दिल्ली दंगा: सुप्रीम कोर्ट का छात्र कार्यकर्ताओं की ज़मानत में दखल से इनकार

दिल्ली दंगे मामले में गिरफ़्तार छात्र कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इकबाल तन्हा को हाईकोर्ट से मिली ज़मानत को दिल्ली पुलिस ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले पर रोक लगाने से मना करते हुए स्पष्ट किया कि देश की अन्य अदालतें इस निर्णय को मिसाल के तौर पर दूसरे मामलों में इस्तेमाल नहीं करेंगी.

/
छात्र कार्यकर्ता- नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा और देवांगना कलीता. फोटो साभार: फेसबुक/Sio Nedumbassery

दिल्ली दंगे मामले में गिरफ़्तार छात्र कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इकबाल तन्हा को हाईकोर्ट से मिली ज़मानत को दिल्ली पुलिस ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले पर रोक लगाने से मना करते हुए स्पष्ट किया कि देश की अन्य अदालतें इस निर्णय को मिसाल के तौर पर दूसरे मामलों में इस्तेमाल नहीं करेंगी.

छात्र कार्यकर्ता नताशा नरवाल, देवांगना कलीता, आसिफ इकबाल तन्हा. (फोटोः पीटीआई)
छात्र कार्यकर्ता नताशा नरवाल, देवांगना कलीता, आसिफ इकबाल तन्हा. (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा संबंधी मामलों में गिरफ्तार छात्र कार्यकर्ता नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दिए जाने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की अपील पर शुक्रवार को नोटिस जारी किया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से हाईकोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि निवारक अधिनियम (यूएपीए) की व्याख्या की है, उसका शीर्ष अदालत द्वारा परीक्षण किए जाने की जरूरत है.

अदालत ने कहा, ‘आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए को इस तरह से सीमित करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसके पूरे भारत पर असर हो सकते हैं.’

इसी के साथ अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देने वाले हाईकोर्ट के फैसलों को देश में अदालतें मिसाल के तौर पर दूसरे मामलों में ऐसी ही राहत के लिए इस्तेमाल नहीं करेंगी.

जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘हमारी परेशानी यह है कि हाईकोर्ट  ने जमानत के फैसले में पूरे यूएपीए पर चर्चा करते हुए ही 100 पृष्ठ लिखे हैं और शीर्ष अदालत को इसकी व्याख्या करनी होगी.’

शीर्ष अदालत तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत पर रिहा करने के हाईकोर्ट के 15 जून के फैसलों को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की अपीलों पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गई है.

अदालत ने इन अपील पर जेएनयू छात्र नताशा नरवाल और देवांगना कलीता और जामिया छात्र आसिफ इकबाल तनहा को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगे हैं.

तीनों आरोपियों को जमानत देने वाले हाईकोर्ट के फैसलों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि किसी भी अदालत में कोई भी पक्ष इन फैसलों को मिसाल के तौर पर पेश नहीं करेगा.

पीठ ने कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रतिवादी (नरवाल, कलीता और तनहा) को जमानत पर रिहा करने पर इस वक्त हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा.’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह दलील दी कि हाईकोर्ट ने तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देते हुए पूरे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून को पलट दिया है.

इस पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, ‘यह मुद्दा महत्वपूर्ण है और इसके पूरे भारत में असर हो सकते हैं. हम नोटिस जारी करना और दूसरे पक्ष को सुनना चाहेंगे, जिस तरीके से कानून की व्याख्या की गई है उस पर संभवत: हाईकोर्ट को गौर करने की आवश्यकता होगी इसलिए हम नोटिस जारी कर रहे हैं.’

छात्र कार्यकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि हाईकोर्ट को यूएपीए के असर और व्याख्या पर गौर करना चाहिए ताकि इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत से फैसला आए.

अदालत ने कहा, कई सवाल हैं जो इसलिए खड़े हुए क्योंकि हाईकोर्ट में यूएपीए की वैधता को चुनौती नहीं दी गई थी. ये जमानत अर्जियां थी.

अदालत ने इन छात्र कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी किए और कहा कि इस मामले पर 19 जुलाई से सुनवाई की जाएगी.

बता दें कि सुनवाई की शुरुआत में मेहता ने हाईकोर्ट के फैसलों का उल्लेख किया और कहा, पूरे यूएपीए को सिरे से उलट दिया गया है.

उन्होंने दलील दी कि इन फैसलों के बाद तकनीकी रूप से निचली अदालत को अपने आदेश में ये टिप्पणियां रखनी होगी और मामले में आरोपियों को बरी करना होगा.

मेहता ने कहा कि दंगों के दौरान 53 लोगों की मौत हुई और 700 से अधिक घायल हो गए. ये दंगे ऐसे समय में हुए जब अमेरिका के राष्ट्रपति और अन्य प्रतिष्ठित लोग यहां आए हुए थे.

उन्होंने कहा, ‘हाईकोर्ट ने व्यापक टिप्पणियां की है. वे जमानत पर बाहर हैं, उन्हें बाहर रहने दीजिए लेकिन कृपया फैसलों पर रोक लगाइए. उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगाने के अपने मायने हैं.’

प्रदर्शन के अधिकार के संबंध में हाईकोर्ट के फैसलों के कुछ पैराग्राफ को पढ़ते हुए मेहता ने कहा,’अगर हम इस फैसले पर चले तो पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या करने वाली महिला भी प्रदर्शन कर रही थी. कृपया इन आदेशों पर रोक लगाएं.’

सिब्बल ने कहा कि छात्र कार्यकर्ताओं के पास मामले में बहुत दलीलें हैं. पीठ ने अपीलों पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर कोई विरोधी दलील है तो उसे चार हफ्तों के भीतर पेश किया जाए.

दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 जून को जेएनयू छात्र नताशा नरवाल और देवांगना कलीता और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games