दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि बेहद दुख की बात है कि केंद्र सरकार ने इस समिति को ख़ारिज कर दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सिर्फ़ दिल्ली की बात नहीं है, बल्कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और झारखंड सहित कई अन्य राज्यों की बात है, जहां केंद्र, राज्य सरकारों के काम में बाधा डाल रहा है.
नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोगों की मौत के मामलों की जांच करने और प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गठित समिति को मंजूरी देने से मना कर दिया है.
सिसोदिया ने केंद्र सरकार से चार सदस्य समिति के गठन में रोड़ा न अटकाने की गुजारिश की. दिल्ली सरकार ने समिति को मंजूरी देने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास फाइल भेजी थी.
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी पर बातचीत करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति को दूसरे स्थानों पर भेजा गया.
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से भी कुछ मौतें हुई हैं.
सिसोदिया ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने घटनाओं (ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी) में जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए पांच लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की. उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद दिल्ली सरकार ने यह पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया कि इन मौतों का कारण क्या है.’
अप्रैल में जयपुर गोल्डन अस्पताल में 21 कोविड रोगियों की मृत्यु हो गई थी, क्योंकि अस्पताल कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति का इंतजार करता रह गया.
उन्होंने ऑनलाइन ब्रीफिंग में बताया, ‘बेहद दुख की बात है कि केंद्र सरकार ने इस समिति को खारिज कर दिया है. मुझे समझ में नहीं आता कि केंद्र सरकार को इससे समस्या क्यों है?’
सिसोदिया ने कहा कि यह सिर्फ दिल्ली की बात नहीं है, बल्कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और झारखंड सहित कई अन्य राज्यों की बात है जहां केंद्र, राज्य सरकारों के काम में बाधा डाल रहा है.
उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘केंद्र सरकार की ओर से बेवजह दखलअंदाजी की कई घटनाएं हो चुकी हैं.’
उन्होंने कहा कि उन्हें इसे लेकर कोई समस्या नहीं होनी चाहिए कि राज्य सरकार ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण जान गंवाने वाले कोविड रोगियों के परिवारों को मुआवजे की पेशकश कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली सरकार की समिति को खारिज करने का यह निर्णय अनुचित और बिना किसी तर्क का है. मैं केंद्र सरकार से इस तरह के हस्तक्षेप को रोकने का अनुरोध करना चाहता हूं.’
केंद्र पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकारों द्वारा उठाए जा रहे किसी भी अच्छे कदम या काम में बाधा डालना क्यों पसंद करती है.
सिसोदिया ने आरोप लगाया, ‘एक जिम्मेदार सरकार के रूप में, दिल्ली सरकार मृतकों के परिवारों को मुआवजा देना चाहती है और इसकी जांच कर पुष्टि करना चाहती है कि इन मौतों का कारण क्या है. मगर केंद्र सरकार यह नहीं होने दे रही है.’
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, भाजपा की दिल्ली इकाई ने सिसोदिया पर कोविड -19 रोगियों के परिवारों के मुआवजे पर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली सरकार की लापरवाही के कारण मृत्यु हो हुई है.
मालूम हो कि अप्रैल और मई के बीच कोविड-19 के दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के अस्पताल मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी से जूझ रही थे दिल्ली सरकार केंद्र से ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने के लिए लगातार अनुरोध कर रही थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि राजधानी की ऑक्सीजन आवश्यकताओं को पूरा किया जाए.
बता दें कि 23 अप्रैल को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार 25 मरीजों की मौत हो गई. घटना के पीछे संभावित वजह ऑक्सीजन की कमी को बताया गया था.
उसके बाद 24 अप्रैल को राष्ट्रीय राजधानी के रोहिणी इलाके में स्थित जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 20 मरीजों की मौत हो गई थी. अस्पताल के निदेशक ने बताया था कि उनके पास उपलब्ध ऑक्सीजन का भंडार कम होने के कारण फ्लो घट गया था, जिसके बाद मरीजों को नहीं बचाया जा सका.
बीते एक मई को दिल्ली के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 12 मरीजों की मौत हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)