पटना हाईकोर्ट ने कोविड-19 प्रबंधन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि जो भी कारण हो, बिहार सरकार कोविड-19 से मरने वालों की संख्या को सार्वजनिक करने को लेकर अनिच्छुक है, जो सही नहीं है. हमारे नज़रिये से सरकार का यह रवैया न ही किसी क़ानून द्वारा संरक्षित है और न ही सुशासन के स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप है.
पटना: पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या को सार्वजनिक करने को लेकर राज्य सरकार की अनिच्छा सही नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और जस्टिस एस. कुमार की एक खंडपीठ ने कोविड प्रबंधन को लेकर शिवानी कौशिक और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
अदालत ने कहा, ‘जिस भी कारण से हो, राज्य सरकार कोविड-19 से मरने वालों की संख्या को सार्वजनिक करने को लेकर अनिच्छुक है, जो सही नहीं है. हमारे नजरिये से सरकार का यह रवैया न ही किसी कानून द्वारा संरक्षित है और न ही सुशासन के स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप है.’
उसने कहा कि पारदर्शिता सुशासन की पहचान है, खासकर आज के युग में जब केंद्र और राज्य दोनों डिजिटल इंडिया और नेशनल डेटा शेयरिंग एंड एसेसिबिलिटी पॉलिसी (एनडीएसएपी), 2012 को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
अदालत ने कहा, ‘मुद्दा यह है कि क्या बिहार के 10 करोड़ लोगों को राज्य में कोविड-19 से हुईं मौतों की संख्या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जानने का अधिकार है और क्या सरकार का स्वेच्छा से या कानून द्वारा अनिवार्य रूप से खुलासा करने का एक कर्तव्य है.’
अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि वह लोगों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को ऑनलाइन जानकारी प्राप्त करने के उनके अधिकार के बारे में जागरूक करे.
गौरतलब है कि बिहार सरकार ने कोविड-19 से मरने वालों की संख्या में इस महीने 3,951 लोगों का इजाफा किया था, जिससे यह संख्या 5,424 से बढ़कर 9,375 हो गई थी.
बिहार स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने मृतकों की संख्या को लेकर सफाई देते हुए कहा था कि लापरवाह स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि इससे पहले संक्रमण और मौतों के आंकड़े छिपाने के आरोप लगने के बाद पिछले महीने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से महामारी की दूसरी लहर के दौरान गांवों में कोविड-19 से हुईं मौतों का हिसाब देने को कहा था. न्यायालय ने जिलावार मौतों के आंकड़े भी पेश करने को कहा था.
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने बक्सर में गंगा नदी में तैरती पाई गईं लाशों के बारे में भी राज्य सरकार से जवाब मांगा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)