथ सिंह’ और ‘असंवेदनशील निर्मला सीतारमण’ जैसे शब्द इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. भाजपा नेता #CongressToolkitExposed नाम से ट्विटर टैग वायरल करा रहे थे.
बता दें कि टूलकिट एक प्रकार का दस्तावेज होता है, जिसमें अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए बिंदुवार मुद्दे होते हैं. अभियान को तेज करने के लिए इन्हीं मुद्दों पर विरोधियों को घेरने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाता है.
इसके बाद कांग्रेस ने भाजपा पर कोरोना महामारी के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बचाने एवं लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ‘फर्जी टूलकिट’ तैयार करने का आरोप लगाया था और सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, उसके वरिष्ठ नेताओं- बीएल संतोष, स्मृति ईरानी, संबित पात्रा तथा कई अन्य के खिलाफ दिल्ली पुलिस में ‘जालसाजी’ की शिकायत दर्ज कराई थी.
कांग्रेस की शिकायत के बाद ट्विटर द्वारा भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के उस ट्वीट को ‘तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया’ करार दिया था. यही टैग रमन सिंह के ट्वीट के साथ कई अन्य भाजपा नेताओं के ट्वीट पर लगाया गया है. इस पर केंद्र ने आपत्ति जताई है और इसे ट्विटर से इसे हटाने की मांग की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)