केरल हाईकोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासक के निर्णयों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका ख़ारिज की

लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल कुछ प्रावधान लेकर आए हैं, जिसके तहत इस मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, गोवंश उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़े तोड़े जाने हैं. इनमें बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले लक्षद्वीप में एंटी-गुंडा एक्ट लाना और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान भी शामिल है.

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(फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल कुछ प्रावधान लेकर आए हैं, जिसके तहत इस मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, गोवंश उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़े तोड़े जाने हैं. इनमें बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले लक्षद्वीप में एंटी-गुंडा एक्ट लाना और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान भी शामिल है.

(फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)
(फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

कोच्चिः केरल हाईकोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासक के सुधार कदमों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका गुरुवार को खारिज कर दी. 

लक्षद्वीप प्रशासक के इन सुधार कदमों में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 (एलडीआर) और द्वीपों में असामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम (पासा) को लागू करना शामिल हैं.

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ये कथित सुधार उपाय फिलहाल मसौदा चरण में ही हैं. कोर्ट ने इससे पहले इस मामले पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था.

बता दें कि ये जनहित याचिका कांग्रेस नेता केपी नौशाद अली ने दायर की थी. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि इन नियमों को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया जाए. ये उपाय संविधान के अनुच्छेद 15, 16, 19 और 21 का उल्लंघन हैं.

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि नया पासा कानून प्रशासक को यह शक्ति देता है कि वह सार्वजनिक तौर पर कारण बताए किसी भी शख्स को एक साल तक हिरासत में रखने का आदेश दे सकते हैं.

बता दें कि मुस्लिम बहुल आबादी वाला लक्षद्वीप हाल ही में लाए गए कुछ प्रस्तावों को लेकर विवादों में घिरा हुआ है. वहां के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को हटाने की मांग की जा रही है.

पिछले साल दिसंबर में लक्षद्वीप का प्रभार मिलने के बाद प्रफुल्ल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे ले आए हैं, जिसका तमाम विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने पटेल पर मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, पशु संरक्षण का हवाला देते हुए बीफ (गोवंश) उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तट रक्षक अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़ों को तोड़ने का आरोप लगाया है.

इन कानूनों में बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में एंटी-गुंडा एक्ट और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान भी शामिल है.

इससे पहले लक्षद्वीप के साथ बेहद मजबूत सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध रखने वाले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ वामदलों और कांग्रेस के सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र भी लिखा था.

केरल विधानसभा ने लक्षद्वीप के लोगों के साथ एकजुटता जताते हुए 24 मई को एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया, जिसमें द्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को वापस बुलाए जाने की मांग की गई और केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया था, ताकि द्वीप के लोगों के जीवन और उनकी आजीविका की रक्षा हो सके.

इस हफ्ते की शुरुआत में लक्षद्वीप के निवासियों ने जनविरोधी कदम उठाने के मुद्दे पर प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को वापस बुलाने और मसौदा कानून को रद्द करने की मांग को लेकर पानी के भीतर विरोध प्रदर्शन करने के साथ अपने घरों के बाहर 12 घंटे का अनशन भी किया था.

प्रदर्शनकारियों ने ‘लक्षद्वीप फोरम बचाओ’ के बैनर तले अरब सागर के भीतर और अपने घरों के बाहर ‘एलडीएआर कानून वापस लो’ तथा ‘लक्षद्वीप के लिए न्याय’ लिखी हुईं तख्तियां प्रदर्शित की और सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा की थी.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)