चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा सिंह ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण हासिल किया था. उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाज़ा गया था. वह पिछले एक महीने से कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहे थे. बीते 13 जून को उनकी 85 वर्षीय पत्नी निर्मल कौर भी मोहाली के एक निजी अस्पताल में कोरोना वायरस से अपनी लड़ाई हार गई थीं.
चंडीगढ़/नई दिल्ली: एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद भारत के प्रख्यात फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का शुक्रवार को निधन हो गया. इससे पहले उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर ने भी कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था.
पद्मश्री मिल्खा सिंह 91 वर्ष के थे. उनके परिवार में उनके बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं.
उनके परिवार के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘उन्होंने रात 11:30 बजे आखिरी सांस ली.’
उनकी हालत शाम से ही खराब थी और बुखार के साथ ऑक्सीजन भी कम हो गई थी. वह चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर के आईसीयू में भर्ती थे. उन्हें पिछले महीने कोरोना हुआ था और बुधवार को उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी. उन्हें जनरल आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था. गुरुवार की शाम से पहले उनकी हालत स्थिर हो गई थी.
उनकी पत्नी 85 वर्षीय निर्मल बीते 13 जून को मोहाली के एक निजी अस्पताल में वायरस से अपनी लड़ाई हार गई थीं.
स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को शाम चंडीगढ़ में किया जाएगा. परिवार के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘अंतिम संस्कार शनिवार को शाम पांच बजे होगा.’
चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा सिंह ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी पीला तमगा (स्वर्ण) हासिल किया था. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक में था, जिसमें वह 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे.
एक ट्रैक लीजेंड जिसने भारत को सबसे बड़े खेल मंच के आगे रखा. उन्होंने 1956 और 1964 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाजा गया था.
सेना के एक व्यक्ति के ट्रैक पर प्रदर्शन से पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मिल्खा सिंह को ‘फ्लाइंग सिख’ का नाम दे दिया. आगे चलकर वह इसी नाम से जाने-पहचाने जाने लगे.
मिल्खा के परिवार में 14 बार के अंतरराष्ट्रीय विजेता गोल्फर बेटे जीव मिल्खा सिंह, बेटियां मोना सिंह, सोनिया सिंह और अलीजा ग्रोवर हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई खेलों में उनके चार स्वर्ण पदक और पाकिस्तान के अब्दुल खालिक के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा भी काफी चर्चा में रहती थी. 1958 में मिल्खा की एक और प्रसिद्ध जीत ब्रिटेन के कार्डिफ में तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्रमंडल खेलों में उनका ऐतिहासिक 400 मीटर का स्वर्ण था.
70,000 से अधिक दर्शकों के सामने कार्डिफ आर्म्स पार्क के सबसे बाहरी लेन में दौड़ते हुए मिल्खा ने तत्कालीन विश्व रिकॉर्ड धारक दक्षिण अफ्रीका के मैल्कॉम स्पेंस को पीछे छोड़ते हुए 46.6 सेकंड का समय लेकर इतिहास बनाया था. तब ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया था.
दौड़ के बाद जैसा कि उन्होंने बीबीसी को बताया कि उन्होंने अपनी मातृभूमि के प्रति अपना कर्तव्य पूरा कर लिया है.
ब्रिटिश भारत में उनका जन्म 20 नवंबर 1929 को एक सिख परिवार में हुआ था. उनका जन्मस्थान गोविंदपुरा ब्रिटिश भारत के मुजफ्फरगढ़ (अब पाकिस्तान) शहर से 10 किलोमीटर दूर था.
विभाजन के दौरान हुए दंगों में अपने माता-पिता और तीन भाइयों को खो देने वाले मिल्खा सिंह खून से लथपथ मुल्तान से ट्रेन में एक दर्दनाक यात्रा के बाद सेना के एक ट्रक में फिरोजपुर (भारत) में उतरे था.
रिपोर्ट के अनुसार, सेना में भर्ती के दो असफल प्रयासों के बाद मिल्खा ईएमई (सेना का इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स विभाग), सिकंदराबाद में शामिल हो गए था. यहां वह अपने पहले कोच हवलदार गुरदेव सिंह के संरक्षण में आए.
मिल्खा ने इंटर-सर्विसेज मीट प्रतिस्पर्धा में भाग लिया. 1956 में मिल्खा भारतीय दल में शामिल हो गए और मेलबर्न ओलंपिक का टिकट उन्हें मिल गया, जहां उन्होंने 400 मीटर दौड़ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बतौर धावक शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाते चले गए.
जल्द ही वह एशिया का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बन गए. इसी दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने लाहौर में एक अंतरराष्ट्रीय दौड़ में उनके देश के धावक अब्दुल खालिक को पछाड़ने के बाद मिल्खा सिंह को ‘फ्लाइंग सिख’ का नाम दिया. मिल्खा अब्दुल खालिक को हमेशा अपनी परछाई के रूप में संदर्भित करते थे.
मिल्खा सिंह: संघर्षों की नींव पर उपलब्धियों की गाथा लिखने वाला फ्लाइंग सिख
मिल्खा सिंह के लिए ट्रैक एक खुली किताब की तरह था, जिससे उनकी जिंदगी को ‘मकसद और मायने’ मिले और संघर्षों के आगे घुटने टेकने की बजाय उन्होंने इसकी नींव पर उपलब्धियों की ऐसी अमर गाथा लिखी, जिसने उन्हें भारतीय खेलों के इतिहास का युगपुरुष बना दिया .
अपने करिअर की सबसे बड़ी रेस में भले ही वह हार गए, लेकिन भारतीय ट्रैक और फील्ड के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करा लिया. रोम ओलंपिक 1960 को शायद ही कोई भारतीय खेलप्रेमी भूल सकता है, जब वह 0.1 सेकंड के अंतर से चौथे स्थान पर रहे. उनकी टाइमिंग 38 साल तक राष्ट्रीय रिकॉर्ड रही.
मिल्खा ने इससे पहले 1958 ब्रिटिश और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को विश्व एथलेटिक्स के मानचित्र पर पहचान दिलाई थी.
स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक मिल्खा को जिंदगी ने काफी जख्म दिए, लेकिन उन्होंने अपने खेल के रास्ते में उन्हें रोड़ा नहीं बनने दिया. विभाजन के दौरान पाकिस्तान में रहने के दौरान उनके माता-पिता की हत्या हो गई. वह दिल्ली के शरणार्थी शिविरों में छोटे-मोटे अपराध करके गुजारा करते थे और जेल भी गए.
इसके अलावा सेना में दाखिल होने के कई प्रयास नाकाम रहे. यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि इस पृष्ठभूमि से निकलकर कोई ‘फ्लाइंग सिख’ बन सकता है. उन्होंने हालात को अपने पर हावी नहीं होने दिया.
वह राष्ट्रमंडल खेलों में व्यक्तिगत स्पर्धा का पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे. उनके अनुरोध पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उस दिन राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की थी.
मिल्खा ने अपने करिअर में 80 में से 77 रेस जीती. रोम ओलंपिक में चूकने का मलाल उन्हें ताउम्र रहा. अपने जीवन पर बनी फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ के साथ अपनी आत्मकथा के विमोचन के मौके पर उन्होंने कहा था, ‘एक पदक के लिए मैं पूरे करिअर में तरसता रहा और एक मामूली सी गलती से वह मेरे हाथ से निकल गया.’
उनका एक और सपना अभी तक अधूरा है कि कोई भारतीय ट्रैक और फील्ड में ओलंपिक पदक जीते.
अविभाजित पंजाब के गोविंदपुरा के गांव से बेहतर जिंदगी के लिए 15 वर्ष की उम्र में मिल्खा को भागना पड़ा, जब उनके माता-पिता की विभाजन के दौरान हत्या हो गई. उन्होंने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर जूते पॉलिश किए और ट्रेनों से सामान चुराकर गुजर बसर किया. वह जेल भी गए और उनकी बहन ईश्वर ने अपने गहने बेचकर उन्हें छुड़ाया.
मिल्खा को कई प्रयासों के बाद सेना में भर्ती होने का मौका मिला. सिकंदराबाद में पहली नियुक्ति के साथ वह पहली दौड़ में उतरे. उन्हें शीर्ष दस में आने पर कोच गुरदेव सिंह ने एक गिलास दूध ज्यादा देने का वादा किया था. वह छठे नंबर पर आए और बाद में 400 मीटर में खास ट्रेनिंग के लिए चुने गए. इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास बन चुका है.
उनकी कहानी 1960 की भारत-पाकिस्तान खेल मीट की चर्चा के बिना अधूरी रहेगी. उन्होंने रोम ओलंपिक से पहले पाकिस्तान के अब्दुल खालिक को हराया था. पहले मिल्खा पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे, जहां उनके माता-पिता की हत्या हुई थी, लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू के कहने पर वह गए. उन्होंने खालिक को हराया और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘फ्लाइंग सिख’ यानी ‘उड़न सिख’ की संज्ञा दी .
यह हैरानी की बात है कि मिल्खा जैसे महान खिलाड़ी को 2001 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया. उन्होंने इसे ठुकरा दिया था. मिल्खा की कहानी सिर्फ पदकों या उपलब्धियों की ही नहीं, बल्कि स्वतंत्र भारत में ट्रैक और फील्ड खेलों का पहला अध्याय लिखने की भी है, जो आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.
देश ने मिल्खा सिंह को शृद्धांजलि दी
महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह के निधन के साथ एक युग के अंत पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत पूरे देश ने शोक जताया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उनके संघर्ष और जुझारूपन की कहानी भारतीयों की आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.
राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, ‘खेलों के महानायक मिल्खा सिंह के निधन से दुखी हूं. उनके संघर्ष और जुझारूपन की कहानी भारतीयों की आने वाले पीढियों को प्रेरित करती रहेगी. उनके परिवार और असंख्य प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने एक ‘बहुत बड़ा’ खिलाड़ी खो दिया.
मोदी ने ट्वीट किया, ‘मिल्खा सिंह जी के निधन से हमने एक बहुत बड़ा खिलाड़ी खो दिया जिनका असंख्य भारतीयों के हृदय में विशेष स्थान था. अपने प्रेरक व्यक्तित्व से वे लाखों के चहेते थे. मैं उनके निधन से आहत हूं.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘मैंने कुछ दिन पहले ही श्री मिल्खा सिंह जी से बात की थी. मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बात होगी. उनके जीवन से कई उदीयमान खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी. उनके परिवार और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों को मेरी संवेदनाएं.’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, ‘श्री मिल्खा सिंह जी न केवल एक स्पोर्ट्स स्टार थे, बल्कि अपने समर्पण और जुझारुपन के लिए लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा के स्रोत थे. उनके परिवार और दोस्तों को मेरी संवेदनाएं. भारत ने अपने फ्लाइंग सिख को याद करता है.’
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनके निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘मिल्खा सिंह जी के निधन से दुखी और स्तब्ध हूं. इससे भारत और पंजाब के लिये एक युग का अंत हो गया. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना. वह आने वाली पीढियों के लिये प्रेरणास्रोत रहेंगे.’
भारतीय खेल जगत ने भी इस प्रेरणादायी खिलाड़ी को शृद्धांजलि दी. ट्रैक को अलविदा कहने के बाद भी भारतीय खेलों पर उनकी नजर हमेशा बनी रही.
We lost a Gem. He will always remain as an inspiration for every Indian. May his soul Rest in peace🙏🇮🇳 pic.twitter.com/7gT2x8Bury
— Neeraj Chopra (@Neeraj_chopra1) June 18, 2021
टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने ट्वीट किया, ‘हमने एक नगीना खो दिया. वह हर भारतीय के लिए प्रेरणा बने रहेंगे. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.’
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय खेलों के सबसे चमकते सितारों में से एक चला गया.
उन्होंने कहा, ‘महान फर्राटा धावक फ्लाइंग सिख श्री मिल्खा सिंह जी के निधन से भारत में शोक है. उन्होंने विश्व एथलेटिक्स पर अमिट छाप छोड़ी. भारत उन्हें खेलों के सबसे चमकते सितार में से एक के रूप में सदैव याद रखेगा. उनके परिवार को प्रशंसको को मेरी संवेदनाएं.’
सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा, ‘भारत के जाने-माने एथलीट एवं ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह जी के कोरोना से निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति व शोकाकुल परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें.’
At the 1960 Rome Olympics, Milkha Singh's 400 m race remains an iconic moment in Indian Olympic history. We honour our legend's performance and everything he accomplished in his life.
#RIP #FlyingSikh #MilkhaSinghJi pic.twitter.com/0PsaUD2FIM
— SAI Media (@Media_SAI) June 19, 2021
भारतीय खेल प्राधिकरण ने ट्वीट किया, ‘राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा सिंह के नाम 400 मीटर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड 38 साल तक रहा. उनके परिवार और उन लाखों लोगों के प्रति संवेदना जिन्हें उन्होंने प्रेरित किया.’
प्राधिकरण ने कहा कि ‘फ्लाइंग सिख’ आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे. उनके सम्मान में महानायक मिल्खा सिंह को हमारी विशेष श्रद्धांजलि. उनकी विरासत हमारे दिलों में हमेशा अमर रहेगी.
The “Flying Sikh” will inspire generations to come. In his honour, here's our special tribute to legend Milkha Singh. His legacy will live forever in our hearts.
#FlyingSikh #RIPMilkhaSinghji #MilkhaSingh #Legend pic.twitter.com/SPgXNmcF2u
— SAI Media (@Media_SAI) June 19, 2021
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने ट्वीट किया, ‘सभी भारतीयों के लिए बहुत दुखद समाचार.’
एएफआई अध्यक्ष आदिले सुमरिवाला ने मिल्खा को ऐसा धुरंधर बताया जिन्होंने युवा देश में एथलेटिक्स को नयी बुलंदियों तक पहुंचाया.
A Titan who lifted the profile of athletics in a young nation, his sharp observations on Indian sport will be missed. His towering legacy will continue to inspire generations of young Indians. Rest in peace legend 🙏🏻 – @Adille1 President AFI pic.twitter.com/jtLKaGM2Bc
— Athletics Federation of India (@afiindia) June 18, 2021
ओलंपियन अंजु बॉबी जॉर्ज ने लिखा, ‘वह युवा भारतीयों को कई पीढ़ियों तक प्रेरित करते रहेंगे. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. भारतीय एथलेटिक्स को बड़ा नुकसान.’
भारतीय फर्राटा धावक मोहम्मद अनस याहिया ने लिखा, ‘मिल्खा सर के निधन से स्तब्ध हूं. मेरे दिल में हमेशा आपकी खास जगह रहेगी. फ्लाइंग सिख हमेशा जीवित रहेंगे.’
Dark clouds of sadness prevail with the demise of my idol and inspiration Milkha Singhji. His story of sheer determination and hard work inspired millions and will continue to do so. As a tribute to him, students of Usha School paid homage to the legend.
Rest in Peace 🙏 pic.twitter.com/mLBQQ2ge3v— P.T. USHA (@PTUshaOfficial) June 19, 2021
ट्रैक एंड फील्ड एथलीट पीटी उषा ने ट्वीट कर कहा, ‘मेरे आदर्श और प्रेरणास्रोत मिल्खा सिंह जी के निधन से दुख के काले बादल छा गए हैं. दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की उनकी कहानी ने लाखों लोगों को प्रेरित किया और आगे भी करता रहेगा.’
भारत के पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने लिखा, ‘बहुत ही दुखद समाचार कि फ्लाइंग सिख सरदार मिल्खा सिंह जी नहीं रहे. वाहेगुरु. आरआईपी मिल्खा सिंह जी.’
भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने ट्वीट किया, ‘सरदार मिल्खा सिंह जी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुखी हूं. आपसे कई बार मिलने का सौभाग्य मिला और आपने हमेशा आशीर्वाद दिया. बेहद विनम्र और गर्मजोशी से मिलने वाले इंसान. आपकी कमी खलेगी.’
भारतीय फुटबॉल टीम के आधिकारिक हैंडिल पर भी उन्हें श्रृद्धांजलि दी गई. इस पर लिखा था, ‘पूरे देश के साथ हम भी महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह के निधन पर गमगीन हैं. उनकी अतुल्य उपलब्धियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.’
चैम्पियन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने लिखा, ‘आरआईपी मिल्खा सिंह. आपके निधन से हर भारतीय के दिल में खालीपन पैदा हो गया है लेकिन आप आने वाली कई पीढियों के प्रेरणासोत रहेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)